कोरोना संक्रमण ने बनाया नया रिकॉर्ड, चीन के दो शहर बने हॉटस्पॉट
Anjanabhagi
28 दिसंबर को पूरी दुनिया में 14.4 लाख कोविड (Covid-19) पॉजिटिव केस सामने आए हैं। एक दिन में कोविड संक्रमितों की यह अब तक की सबसे बड़ी संख्या है। एक महीने में ही कोविड (Covid-19) संक्रमितों की संख्या में लगभग 50% का इजाफा हुआ है।
चीन के दो शहरों में लगाना पड़ा लॉकडाउन
चीन के वुहान (2019) में कोरोना (Covid-19) फैलने के 21 महीने बाद यह अब तक की सबसे बड़ी संख्या है। इस बार महामारी का केंद्र चीनी शहर शियान (Shiyan) है जहां पिछले हफ्ते लॉकडाउन (Lockdown) लगा दिया गया है।
चीन के मुताबिक शियान में पिछले एक महीने में 800 कोरोना संक्रमित मरीज पाए गए। बता दें कि चीन में कोरोना को लेकर बेहद कड़े नियम हैं। इसका अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि शियान शहर में लोगों की चार बार कोरोना जांच की जा चुकी है और पांचवें की तैयारी है। इस बीच चीन के दूसरे शहर यनान (Yan’an) में भी लॉकडाउन (Lockdown) लगा दिया गया है।
11,000 से ज्यादा उड़ानें रद्द
चीन के कड़े नियमों के चलते अमेरिकी शहर शियाटल से शंघाई आ रहे यात्री विमान को बीच रास्ते में ही वापस अमेरिका जाना पड़ा क्योंकि, चीन ने विमानों के सफाई के नियम में अचानक बदलाव कर दिए हैं। अमेरिकी विमान कंपनी ने इन नियमों के विरोध में अपने विमान को बीच रास्ते से ही वापस बुला लिया।
इस बीच 24 दिसंबर तक दुनिया भर में 11,500 से ज्यादा उड़ानों को कोविड (Covid-19) संक्रमण और ओमिक्रॉन के खतरे के चलते रद्द किया जा चुका है।
ये तीन देश बने हॉटस्पॉट
पूरी दुनिया में कोविड (Covid-19) के मामले तेजी से बढ़ रहे हैं। भारत की राजधानी दिल्ली में एक दिन में 330 से ज्यादा मामले आने के बाद 28 दिसंबर को यलो अलर्ट (Yellow Alert) घोषित कर दिया गया। सभी स्कूल, सिनेमा हॉल, जिम बंद कर दिए गए हैं। होटल, रेस्त्रां और सार्वजनिक जगहों को आधी क्षमता के साथ काम करने के आदेश दिए गए हैं।
पहली बार दक्षिण अफ्रीका में पहचाना गया ओमिक्रॉन (Omicron) वायरस अब 119 देशों में फैल चुका है और यह ढाई लाख से ज्यादा लोगों को संक्रमित कर चुका है। इससे अब तक 42 की मौत हो चुकी है। हालांकि, भारत में अभी तक ओमिक्रॉन (Omicron) से किसी मौत की पुष्टि नहीं हुई है।
ओमिक्रॉन (Omicron) से सबसे ज्यादा प्रभावित अमेरिका, ब्रिटेन और यूरोप के देश हैं। ओमिक्रॉन (Omicron) को भले ही, माइल्ड वायरस कहा जा रहा है लेकिन, अमेरिका में इसके चलते टेस्टिंग किट, अस्पतालों में बेड, डॉक्टरों, नर्सिंग स्टाफ की बेहद कमी पैदा हो गई है। केवल कैलिफोर्निया शहर में ही पिछले दो हफ्तों में संक्रमितों की संख्या में 71% का उछाल आया है और इस दौरान 4000 से ज्यादा लोग अस्पताल में भर्ती किए गए हैं।
खुद अमेरिकी राष्ट्रपति को कहना पड़ा कि फिलहाल मेडिकल सेवाएं पर्याप्त नहीं हैं, इसे और बेहतर करना पड़ेगा।
अवसाद के मामलों में आया उछाल
पिछले दो साल से जारी महामारी ने जहां पूरी दुनिया को घोर आर्थिक संकट में ढकेल दिया है वहीं, इससे मानसिक बीमारियों में भी लगातार इजाफा हो रहा है।
