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Dr. Ambedkar: महान ज्ञानी, महान विचारक स्वर्गीय डॉ. बाबा साहेब आम्बेडकर जी

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डॉ शोभा भारद्वाज

Dr. Ambedkar: श्री बाबा साहेब के विचारों को जितना पढ़ते जायेंगे आप उनमें डूबते जायेंगे बाबा साहेब कितने सही एवं समय से आगे थे महापुरुष की स्मृति को कोटि – कोटि नमन है. भारत की भूमि पर इंसान और इंसान में केवल जन्म के आधार पर फर्क किया जाता था इस सामाजिक विकृति पर सकारात्मक रूप से बाबा साहेब ने काम किया वह स्वयं भी इसके शिकार थे। स्वराज शब्द का प्रयोग अनेक राजनीतिक दल वोट बैंक बनाने के लिए कर रहे हैं लेकिन बाबा साहेब ने स्वराज का अर्थ सबका स्वराज्य, देश की आजादी सबकी आजादी माना था उन्होंने हिन्दू और मुस्लिम समाज दोनों को आयना दिखाया दोनों समाज में उन्होंने सामाजिक न्याय की मांग की।

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उन्होंने अपनी पुस्तक थाट्स आन पाकिस्तान में लिखा मुस्लिम लीग ने जिन्ना के नेतृत्व में 23 मार्च 1940 में अलग पाकिस्तान का प्रस्ताव रखा उसको अधिकतर विचारक कोरी कल्पना समझ रहे थे परन्तु बाबा साहब की ने हवा के रुख को पहचान लिया था वह ब्रिटिश कूटनीति और मुस्लिम विचार धारा को समझते थे अत: मोहम्मद अली जिन्ना और मुस्लिम लीग की विभाजनकारी सांप्रदायिक रणनीति की घोर आलोचन की उन्होने तर्क द्वारा दोनों पक्ष रखे हिंदुओं और मुसलमानों को पृथक किया जा सकता है और पाकिस्तान का गठन भी हो जाएगा लेकिन बटवारा होने के बाद विशाल जनसंख्या का स्थानान्तरण आसान नहीं है यही नहीं बाद में भी सीमा विवाद की समस्या बनी रहेगी। भारत की स्वतंत्रता के बाद होने वाली हिंसा को ध्यान मे रख कर यह भविष्यवाणी कितनी सही थी पन्द्रह अगस्त की सुबह सूयोदय के साथ नव प्रभात लाई यह नव प्रभात क्या सुख कारी था? लाखों लोग घर से बेघर हो गये। आज भी भारत पाकिस्तान दुश्मन देश हैं शान्ति के सभी प्रयास विफल हो जाते हैं।

गांधी जी और कांग्रेस के कटु आलोचक होते हुए भी उनकी प्रतिष्ठा एक अद्वितीय विद्वान और विधिवेत्ता की थी देश के लिए सर्व मान्य संविधान बनाने का प्रश्न उठा नेहरु जी जर्मनी के संविधान विशेषज्ञ को बुला कर यह कार्य सोंपना चाहते थे लेकिन गाँधी जी ने बाबा साहब की अध्यक्षता में संविधान सभा को यह कार्य सोंपा बाबा साहेब ने संविधान में दिए मौलिक अधिकारों में पहला अधिकार समानता के अधिकार को दिया राज्य की दृष्टि से सभी समान हैं समता में स्वतन्त्रता व बन्धुत्व की पोषक है। आम्बेडकर ने महिलाओं के लिए भी आर्थिक और सामाजिक अधिकारों की वकालत की और अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति के लोगों के लिए सिविल सेवाओं, स्कूलों और कॉलेजों की नौकरियों मे आरक्षण प्रणाली के लिए संविधान सभा का समर्थन हासिल किया, भारत के विधि निर्माताओं ने इस सकारात्मक कार्यवाही के द्वारा दलित वर्गों के लिए सामाजिक और आर्थिक असमानताओं के उन्मूलन और उन्हे हर क्षेत्र मे अवसर प्रदान कराने की चेष्टा की।
अनुसूचित जाति और जन जाति के लिए दस वर्ष तक के लिए आरक्षण की व्यवस्था की गयी जिसे संविधान संशोधनों द्वारा समय –समय पर बढाया जाता रहा है आगे जा कर सभी जातियां आरक्षण की मांग करने लगीं आरक्षण का लालच देकर राजनीतिक रोटियाँ सकी जा रही हैं आरक्षण का नारा नेतागीरी की सीढ़ी बन गया।आरक्षण दलित शोषित समाज के लिए बहुत लाभकारी सिद्ध हुआ लेकिन तीन पीढियों तक आरक्षण का लाभ उठाने के बाद भी आरक्षण को छोड़ नहीं रहे हैं जिससे दलितों के बहुत बड़े गरीब वर्ग को आरक्षण का लाभ नहीं मिल रहा हैं अधिकतर केवल चतुर्थ श्रेणी में नौकरी के लिए संघर्ष करता रह गया है।

