भाजपा नया राष्ट्रीय अध्यक्ष

भाजपा नेतृत्व परिवर्तन की तैयारी अंतिम चरण में: भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) जल्द ही अपने नए राष्ट्रीय अध्यक्ष की घोषणा कर सकती है। लोकसभा चुनाव 2024 की प्रक्रिया पूरी होने के बाद पार्टी अब संगठनात्मक पुनर्गठन की दिशा में तेजी से आगे बढ़ रही है। मौजूदा अध्यक्ष जे. पी. नड्डा का कार्यकाल जनवरी 2023 में समाप्त हो गया था, लेकिन चुनावों को देखते हुए उन्हें जून 2024 तक विस्तार मिला था। अब पार्टी नेतृत्व में बदलाव की घड़ी करीब है और चर्चा है कि इस बार महिला नेता को शीर्ष पद मिल सकता है।

कौन-कौन हैं दावेदार?

अब तक छह नेताओं के नाम सामने आए हैं जो अध्यक्ष पद की दौड़ में माने जा रहे हैं। इनमें तीन महिलाएं और तीन पुरुष शामिल हैं। महिला दावेदारों में निर्मला सीतारमण, डी. पुरंदेश्वरी और वानाथी श्रीनिवासन के नाम प्रमुख हैं। वहीं पुरुष नेताओं में धर्मेंद्र प्रधान, शिवराज सिंह चौहान और मनोहर लाल खट्टर को लेकर चर्चाएं चल रही हैं।

क्या पहली बार महिला अध्यक्ष मिलेगी?

इस बार भाजपा के भीतर यह गंभीर मंथन चल रहा है कि क्या पार्टी को महिला नेतृत्व सौंपा जाए। इसका संकेत महिला आरक्षण विधेयक के पारित होने और हालिया चुनावों में महिला वोटर्स के बढ़ते समर्थन से भी मिलता है। निर्मला सीतारमण देश की पहली पूर्णकालिक महिला वित्त मंत्री हैं और अंतरराष्ट्रीय मंचों पर भारत की मजबूत आवाज रही हैं। वे तमिलनाडु से आती हैं, जहां भाजपा अपनी उपस्थिति बढ़ाना चाहती है।

डी. पुरंदेश्वरी, एनटी रामाराव की बेटी और आंध्र प्रदेश भाजपा अध्यक्ष रही हैं। वे दक्षिण भारत की राजनीति में एक सशक्त नाम हैं। वहीं वानाथी श्रीनिवासन भाजपा महिला मोर्चा की पूर्व अध्यक्ष रही हैं और संगठन से लंबे समय से जुड़ी हैं।

पुरुष नेताओं की रणनीतिक ताकत

धर्मेंद्र प्रधान एक कुशल चुनावी रणनीतिकार माने जाते हैं और ओबीसी समुदाय का प्रतिनिधित्व करते हैं। उन्होंने कई राज्यों में पार्टी की चुनावी जीत में बड़ी भूमिका निभाई है। शिवराज सिंह चौहान ‘मामा’ के नाम से लोकप्रिय हैं और मध्य प्रदेश के चार बार मुख्यमंत्री रहे हैं। वे जनभावनाओं से जुड़े नेता माने जाते हैं।

मनोहर लाल खट्टर की पहचान एक अनुशासित और सादगीप्रिय नेता की रही है। संघ से उनकी नजदीकी और प्रशासनिक अनुभव उन्हें मजबूत दावेदार बनाता है।

चुनाव के तीन बड़े पैमाने

सूत्रों के अनुसार भाजपा नए अध्यक्ष के चयन में तीन प्रमुख बिंदुओं पर ध्यान दे रही है – संगठनात्मक अनुभव, क्षेत्रीय संतुलन और जातीय समीकरण। पार्टी का मानना है कि नया अध्यक्ष सिर्फ चेहरा नहीं, बल्कि 2026 के विधानसभा चुनाव और 2029 के आम चुनाव के लिए दिशा-निर्देशक भी होगा।

विपक्ष भी रख रहा पैनी नजर:

भाजपा के नए अध्यक्ष को लेकर कांग्रेस, आम आदमी पार्टी समेत अन्य विपक्षी दल भी नजर रखे हुए हैं। यह पद न केवल संगठनात्मक बल्कि राजनीतिक रूप से भी बेहद महत्वपूर्ण है, क्योंकि यही चेहरा भाजपा की भविष्य की राजनीति को आकार देगा।

भाजपा के नए राष्ट्रीय अध्यक्ष का चयन केवल एक पद भरने का मामला नहीं है, यह पार्टी की भावी रणनीति और सामाजिक संदेश का वाहक भी बनेगा। महिला नेतृत्व की संभावना ने इस दौड़ को और दिलचस्प बना दिया है। अब देखना होगा कि पार्टी किस नाम पर मुहर लगाती है – अनुभव, संगठन या बदलाव के संदेश के आधार पर।

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