Political News: मोदी के लिए आसान नहीं है 2024 की राह

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locationभारत
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calendar08 DEC 2022 02:58 PM
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Rajkumar Chaudhary: Political News

Political News: नई दिल्ली। गुजरात की जीत के साथ ही साथ हिमाचल प्रदेश व यूपी के उपचुनाव में हार भारतीय जनता पार्टी के लिए मंथन का कारण बनती दिख रही है। 2 साल बाद 2024 में होने वाले लोकसभा चुनाव मोदी जी के लिए कितने आसान होंगे ये अभी भविष्य के गर्भ में छिपा है, लेकिन एक बात तय है कि हिमाचल व यूपी उपचुनाव मे हार  ने  भाजपा के रणनीतिकारों की पेशानी पर बल डाल दिए है।

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इतिहास के पन्नों को पलटिए तो पता चलता है कि 16 मई 2014 को हुए आम चुनावों के परिणाम देश में नई इबादत लिख रहे थे। 20 मई को प्रधानमंत्री पद के लिए नरेंद्र मोदी को सरकार बनाने के लिए आमंत्रित किया गया। 2014 के चुनाव में भारतीय जनता पार्टी ने 282 सीटें जीती थीं। 2014 में प्रधानमंत्री बनने के बाद नरेंद्र मोदी ने पूरी दुनिया में देश का डंका बजाया। खास बात यह है कि 2014 के शपथ ग्रहण समारोह में सार्क देशों के प्रतिनिधियों को शपथ ग्रहण समारोह में आमंत्रित किया गया था। उस समय अफगानिस्तान के तत्कालीन राष्ट्रपति हामिद करजई, बांग्लादेश की तत्कालीन प्रधानमंत्री शेख हसीना, भूटान के प्रधानमंत्री शेरिंग तोबगे, मालदीव के राष्ट्रपति अब्दुल्ला यामीन अब्दुल कयूम, मॉरीशस के प्रधानमंत्री नवीनचंद्र रामगुलाम और नेपाल के प्रधानमंत्री सुशील कोइराला के अलावा पाकिस्तान के तत्कालीन प्रधानमंत्री नवाज शरीफ शपथ ग्रहण में आमंत्रित किया गया था। यह अपनी तरह का अलग फैसला था। इससे अंतरराष्ट्रीय स्तर पर हिंदुस्तान की नई छवि के प्रणेता के तौर पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी स्थापित हुए थे।

2019 मे फिर हुए आम चुनाव में फिर से देश की जनता ने नरेंद्र भाई दामोदर दास मोदी और उनकी टीम पर भरोसा कर प्रचंड बहुमत दिया। वे दूसरी बार प्रधानमंत्री बने।

अब गुजरात और हिमाचल प्रदेश में हुए विधानसभा चुनावों को 2024 के सेमी फ़ाइनल के तौर पर देखा जा रहा है। राजनीतिक विश्लेषक इसे लेकर तरह-तरह के कयास लगा रहे हैं। गुजरात को तो भारतीय जनता पार्टी ने 157 सीटों के साथ प्रचंड बहुमत से जीत लिया है। यहां 60 सीटों के नुकसान के साथ कांग्रेस 17 सीटों पर टिक गई। गुजरात को लेकर बड़े बड़े दावे करने वाली आम आदमी पार्टी को मात्र 5 सीटों पर जनता ने अपना जनादेश देने के संकेत दिए हैं। इस प्रचंड जीत का श्रेय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और उनकी टीम को दिया जा रहा है। गुजरात के मुख्यमंत्री भूपेश पटेल और प्रदेश अध्यक्ष आर सी पाटिल ने इस जीत का श्रेय प्रधानमंत्री की झोली में डाला है।

जबकि हिमाचल की 68 सीटों में से भारतीय जनता पार्टी 25 सीटों पर सिमट गई है। यहां पार्टी को 19 सीटों का सीधा नुकसान हुआ है। कांग्रेस 40 सीटों के साथ अपनी सरकार बनाने की ओर अग्रसर है। इस जीत को लेकर कांग्रेस के रणनीतिकार गदगद हैं। यमुना प्राधिकरण Global Investors Summit 2023 के लिए सियोल, दक्षिण कोरिया और टोकियो में करेगी रोड शो

