नयी दिल्ली। सरकार सार्वजनिक पेशकश के जरिये बाल्को में अपनी शेष 49 प्रतिशत हिस्सेदारी बेचने पर विचार कर रही है। इसके लिए कंपनी की प्रवर्तक वेदांता से मध्यस्थता मामले को वापस लेने के लिए बातचीत कर रही है। निवेश एवं लोक संपत्ति प्रबंधन विभाग (दीपम) के सचिव तुहिन कांत पांडेय ने यह जानकारी दी है।
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वेदांता से हुई है शुरुआती बातचीत
तुहिन कांत पांडेय ने कहा कि हम वेदांता से मध्यस्थता मामले को वापस लेने को कह रहे हैं, जिससे कंपनी की शेयर बाजारों में सूचीबद्धता सुनिश्चित की जा सके। खान मंत्रालय और दीपम ने वेदांता लिमिटेड के साथ शुरुआती बातचीत की है। वेदांता पूर्ववर्ती बाल्को की प्रवर्तक थी। बाल्को को 2009 का एक मध्यस्थता मामला वापस लेना होगा, जो उसने सरकार के खिलाफ शेष हिस्सेदारी के मूल्यांकन विवाद में दायर किया था।
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सरकार ने बेच दी थी 51 फीसदी हिस्सेदारी
पांडेय ने कहा कि हमने प्रवर्तकों के साथ शुरुआती बातचीत की है। हम उनके साथ विस्तार से बातचीत करेंगे। अगर हमें कंपनी को सार्वजनिक रूप से सूचीबद्ध कराना है तो वेदांता को मामला वापस लेना होगा। अगर वे सहमत होंगे तो हम इस मामले में आगे बढ़ सकते हैं। सरकार अंततः कंपनी से बाहर निकलने से पहले आरंभिक सार्वजनिक निर्गम (आईपीओ) के जरिये बाल्को में अपनी 49 प्रतिशत हिस्सेदारी बेचना चाहती है। शेयर बाजार में सूचीबद्धता से बाल्को के उचित मूल्यांकन का पता चल सकेगा। सरकार ने 2001 में पूर्ववर्ती सार्वजनिक क्षेत्र की कंपनी भारत एल्युमीनियम कंपनी लिमिटेड (बाल्को) में अपनी 51 प्रतिशत हिस्सेदारी वेदांता लिमिटेड की अनुषंगी स्टरलाइट इंडस्ट्रीज लिमिटेड को 551 करोड़ रुपये में बेची थी। इसकी शेष 49 प्रतिशत सरकार के पास है।
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