Big News Live / नई दिल्ली। केंद्र की मोदी सरकार द्वारा संसद में पेश किए गए नारी शक्ति वंदन अधिनियम को देश की राष्ट्रपति श्रीमती द्रोपदी मुर्मू ने अपनी मंजूरी दे दी है। इस मंजूरी के बाद देश में महिला आरक्षण बिल लागू हो गया है। केंद्र सरकार ने इस संबंध में अधिसूचना भी जारी कर दी है।
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आपको बता दें कि केंद्र की मोदी सरकार ने बीते 18 सितंबर को संसद के नए भवन में दोनों सदनों का विशेष सत्र बुलाया था। इस विशेष सत्र में बहुप्रतीक्षित महिला आरक्षण बिल को केंद्रीय कानून मंत्री अर्जुन मेघवाल ने पेश किया था। लोकसभा में इस बिल के बहुमत के साथ पास होने के बाद राज्यसभा में भी बिल को भारी बहुमत से पास किया गया था। दोनों सदनों में बिल के पास होने के बाद इसे मंजूरी के लिए मंजूरी के लिए राष्ट्रपति श्रीमती द्रोपदी मुर्मू के पास भेजा गया था। जिसको आज शुक्रवार, 29 सितंबर 2023 को मंजूरी दे दी गई।
लोकसभा और राज्यसभा दोनों ने महिला आरक्षण विधेयक 2023 (128वाँ संवैधानिक संशोधन विधेयक) अथवा नारी शक्ति वंदन अधिनियम पारित कर दिया था। यह विधेयक लोकसभा, राज्य विधानसभाओं और दिल्ली विधानसभा में महिलाओं के लिये 33 प्रतिशत सीटें आरक्षित करता है। यह लोकसभा और राज्य विधानसभाओं में अनुसूचित जाति तथा अनुसूचित जनजाति के लिये आरक्षित सीटों पर भी लागू होगा।
लंबे समय से अटका था बिल
महिला आरक्षण विधेयक पर चर्चा वर्ष 1996 में पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेई के कार्यकाल से ही की जाती रही है। चूँकि तत्कालीन सरकार के पास बहुमत नहीं था, इसलिये विधेयक को मंज़ूरी नहीं मिल सकी।
1996: पहला महिला आरक्षण विधेयक संसद में पेश किया गया।
1998 – 2003: सरकार ने 4 अवसरों पर विधेयक पेश किया लेकिन पारित कराने में असफल रही।
2009: विभिन्न विरोधों के बीच सरकार ने विधेयक पेश किया।
2010: केंद्रीय मंत्रिमंडल और राज्यसभा द्वारा पारित।
2014: विधेयक को लोकसभा में पेश किये जाने की उम्मीद थी।
राज्यसभा में महिला आरक्षण बिल के समर्थन में 214 वोट डाले गए थे, जबकि विरोध में एक भी वोट नहीं पड़ा था। इससे पहले लोकसभा में महिला आरक्षण बिल पास हो गया था, जहां इसके विरोध में दो वोट पड़े थे। राष्ट्रपति से मंजूरी मिलने के बावजूद हालांकि, पहले जनगणना और सीटों के परिसीमन का काम होगा।
जानकारों का कहना है कि महिला आरक्षण बिल को अभी भी लंबा सफर तय करना है। जनगणना और परिसीमन के बाद महिला आरक्षण विधेयक साल 2029 के लोकसभा चुनाव तक ही अमल में लाया जा सकेगा। 128वें संविधान संशोधन विधेयक (नारी शक्ति वंदन अधिनियम) को अब अधिकांश राज्य विधानसभाओं की मंजूरी की आवश्यकता होगी। इसे जनगणना के आधार पर संसदीय और विधानसभा क्षेत्रों को फिर से तैयार करने के लिए परिसीमन के बाद लागू किया जाएगा। सरकार ने कहा है कि इस प्रक्रिया को अगले साल शुरू किया जाएगा।
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