खास बात यह है कि भारतीय जनता पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष जगत प्रकाश नड्डा हिमाचल के बिलासपुर जनपद के मूल निवासी हैं। वहीं केंद्रीय सूचना एवं प्रसारण मंत्री और भाजपा के युवा नेता अनुराग ठाकुर भी हिमाचल से ही ताल्लुक रखते हैं। इस चुनाव प्रचार के दौरान भारतीय जनता पार्टी ने अपनी तमाम ताकत गुजरात के साथ ही हिमाचल में भी झोंकी थी। आधा दर्जन से अधिक दौरे प्रधानमंत्री के हुए वहीं गृहमंत्री ने भी प्रचार में कोई कसर बाकी नहीं छोड़ी, लेकिन कांग्रेस ने यहां अपनी जीत दर्ज कराई है। कांग्रेस के मेनिफेस्टो में बेरोजगारी गरीबी और सरकारी कर्मचारियों को पेंशन बहाली मुख्य मुद्दा था।

राजनीतिक विश्लेषक मानते हैं कि 2014 और 2019 के लोकसभा चुनाव के बाद देश में राजनीतिक परिस्थितियां तेजी से बदली है। उस समय भारतीय जनता पार्टी के पास राम मंदिर निर्माण एक मुख्य मुद्दा था। ये मुद्दा हिंदू वोटरों को अपनी तरफ आकर्षित करने में अहम भूमिका अदा करता था। राम मंदिर निर्माण का कार्य प्रारंभ हो चुका है, इसलिए अब यह मुद्दा हिंदू वोटरों को अपनी और उस चुंबकीय शक्ति से आकर्षित नहीं कर सकता जो 2014 और 2019 में था।

2022 के गुजरात और हिमाचल विधानसभा के चुनाव परिणाम भारतीय जनता पार्टी के रणनीतिकारों को मंथन के लिए मजबूर अवश्य कर रहे हैं क्योंकि इन दिनों कांग्रेस के युवराज राहुल गांधी भी पदयात्रा पर हैं। उनकी पदयात्रा के बाद कांग्रेस 2024 के चुनाव की क्या रणनीति बनाती है, यह भी देखना दिलचस्प होगा। लेकिन वर्तमान चुनाव नतीजों ने एक बात तय कर दी है कि 2024 का लोकसभा का आम चुनाव प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के लिए उतना आसान रहने वाला नहीं है।

यूपी में भी जलवा फीका

मैनपुरी संसदीय सीट और खतौली सीट पर हुए उपचुनाव के रुझान योगी जी की चमक को फीकी करते दिख रहे हैं। तमाम आरोप-प्रत्यारोप के बीच मैनपुरी संसदीय सीट पर डिंपल यादव साइकिल को रफ्तार देने में कामयाब रही है। उन्होंने प्रचंड बहुमत के साथ इस सीट को जीता है।

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National News : महाराष्ट्र-कर्नाटक सीमा विवाद राज्यसभा में उठाने का प्रयास

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locationभारत
userचेतना मंच
calendar08 DEC 2022 02:23 PM
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National News : नयी दिल्ली। राज्यसभा में बृहस्पतिवार को शिवसेना (उद्धव बालासाहेब ठाकरे) की एक सदस्य ने महाराष्ट्र-कर्नाटक सीमा विवाद को उठाने की मांग की, लेकिन आसन ने उन्हें इसकी अनुमति नहीं दी।

