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G-20: जी20 की बैठक में भूमि क्षरण, संसाधानों पर होगी चर्चा

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G-20: नई दिल्ली। भूमि क्षरण, जैव विविधता का विनाश, समुद्री प्रदूषण, मैंग्रोव व कोरल रीफ का संरक्षण, संसाधानों का अति उपयोग और कूड़े के निस्तारण में खामी वे अहम पर्यावरण चिंताएं हैं जिनके समाधान की कोशिश भारत की अध्यक्षता में जी-20 की प्राथमिकता होगी। केंद्रीय पर्यावरण मंत्रालय ने यह जानकारी दी। अधिकारियों ने बताया कि जलवायु वित्त के मुद्दे को चर्चा में शामिल किया जाएगा।

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शेरपा ट्रैक के अधीन गठित 13 कार्य समूहों में से एक पर्यावरण व जलवायु स्थायित्व कार्यसमूह फरवरी और मई के बीच चार बार बैठक करेगा।

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पहली बैठक बेंगलुरु में नौ से 11 फरवरी के बीच होगी, दूसरी बैठक गांधीनगर में 27 से 29 मार्च के बीच प्रस्तावित है, तीसरी बैठक मुंबई में 21 से 23 मई के बीच होगी और चौथी बैठक के लिए चेन्नई को चुना गया है जहां पर 26 और 27 मई को समूह की बैठक प्रस्तावित है। समूह की मंत्री स्तर की बैठक 28 जुलाई को चेन्नई में आयोजित करने की योजना है।

अतिरिक्त सचिव रिचा शर्मा ने कहा, तत्काल भूमि क्षरण, जैव विविधिता को हो रही हानि को रोकने और पारिस्थितिकी को बहाल करने की जरूरत है क्योंकि दुनिया की 23 प्रतिशत भूमि अब संसाधनों के अतिदोहन और बंजर होने की वजह से कृषि उत्पादन के अनुकूल नहीं है।

सितंबर 2020 में जारी ‘डब्ल्यूडब्ल्यूएफ लिविंग प्लैनट रिपोर्ट के मुताबिक वर्ष 1970 से अब तक स्तनपायी, पक्षियों, उभचरियों, सरीसृपों और मछलियों की आबादी में गिरावट आई है। अधिकारी ने बताया कि दूसरी प्राथमिकता स्थायी और जलवायु अनुकूल नीली अर्थव्यवस्था है। उन्होंने बताया कि भारत नीली अर्थव्यवस्था के लिए नीति बनाने के अंतिम चरण में है।

उन्होंने कहा, यह अहम मुद्दा है और हम इंडोनिशया की अध्यक्षता से इसे जारी रखना चाहते हैं। इसलिए समुद्री प्रदूषण, मैंग्रोव और कोरल रीफ का सरंक्षण वे मुद्दे हैं जिन पर भारत की अध्यक्षता के दौरान चर्चा होगी।

अधिकारी ने बताया कि भारत विशेष तौर पर समुद्र में कचरे के मुद्दे पर ध्यान आकर्षित कराना चाहता है और वह समन्यवित समुद्र तट सफाई अभियान शुरू करेगा जिसमें जी-20 समूह के सभी देश और मेहमान देश 21 मई को हिस्सा लेंगे। उन्होंने बताया कि तीसरी प्राथमिकता संसाधनों का उचित उपयोग और ‘सर्कुलर अर्थव्यवस्था’ भारत सरकार की एक अन्य प्रमुख नीतिगत प्राथमिकता है।

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