Dr. Bhimrao Ambedkar: भारतीय संविधान के जनक कहे जाने वाले डॉ. भीमराव अम्बेडकर की आज यानि 6 दिसम्बर को 67 वीँ पुण्यतिथि मनाई जा रही है और समस्त देशवासी बाबा साहेब के विचारों को याद कर रहे हैं। इस मौके पर कई शहरों में सभाएँ आयोजित की गयीं एवं उन्हें श्रद्धासुमन अर्पित किये गए।
Dr. Ambedkar
14 अप्रैल1891 को मध्य प्रदेश के छोटे गाँव महू में जन्म लेने वाले भीमराव अम्बेडकर ने भारत को एक संवैधानिक राष्ट्र बनाने में विशिष्ट योगदान दिया। उन्होंने भारत में शिक्षा तथा कानून के प्रति अपने विचारों को कोने-कोने तक पहुँचाया और देशवासियों को यह अहसास दिलाया कि शिक्षा का उनके जीवन में कितना अधिक महत्व है। उनका कहना था कि शिक्षा का अधिकार किसी भी धर्म, जाति, सम्प्रदाय की पृष्ठ भूमि से जुड़ा हुआ नहीं होना चाहिये।
प्रत्येक व्यक्ति को यह मूलभूत अधिकार मिलना ही चाहिये।उनके नेक विचारों ने लोगों को उनके साथ जुड़ने में मदद की। जब 6 दिसम्बर 1956 को बाबा साहेब का स्वर्गवास हुआ तब समूचे देश भर में शोक की लहर दौड़ गयी, किन्तु सभी ने मिलकर यह निर्णय लिया कि वे कभी भी बाबा साहेब की विचार धारा को खत्म नहीं होने देंगे।यही कारण है कि आज उनकी 67वीँ पुण्यतिथि पर सभी उनके विचारों एवं योगदान को स्मरण कर रहे हैं।
आज के दिन को महा परिनिर्वाण दिवस के रूप में भी मनाते हैं क्योंकि बाबा साहेब बौद्ध धर्म के महान अनुयायी थे और बौद्ध धर्म में महा परिनिर्वाण का अर्थ है ” मृत्यु के पश्चात निर्वाण अर्थात मोक्ष प्राप्त होना।”
इस दिन के मौके पर छतीसगढ़ के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने उन्हें याद करते हुए कहा कि वे समाज को हमेशा जाति के बंधनों से ऊपर उठकर देखते थे। वेकई सारी भाषाओं के जानकार एवं बहुआयामी प्रतिभा के धनी थे।देश उन्हें सदैव उनके अविस्मरणीय कार्यों के लिए याद रखेगा।