Border dispute : नई दिल्ली। मेघालय सरकार ने उच्चतम न्यायालय से कहा है कि दो राज्यों के बीच सीमाओं में बदलाव या क्षेत्रों के आदान-प्रदान से संबंधित मामला पूरी तरह से राजनीतिक मुद्दा है, जो कार्यपालिका के ‘एकमात्र कार्यक्षेत्र’ में आता है।
Border dispute
राज्य सरकार ने मेघालय उच्च न्यायालय के आठ दिसंबर, 2022 के आदेश को शीर्ष अदालत में चुनौती दी है, जिसमें असम और मेघालय के मुख्यमंत्रियों द्वारा उनके सीमा विवाद को सुलझाने के लिए हस्ताक्षरित समझौता ज्ञापन (एमओयू) पर रोक लगा दी है।
शीर्ष अदालत के समक्ष अपनी याचिका में मेघालय सरकार ने कहा कि उच्च न्यायालय इस बात की समीक्षा करने में विफल रहा कि जब मामला राज्यों के बीच सीमा के सीमांकन जैसे संप्रभु कार्यों से संबंधित है, तो केवल याचिकाकर्ता के कहने पर अंतरिम आदेश पारित नहीं किया जा सकता है।
याचिका में कहा गया है, यह निवेदन किया जाता है कि दो राज्यों के बीच सीमाओं के परिवर्तन या दो राज्यों के बीच क्षेत्रों के आदान-प्रदान से संबंधित कोई भी मुद्दा देश के राजनीतिक प्रशासन और इसकी संघीय घटक इकाइयों से संबंधित विशुद्ध रूप से राजनीतिक प्रश्न है।
याचिका में कहा गया है कि दोनों राज्यों द्वारा हस्ताक्षरित समझौता ज्ञापन निष्पक्ष और पारदर्शी तरीके से सीमाओं का सीमांकन करने के लिए राज्यों के बीच एक संप्रभु अधिनियम है जिसे एक रिट याचिका के माध्यम से हस्तक्षेप नहीं किया जा सकता है और अंतरिम आदेश पारित करके (राज्यों के अधिकार को) कम नहीं किया जा सकता है।
याचिका के अनुसार, इतना ही नहीं, ऐसे मामलों के संबंध में न्यायिक समीक्षा का दायरा बेहद संकीर्ण है।
राज्य सरकार ने कहा है, यह निवेदन किया जाता है कि विवादित फैसले को पारित करते वक्त (उच्च न्यायालय की) खंडपीठ इस बात की समीक्षा करने में विफल रही कि 29 मार्च, 2022 को असम और मेघालय के बीच छह क्षेत्रों के सीमा विवादों को सुलझाने के लिए केंद्रीय गृह मंत्री की उपस्थिति में समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किए गए।
राज्य सरकार ने कहा है कि उच्च न्यायालय को एकल न्यायाधीश द्वारा पारित अंतरिम आदेश में हस्तक्षेप करना चाहिए था क्योंकि यह अंतरिम राहत प्रदान करने के लिए न्यायिक रूप से निर्धारित सिद्धांतों का पालन किए बिना एक यांत्रिक तरीके से पारित किया गया आदेश था।