धारा 370 ,35a नेहरू जी की सोच का परिणाम थी वह मानते थे पाकिस्तान का निर्माण धर्म के आधार पर हुआ था कश्मीरी उसके साथ विलय को स्वीकार नहीं करेंगे शेख अब्दुल्ला की भी यही धारणा थी पाकिस्तान में इस्लामिक ताकते सिर उठा लेंगी उनकी राजनीति भारत में ही चल सकेगी यह धारा शेख अब्दुल्ला ने नेहरू जी पर दबाब डाल कर कश्मीर के लिए विशेषाधिकार की मांग की थी उनकी सोच थी आजाद कश्मीर एक दिन उनके वंशजों की जागीर बन जायेगी “जबकि संविधान निर्माता डॉ अम्बेडकर दूरदर्शी थे उन्होंने शेख अब्दुल्ला का विरोध करते हुए विशेषाधिकार का समर्थन किसी कीमत पर नहीं किया था लेकिन शेख फिर नेहरूजी से मिल कर उन पर दबाब डालने लगे नेहरू जी ने गोपाल स्वामी आयंगर को आम्बेडकर के पास भेजा नेहरू जी ने शेख के प्रस्ताव को अपनी प्रतिष्ठा से जोड़ लिया था अंत में वही हुआ जो शेख चाहते थे। आगे जाकर अध्यादेश द्वारा 35 a .370 धारा के साथ जोड़ दिया। कश्मीर की धरती पाकिस्तान समर्थित आतंकियों द्वारा खून से रंगी जाने लगी बड़ी मुश्किल से संसद के दोनों सदनों में संविधान में संशोधन कर 5 अगस्त 2019 यह धारा हटाई जा सकीं। सांसदों ने पार्टी लाइन से हट कर देश हित में धारा 370 ,35 A हटाने के पक्ष में वोट दिया था इस अवसर पर स्वर्गीय बाबा साहब को सबने याद किया।

डॉ अम्बेडकर ने देश को चेतावनी दी थी हमारा देश प्रजातांत्रिक गणतन्त्र हैं बहुमत का शासन है ,विरोध का अधिकार है लेकिन किसी भी तरह के विरोध में खूनी क्रान्ति की तरफ देश को नहीं ले जाना चाहिए आजादी प्लेट पर नहीं मिली थी। हमारी अपनी सरकार है सहयोग से देश का निर्माण होता है नहीं तो भयंकर परिणाम भुगतने पड़ेंगे आज हम देख रहें हैं अपनी मांगों को मनवाने के लिए सार्वजनिक सम्पत्ति को तोड़ना, यातायात का साधन रेलें रोक कर देश को रोक देते हैं सब स्वतन्त्रता के अधिकार के नाम पर किसी भी किस्म की तानाशाही क्या सही है ?
उनके अनुसार भारत में व्यक्ति पूजा का चलन है किसी को भी महान नायक समझ कर अपनी स्वतन्त्रता और अधिकार उसके चरणों में नही डालना चाहिये सामान्य व्यक्ति का देवीयकरण कर अपनी सुरक्षा की जिम्मेदारी उसे सौंप देते हैं जिससे निर्भरता की आदत उस पर डाल कर कर्तव्यों के प्रति तटस्थ हो जायेंगे इससे व्यक्ति प्रमुख हो जाएगा संविधान की सर्वोच्चत कम हो जाएगी| व्यक्ति पूजा राजनीति में नहीं चलती किसी को ऊँचा उठाने के लिए आप नीचे गिरते हो देश ने थोपी गयी आपतकालीन स्थिति भी देखी है।

