Bihar Assembly Election 2025

Bihar Assembly Election 2025 :  बिहार की राजनीति एक बार फिर निर्णायक मोड़ पर है। असदुद्दीन ओवैसी की पार्टी AIMIM ने महागठबंधन में शामिल होने की खुली पेशकश कर सियासी गलियारों में खलबली मचा दी है। पार्टी के बिहार प्रदेश अध्यक्ष अख्तरुल ईमान ने इस बाबत आरजेडी प्रमुख लालू प्रसाद यादव को चिट्ठी लिखकर सहयोग का अनुरोध किया है और तेजस्वी यादव से भी संपर्क साधा गया है। हालांकि, अब तक आरजेडी की तरफ से कोई आधिकारिक प्रतिक्रिया सामने नहीं आई है। इस बीच, INDIA गठबंधन, जिसमें पहले से छह दल शामिल हैं, सीट बंटवारे को लेकर असमंजस में हैऔर अब AIMIM, वीआईपी और झामुमो जैसी पार्टियों की दावेदारी ने इस गठबंधन के भीतर समीकरण और जटिल कर दिए हैं।

वहीं आम आदमी पार्टी ने इस बार अकेले चुनावी मैदान में उतरने का ऐलान कर दिया है। AIMIM के बिहार प्रदेश अध्यक्ष अख्तरुल ईमान ने 2 जुलाई को लालू यादव को पत्र भेजकर आग्रह किया कि पार्टी को महागठबंधन में शामिल किया जाए ताकि सेक्युलर वोटों का बंटवारा न हो और NDA को सत्ता से बाहर किया जा सके। इस पत्र के बाद राजनीतिक गलियारों में हलचल मच गई है। लेकिन ये केवल दोस्ती का पैग़ाम नहीं है, यह रणनीतिक दांव भी है—वोट बैंक को साधने और विरोधियों को असहज करने का।

गठबंधन की सबसे बड़ी चुनौती

INDIA गठबंधन में पहले से ही छह पार्टियां सक्रिय हैं और अब तक करीब 196 सीटों पर दावेदारी हो चुकी है, जबकि बिहार विधानसभा की कुल 243 सीटें हैं। RJD खुद 138 सीटों पर लड़ने की तैयारी कर रही है। ऐसे में AIMIM की एंट्री को लेकर एक बड़ा सवाल यह भी है कि क्या RJD और कांग्रेस अपने पुराने सहयोगियों की नाराज़गी झेलने को तैयार हैं? AIMIM लंबे समय से भाजपा की ‘बी टीम’ कहकर बदनाम की जाती रही है। अब जब ओवैसी खुद महागठबंधन में शामिल होने की बात कर रहे हैं, तो यह उनकी छवि को बदलने का प्रयास भी माना जा रहा है। सीमांचल में मुस्लिम वोटरों पर AIMIM की पकड़ है, और यह वही इलाका है जिसने 2020 में राजद को तगड़ा झटका दिया था।

गठबंधन के भीतर भी असहजता

महागठबंधन में झारखंड मुक्ति मोर्चा और वीआईपी जैसी पार्टियों की सीटों को लेकर नाराज़गी पहले से है। अब AIMIM की दावेदारी से यह असंतुलन और बढ़ सकता है। कांग्रेस साफ कह चुकी है कि AIMIM ने उन्हें कोई प्रस्ताव नहीं दिया है, जबकि RJD का कहना है कि अंतिम निर्णय लालू और तेजस्वी लेंगे। ओवैसी का साफ कहना है कि उनकी पार्टी सिर्फ ‘वोट ट्रांसफर’ के लिए नहीं बनी है। AIMIM सत्ता और नीति-निर्माण में भागीदारी चाहती है। उनके शब्दों में—”हम हिस्सेदारी की बात करते हैं, तेजस्वी गुलामी की बात करते हैं।

यदि AIMIM को महागठबंधन में जगह नहीं मिली, तो सीमांचल में वोटों का विभाजन तय है। इसका सीधा फायदा एनडीए को मिलेगा। जानकार मानते हैं कि ओवैसी इस रणनीति के तहत खुद को दोष से मुक्त दिखाकर कांग्रेस-राजद पर नैतिक दबाव बनाना चाहते हैं। बता दें कि साल  2020 में AIMIM ने 20 सीटों पर चुनाव लड़ा था और 5 सीटें जीत ली थीं। हालांकि इनमें से चार विधायक बाद में RJD में चले गए। इसके बावजूद सीमांचल में AIMIM का असर बरकरार है। 2024 के लोकसभा चुनाव में भी पार्टी ने 8 सीटों पर उम्मीदवार उतारे और लगभग 3.8 लाख वोट हासिल किए।      Bihar Assembly Election 2025

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