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सुबह उच्च सदन की बैठक शुरू होने पर सभापति जगदीप धनखड़ ने कहा कि उन्हें नियम 267 के तहत कुछ नोटिस मिले हैं, लेकिन उन्होंने उन नोटिस को अस्वीकार कर दिया है क्योंकि वे व्यवस्थित नहीं हैं और न ही उनमें संबंधित नियमों का उल्लेख किया गया है। नियम 267 के तहत दिए गए नोटिस में सदन का सामान्य कामकाज स्थगित कर विशेष मुद्दे पर चर्चा की जाती है। शिवसेना सदस्य प्रियंका चतुर्वेदी ने नियम 267 के तहत नोटिस दिया था। उन्होंने कहा कि कर्नाटक और महाराष्ट्र के बीच सीमा विवाद एक महत्वपूर्ण मुद्दा है और इस पर राष्ट्रीय स्तर पर चर्चा किए जाने की जरूरत है। हालांकि, सभापति धनखड़ ने इसे अस्वीकार करते हुए कहा कि नियम 267 लागू करने की आवश्यकताएं पूरी नहीं हुई हैं। उन्होंने कहा, औपचारिक अनुरोध के साथ आप आएं, इस पर विचार किया जाएगा और चर्चा होगी। बेलगावी (कर्नाटक) और पुणे (महाराष्ट्र) में एक-दूसरे राज्य के वाहनों पर हमलों के बाद सीमा विवाद और बढ़ गया है। इसके बाद सदन में शून्यकाल हुआ। मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी (माकपा) सदस्य इलामारम करीम ने पिछले महीने उच्च पेंशन पर उच्चतम न्यायालय के फैसले के बाद भी केंद्र सरकार और कर्मचारी भविष्य निधि संगठन द्वारा अब तक कोई दिशानिर्देश नहीं जारी किए जाने का मुद्दा उठाया। करीम ने कहा कि 70 लाख पेंशनभोगियों में से 30 लाख को न्यूनतम निर्धारित पेंशन 1,000 रुपये प्रति माह से भी कम राशि मिलती है। उन्होंने न्यूनतम मासिक पेंशन बढ़ाकर नौ हजार रुपये करने की मांग की। कांग्रेस सदस्य पी. भट्टाचार्य ने जूट उद्योग से जुड़ी परेशानी का मुद्दा उठाया। द्रविड़ मुनेत्र कषगम (द्रमुक) सदस्य केआरएन राजेशकुमार ने व्यापार की तकनीकी प्रकृति को देखते हुए भारतीय किसान उर्वरक सहकारी लिमिटेड (इफको) को रसायन एवं उर्वरक मंत्रालय के प्रशासनिक नियंत्रण में वापस लाने की मांग की। उन्होंने कहा कि उर्वरक बनाने वाली कंपनी इफको को हाल ही में गठित सहकारिता मंत्रालय के प्रशासनिक नियंत्रण में लाया गया है। कांग्रेस सदस्य जेबी माथेर हिशम ने केरल में तिरुवनंतपुरम के पास विझिंजम बंदरगाह कंटेनर परियोजना से प्रभावित लोगों के लिए 475 करोड़ रुपये के पैकेज की मांग की। उन्होंने मछुआरों के लिए अधिक मुआवजे की मांग की, जिन्होंने परियोजना के खिलाफ करीब 140 दिनों के अपना विरोध इस सप्ताह के शुरू में खत्म कर दिया था।

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Uttar Pradesh डिंपल की प्रचंड जीत की खुशी में प्रसपा का सपा में विलय का ऐलान

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locationभारत
userचेतना मंच
calendar08 DEC 2022 02:21 PM
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Uttar Pradesh: सैफई। मैनपुरी लोकसभा उपचुनाव में सपा प्रत्याशी डिंपल यादव को मिले अपार जनसमर्थन से कार्यकर्ताओं में भारी उत्साह है। इस खुशी में प्रगतिशील समाजवादी पार्टी के समाजवादी पार्टी में विलय की घोषणा कर दी गई है।

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सपा प्रमुख अखिलेश यादव और प्रसपा प्रमुख शिवपाल सिंह यादव ने गुरुवार को संयुक्त रूप से सैफई में प्रेस कॉन्फ्रेंस कर यह घोषणा की। समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष अखिलेश यादव और प्रगतिशील पार्टी के अध्यक्ष शिवपाल ने पत्रकारों से वार्ता करते हुए दोनों नेताओं ने घोषणा की कि अब प्रगतिशील सपा का सपा में विलय हो गया है। इस दौरान सपा नेता सैफई में एकत्र हुए हैं। इस दौरान अखिलेश यादव ने चाचा शिवपाल के पैर छूकर उनका आशीर्वाद लिया। वहीं, मैनपुरी में पूर्व सांसद तेजप्रताप यादव सपा कार्यालय पहुंचे हैं। कार्यकर्ताओं में डिंपल यादव की जीत को लेकर काफी उत्साह नजर आ रहा है।

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