Chandigarh News : नयी दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने चंडीगढ़ के फेज-1 में आवासीय इकाइयों को अपार्टमेंट में तब्दील करने पर मंगलवार को रोक लगा दी और कहा कि इससे शहर के ‘फेफड़े’ घायल होंगे जिनकी संरचना फ्रांसीसी वास्तुकार ली कॉर्बुजियर ने बनाई थी।
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विधायिका, कार्यपालिका और केंद्र तथा राज्यों में नीति निर्माताओं से शहरी विकास की अनुमति देने से पहले पर्यावरणीय प्रभाव आकलन अध्ययन करने के लिए आवश्यक प्रावधान करने की अपील करते हुए, शीर्ष अदालत ने कहा कि यह आवश्यक है कि टिकाऊ विकास और पर्यावरण संरक्षण के बीच उचित संतुलन बनाया जाए।
शीर्ष अदालत ने कहा कि चंडीगढ़ को केंद्रशासित प्रदेश बनाया गया था और यह पंजाब तथा हरियाणा राज्यों की राजधानी बन गया। उसने कहा कि शहर को दो चरणों में विकसित किया गया। फेज-1 में 1 से 30 सेक्टर हैं और फेज-2 में सेक्टर 31 से 47 हैं।
न्यायमूर्ति बी आर गवई और न्यायमूर्ति बी वी नागरत्ना की पीठ ने अंधाधुंध तरीके से भवन निर्माण योजना बनाने के लिए चंडीगढ़ प्रशासन से नाखुशी जताई और कहा कि इससे यह स्पष्ट है कि वे दरअसल एक आवासीय इकाई को तीन अपार्टमेंट में परिवर्तित कर रहे हैं।
पीठ ने अपने 131 पन्नों के फैसले में कहा, ‘‘इस तरह की बेतरतीब वृद्धि चंडीगढ़ के फेज-1 की विरासत की स्थिति पर प्रतिकूल प्रभाव डाल सकती है, जिसे यूनेस्को के विरासत शहर के रूप में अंकित करने की मांग की गयी है।’’
शीर्ष अदालत ने पंजाब और हरियाणा उच्च न्यायालय के नवंबर 2021 के फैसले को चुनौती देने वाली अपीलों पर अपना फैसला सुनाया। उच्च न्यायालय ने कहा था कि किसी स्थान या इमारत के संबंध में शेयरों के हस्तांतरण के संबंध में ‘पंजाब राजधानी (विकास और नियमन) अधिनियम, 1952’ या उसके तहत बनाये गये नियमों में कोई प्रावधान नहीं है, चाहे संपत्ति एक मालिक की हो या संयुक्त स्वामित्व वाली हो।