Gujrat Temple : भारत के पश्चिम में स्थित गुजरात अपनी जीवंत संस्कृति, समृद्ध विरासत, प्राकृतिक सुन्दरता और स्वादिष्ट व्यंजनों के आलावा धार्मिक स्थल और प्राचीन मंदिरों के लिये भी जाना जाता है। गुजरात के मंदिर ना केवल धार्मिक रूप से महत्त्वपूर्ण, बल्कि वास्तु और शिल्प का उत्कृष्ट नमूना है। जो पिछले समय में राज्य की भव्यता को प्रस्तुत करते है। गुजरात के अनोखे मंदिरों का आर्किटेक्चर देखकर आप हैरान रह जाएंगे।
Gujrat Temple :
आज हम आपको गुजरात के कुछ ऐसे ही मन्दिरों के बारे मे बताने जा रहे हैं, जिनकी शिल्पकला और भव्यता देखते बनती है।
सोमनाथ मंदिर
सोमनाथ मंदिर सिर्फ गुजरात में ही नहीं, अपितु पूरे भारतवर्ष में प्रसिद्ध है। यह मंदिर भगवान शिव के 12 ज्योतिर्लिंग में से एक है। जिस कारण इस मंदिर ने गुजरात और भारत के साथ साथ पूरे विश्व में प्रसिद्धि हासिल की है। इस प्राचीन मंदिर को उस समय महमूद गजनवी समेत विभिन्न मुस्लिम आक्रमणकारियों और पुर्तगालियों द्वारा कई बार लूटा गया और ध्वस्त किया गया था। प्रसिद्ध हिंदू वास्तुकला के कारण सोमनाथ मंदिर को गुजरात के सबसे भव्य मंदिर में से एक माना जाता है, जो हर साल लाखों की संख्या में श्रद्धालुओं और पर्यटकों की मेजबानी करता है।
द्वारकाधीश मंदिर द्वारका
द्वारकाधीश मंदिर भगवान श्री कृष्ण को समर्पित है, जिसे जगत मंदिर और त्रिलोक सुंदर मंदिर के नाम से भी जाना जाता है। इस मंदिर को गुजरात के प्राचीन मंदिर के रूप में भी जाना जाता है। ये हिन्दू धर्म की चार धाम यात्रा का एक हिस्सा। यह मंदिर 2500 साल से अधिक पुराना है। यह शानदार बलुआ पत्थरों से बनी 5 मंजिला इमारत है। इसमें सुंदर अद्भुत नक्काशी है। मंदिर के मुख्य द्वार को ‘मोक्ष द्वार’ के रूप में जाना जाता है।
अक्षरधाम मंदिर गांधीनगर
गुजरात के गांधीनगर में स्थित स्वामीनारायण अक्षरधाम मंदिर गुजरात के सबसे बड़े मंदिरों में से एक है। मंदिर का एक प्रमुख आकर्षण 45 मिनट का वाटर शो है, जो सूर्यास्त के बाद आयोजित किया जाता है। भगवान स्वामीनारायण की सोने की परत चढ़ी मूर्ति विशाल है, जिसकी ऊंचाई सात फीट है। मंदिर नक्काशीदार स्तंभों से लेकर दीवारों पर वेदों के शिलालेखों तक, अपनी आभा, सुंदरता और महत्व उत्पन्न करने के लिए जाना जाता है।
रुक्मणी मंदिर द्वारका
रुक्मणी मंदिर भगवान कृष्ण की पत्नी और उनकी आइडल रुक्मणी को समर्पित है, जो गुजरात के प्रमुख धार्मिक स्थल में से एक है।अपनी सुंदर नक्काशी और अपने शानदार ढंग से डिजाइन किए गए दो पैनलों के लिए काफी लोकप्रिय है। इस प्राचीन मंदिर का निर्माण 12वीं शताब्दी के आसपास हुआ था।
कलिका माता मंदिर चंपानेर
भारत में स्थापित 52 शक्तिपीठों में से एक कालिका माता का यह पहाड़ी मंदिर हिंदू देवी, माँ काली को समर्पित है। यह मंदिर जंगलों के बीच एक पहाड़ी पर स्थित है। इसीलिए मंदिर तक पहुँचने के लिए सीढ़ियों का लम्बा सफ़र तय करना पड़ता है। जैसे ही आप मंदिर में प्रवेश करते हैं तो सबसे पहले आपको मंदिर के तीनों प्रमुख देवताओं के दर्शन प्राप्त होते हैं।
बाला हनुमान मंदिर
रणमल झील के दक्षिण-पूर्वी किनारे पर स्थित, बाला हनुमान मंदिर भगवान हनुमान को समर्पित है और हर साल बड़ी संख्या में उनके भक्त यहां आते हैं। इस मंदिर की स्थापना प्रेम भिक्षुजी ने 1963-64 में की थी। हनुमान मंदिर में होने वाली शाम की आरती दिन की सबसे विषेश आरती है, जिसमे अक्सर यहां आने वाले सभी श्रद्धालु शामिल होने का प्रयास करते हैं।