महामारी (Pandemic) के दौरान लोग लंबे समय तक घरों में रहने के लिए मजबूर हुए हैं। किसी तरह के आयोजन, पार्टी आदि में शामिल न होना, छुट्टियों पर न जाना, रिश्तेदारों और दोस्तों से न मिलने जैसी तमाम वजहों का मानसिक स्वास्थ्य पर गंभीर असर पड़ा है।
एक सर्वे के मुताबिक कोरोना महामारी (Pandemic) के दौरान अवसाद (Depression) के वैश्विक मामलों में 27.6% और तनाव (Anxiety) के मामलों में 25.6% की बढ़ोत्तरी हुई है। पिछले दो साल में मानसिक तनाव बढ़ने की कई वजहें हैं।
1. लोगों को उम्मीद थी कि कोरोना (Covid-19) की दवा या वैक्सिन (Vaccine) आने के बाद सबकुछ सामान्य हो जाएगा लेकिन, ऐसा नहीं हुआ। दुनिया के कई देशों में दूसरी या तीसरी बूस्टर डोज (Booster Dose) लगाई जा रही है। आशंका है कि आने वाले वक्त में ऐसे कई बूस्टर डोज (Booster Dose) और भी लगवाने पड़ सकते हैं।
2. कोरोना की पहली और दूसरी लहर के बाद माना गया कि संक्रमित लोगों में अपने-आप इम्यूनिटी (Herd Immunity) पैदा हो गई है, जो टीका लगवाने के बराबर है। कोरोना के लगातार सामने आ रहे नए वैरिएंट ने इस खुशफहमी को भी ज्यादा दिन टिकने नहीं दिया।
3. लोगों में महामारी (Pandemic) से कभी न निकल पाने की आशंका घर करती जा रही है जो मानसिक स्वास्थ्य के लिए खतरनाक संकेत है। लोगों को 2022 में इस महामारी से निजात मिलने की उम्मीद थी लेकिन, उसे भी ओमिक्रॉन ने घूमिल कर दिया है।
4. पिछले दो साल से लगातार मास्क पहनने, सामाजिक दूरी, बार-बार हाथ धोने जैसे कोरोना प्रोटोकॉल (Covid Appropriate Behaviour) ने भी लोगों को थका दिया है। यही वजह है कि दुनिया भर में कोरोना प्रोटोकाल के प्रति उदासीनता और लापरवाही दोनों बढ़ रही है। हालांकि, इसके चलते वायरस लगातार म्यूटेट कर रहा है और नए वैरिएंट के कारण महामारी का असर कम होने के बजाए अचानक बढ़ने लगता है।
निराशा और हताशा के इस दौर के बावजूद हमें नहीं भूलना चाहिए 2020 की तुलना में 2021 में हमारे पास वैक्सिन और दवाइयां हैं और महामारी (Pandemic) से लड़ने के लिए हम बेहतर तरीके से तैयार हैं।
कोरोना के खिलाफ लड़ाई को इन लोगों ने किया कमजोर
इसमें कोई दो राय नहीं कि कोरोना के खिलाफ लड़ाई को कमजोर करने के लिए टीकाकरण के प्रति उदासीनता बरतने वाले लोग और देश जिम्मेदार हैं। वह सरकारें भी जिम्मेदार हैं जिन्होंने समय रहते कड़े कदम नहीं उठाए या लोगों को जागरुक करने के पर्याप्त प्रयास नहीं किए।
पिछले दो साल का अुनभव बताता है कि टीकाकरण (Vaccination) ने वायरस के प्रकोप को कम किया है। टीका न लगवाने वाले लोगों के शरीर में प्रवेश करने की वजह से कोरोना के नए-नए वैरिएंट पैदा हो रहे हैं जो नई लहर के लिए जिम्मेदार हैं।
अगर ऐसे ही चलता रहा तो, संभव है कि दिसंबर 2022 में भी हम कोरोना (Covid-19) के किसी नए वैरिएंट पर चर्चा कर रहे हों। इससे बचने के लिए एक बार फिर से हमें अपने डॉक्टरों, वैज्ञानिकों और वैज्ञानिक उपायों पर भरोसे को मजबूत करना होगा।
टीकाकरण अभियान चलाना सरकार की जिम्मेदारी है लेकिन, इसे सफल बनाने के लिए हमें और आपको टीकाकरण केंद्र तक जाना होगा। मास्क, सोशल डिस्टेंसिंग, बार-बार हाथ धुलने की आदत को तब तक नहीं छोड़ना है जब तक एक भी व्यक्ति कोरोना (Covid-19) संक्रमित है। हम वायरस को खत्म भले नहीं कर सकते लेकिन, इसे फैलने से जरूर रोक सकते हैं। 2022 के लिए हमारा यही संकल्प होना चाहिए।