संविधान ने सबको वोट देने का अधिकार दिया है अमीर और गरीब दोनों के वोट का मूल्य एक है लेकिन आर्थिक दृष्टि से हम समान नहीं हैं यह केवल राजनीतिक प्रजातंत्र है, आर्थिक और सामाजिक विषमता से गरीब के वोट का महत्व समाप्त हो जाता है प्रजातंत्र भी खतरे में पड़ जाता है लेकिन अब उलटा हो रहा है चुनाव के समय बड़े – बड़े प्रलोभन दिए जाते हैं धन बल से वोट खरीदे जाते हैं संसद में बल और धन से वोट खरीद कर बाहुबली और सम्पन्न लोग संसद में बैठे हैं दलितों को भी वोट बैंक ही समझा जा रहा है। आज बाबा साहब का नाम हर राजनीतिक दल को अजीज है इसलिए नहीं वह महान विचारक थे दलित समाज के उद्धारक थे उनके नाम के साथ वोट बैंक है।

वह औद्योगिक करण के समर्थक थे उन्होंने पूरी तरह केवल कृषि आधारित इकोनोमी का समर्थन नहीं किया। उन्होंने संविधान प्रदत्त मौलिक अधिकारों का समर्थन किया ,राज्य के नीति निर्देशक तत्वों द्वारा अधिकारों की सीमा निर्धारित की थी लेकिन आज के उभरते नेता अधिकारों के विस्तार की बात करते हैं कुछ तो अपने आप को अराजकता वादी कहते हैं कभी स्वराज अब रामराज्य के लिए वोट मांगते हैं दीवारों पर नारे लिखे दिखाई देते थे अब सत्ता का जन्म बंदूक से होता है नक्सलवाद प्रभावित क्षेत्रों में आये दिन खून खराबा होता रहता है।

डॉ अम्बेडकर को की महिलाएं ऋणी हैं ,देश के पहले कानून 1951 मे संसद में उन्होंने हिन्दू कोड बिल पेश किया जिससे कानूनी रूप से महिलाओं को अधिकार दिए जायें इसमें विवाह की आयु , विवाह का टूटना , विरासत , तलाक के बाद गुजारा भत्ता ,पत्नी के जीते जी दूसरी शादी पर प्रतिबन्ध और उत्तराधिकार सम्बन्धी कानून थे संसद सदस्यों की एक बड़ी संख्या इसके खिलाफ़ थी डॉ अम्बेडकर ने मंत्रिमंडल से इस्तीफा दे दिया बाद में महिलाओं की हालत सुधारने के लिए कई कानून बने।

उन्होंने बौद्ध धर्म की दीक्षा ली तथागत ने सभी सुखों का त्याग कर मानव के दुखों का निवारण करने का प्रयत्न किया था अत: गौतम बुद्ध उनके हृदय के समीप थे बाबासाहेब को सच्ची श्रद्धांजलि तभी होगी जब देश में सामाजिक चेतना जगेगी सभी एक समान समझे जायेंगे और हम उनके विचारों के मर्म को समझेंगे उनकी जगह-जगह मूर्ति लगाने लेकिन राजनीतिक स्वार्थ के लिए उनकी मूर्तियों को खंडित करने का विरोध सबको करना चाहिए उन्हें भारत रत्न देर से दिया गया लेकिन वह भारत रत्न शुरू से थे।

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