Google : गूगल (google) दुनिया का सबसे बड़ा सर्च इंजन है। गूगल दुनिया में ज्ञान का सबसे बड़ा भंडार है। इस बात से खुद गूगल का प्रबंधन इंकार करता है। गूगल (google ) के प्रबंधकों का कहना है कि यह बात गलत है कि गूगल दुनिया में ज्ञान का सबसे बड़ा भंडार है। उनका कहना है कि ज्ञान की तथा ज्ञान के भंडार की कोई सीमा नहीं होती है। हां यह बात सही हो सकती है कि गूगल के पास ज्ञान का बड़ा भंडार है। इसे यूं भी कहा जा सकता है कि गूगल के पास दुनिया की अधिकतर जानकारी मौजूद हैं।
कैसे पड़ा google का नाम?
इस लेख में आगे बढ़ने से पहले संक्षिप्त रूप में आपको गूगल का इतिहास बता देते हैं। आपको बता दें कि गूगल की स्थापना 4 सितंबर 1998 को एक सर्च इंजन के तौर पर की गई थी। शुरू में गूगल का नाम बैकरब था। बाद में गूगल के को फाउंडर लैरी पेज तथा सर्गेई ब्रिन ने बैकरब का नाम गूगल रख दिया। आपको बता दें कि गूगल शब्द अंग्रेजी के शब्द गूगोल से बना है। अंग्रेजी के शब्द गूगोल का मतलब संख्या के साथ जोड़ा जाता है। एक ऐसी संख्या जिसमें एक (1) के आगे सौ (100) जीरो (शून्य) लगी हों। गूगोल नाम अनंत या अपार का प्रतीक है। गूगोल शब्द महान गणितज्ञ एडवर्ड कैस्नर को उनके भांजे मिल्टन सिरोटा ने सुझाया था। बैकरब का नाम बदलकर गूगल करते समय गूगल के संस्थापकों के मन में गूगोल शब्द आया। उन्होंने गूगोल में थोड़ा सा बदलाव करके गूगल कर दिया। इस प्रकार गूगल नाम पड़ा। गूगल नाम को दुनिया का बच्चा-बच्चा जानता है।
गूगल कैसे बना ज्ञान का बड़ा भण्डार?
गूगल ज्ञान का बहुत बड़ा भण्डार है। गूगल को ज्ञान का भण्डार बनाने में गूगल के साथ जुड़े हुए करोड़ों पब्लिशर (प्रकाशक) का हाथ है। गूगल के साथ दुनिया के हर देश से करोड़ों प्रकाशक जुड़े हुए हैं। दुनिया की प्रत्येक भाषा में प्रकाशित होने वाली जानकारी को पब्लिशर गूगल के साथ जोड़ते हैं। रोजाना करोड़ों प्रकार की जानकारी जुड़ते जाने से यह जानकारी अरबों में पहुंच जाती है। फिर जब भी आप गूगल से कोई सवाल पूछते हैं तो गूगल के द्वारा आपको फटाफट उत्तर दे दिया जाता है। गूगल के बढ़ते हुए प्रचलन के कारण ज्ञान के खजाने के रूप में मौजूद किताबों, अखबारों तथा पत्रिकाओं की बिक्री भी घटती जा रही है। जो भी किताबों, अखबारों तथा पत्रिकाओं में प्रकाशित होता है वह पहले से ही गूगल के पास मौजूद है।
सबसे बड़ा जासूस भी है गूगल
जी हां गूगल ज्ञान के बड़े बाजार के साथ ही साथ दुनिया का सबसे बड़ा जासूस भी है। दुनिया के 250 करोड़ से भी अधिक लोगों की निजी जानकारी गूगल के पास मौजूद है। यह अलग बात है कि अपने कठोर नियमों के कारण गूगल किसी की भी निजी जानकारी का कभी भी दुरूपयोग नहीं करता है। सच तो यह है कि जितनी जानकारी अपने विषय में किसी व्यक्ति को खुद भी याद नहीं है उससे भी अधिक जानकारी 250 करोड़ से अधिक नागरिकों के विषय में गूगल के पास है।
आप कब क्या करते हैं गूगल को सब कुछ पता है
आपको बता दें कि आप किस समय क्या काम करते हैं गूगल के पास आपकी सारी जानकारी रहती है। सुबह से उठकर आप दिनभर क्या करते हैं, आप कहां आते-जाते हैं, क्या खाते हैं गूगल को सब पता रहता है। गूगल आपके विषय में सब कुछ जानता है। उसका कारण यह है कि गूगल को पता है कि आप गूगल पर क्या सर्च करते हैं, किस सर्च पर कितना समय गुजारते हैं, कहां रोज जाते-आते हैं, क्या सर्विसेस ले रहे हैं, आनलाइन क्या कर रहे हैं, आनलाइन क्या पढ़ रहे हैं, आप जो बोलते हैं, कहा जाता है कि गूगल वो भी आपके स्मार्टफोन पर अपने कई एप्स के जरिए रिकॉर्ड कर रहा होता है, मेल पर जो लिख रहे हैं, उस पर गूगल की नजर है।
गूगल मैप और मैप जैसी सेवाएं यूजर्स की गतिविधियों और आने-जाने को ट्रैक करती हैं। ये बताती है कि आप रोज तकरीबन कितने बजे घर से निकलते हैं। कहां होते हुए कहां जाते हैं, वहां कितना समय बिताते हैं। आपका ये डेटा आपको मालूम ही नहीं कब से गूगल रिकॉर्ड कर रहा है. उससे वो आपकी सारी आदतों और रुटीन के बारे में जानता है। आप अगर कहीं जा रहे हैं और टिकट बुक कर रहे हैं तो ये भी गूगल डेटा के जरिए जान लेता है। लिहाजा मौसम की अगले कुछ दिनों की भविष्यवाणी की तरह वो भी बता देगा कि आप अगले कुछ दिनों में क्या करने वाले हैं। बहुत से लोग रोज कई गूगल सेवाओं का उपयोग करते हैंञ जैसे कि जीमेल, यूट्यूब और गूगल ड्राइव, जिससे वो हर यूजर्स इंटरैक्शन पर डेटा इकट्ठा करता है। आप जो कुछ आर्डर ऑनलाइन देता है उससे वह आपकी रुचि और व्यवहार जानता है।
बताया जाता है google के एल्गोरिदम यूजर्स के बारे में इकट्ठा किए गए हर तरह के डेटा के विश्लेषण से इतने तरह की बारीक जानकारियां निकाल लेते हैं कि खुद यूजर को नहीं पता होगा कि वो खुद ऐसा है। ये बात सही है कि आज के दौर में डेटा इतना अहम है कि उसकी तमाम विविधताओं का अगर विश्लेषण करें तो वो गूगल यूजर्स की ऐसी कुंडली बना देगा कि कोई ज्योतिषी भी नहीं बता सकता है। आपकी पूरी पर्सनालिटी का वह सटीक जानकारी दे देगा। गूगल आपके रोजाना आने जाने ठहरने, रोज रात गुजारने और आपके द्वारा खींची गई तस्वीरों और बातचीत के जरिए ये जानता है कि आपके घर का पता क्या है। आपके घर में कौन कौन है। आपके सीक्रेट्स क्या हैं। गूगल के डेटा अब इतने समृ्द्ध हो चुके हैं कि वो हर इलाके के नेचर, वहां के लोगों की आदतें, उनके रुझान और बिलीव के बारे में ग्रुप में बांटकर सारी जानकारी दे सकता है।
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