New Delhi : नई दिल्ली। अपने अस्तित्व की लड़ाई लड़ रही कांग्रेस के लिए आज का दिन काला शुक्रवार साबित हुआ। पार्टी के वरिष्ठ नेता गुलाम नबी कांग्रेस से ‘आजाद’ हो गए। उन्होंने कांग्रेस के सभी पदों और प्राथमिक सदस्यता से इस्तीफा दे दिया। आजाद ने अपना इस्तीफा अंतरिम अध्यक्ष सोनिया गांधी को भेजा है। कुछ दिन पहले ही कांग्रेस ने उन्हें जम्मू-कश्मीर कांग्रेस कमेटी का अध्यक्ष बनाया था, लेकिन आजाद ने दो घंटे बाद ही इससे इस्तीफा दे दिया था।
73 साल के आजाद अपनी सियासत के आखिरी पड़ाव पर फिर प्रदेश कांग्रेस की कमान संभालना चाह रहे थे, लेकिन केंद्रीय नेतृत्व ने उनकी बजाय 47 साल के विकार रसूल वानी को ये जिम्मेदारी दे दी। वानी गुलाम नबी आजाद के बेहद करीबी हैं। वे बानिहाल से विधायक रह चुके हैं। आजाद को यह फैसला पसंद नहीं आया। कहा जा रहा है कि कांग्रेस नेतृत्व आजाद के करीबी नेताओं को तोड़ रहा है। आजाद इससे खफा हैं।
गुलाम नबी आजाद पार्टी से अलग उस जी-23 समूह का भी हिस्सा थे, जो पार्टी में कई बड़े बदलावों की पैरवी करता है। उन तमाम गतिविधियों के बीच इस इस्तीफे ने गुलाम नबी आजाद और उनके कांग्रेस के साथ रिश्तों पर सवाल खड़ा कर दिया है। केंद्र ने इसी साल गुलाम नबी आजाद को पद्म भूषण सम्मान से नवाजा गया है।