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हाल-ए-पंजाब : “चन्नी” के भरोसे कांग्रेस?

विनय संकोची

कांग्रेस ने पंजाब (Punjab)  में दलित सिख चरणजीत सिंह चन्नी को मुख्यमंत्री बनाकर मास्टर स्ट्रोक खेला है, जो उसे आने वाले चुनाव में फायदा पहुंचा सकता है। लेकिन यह तभी संभव हो पाएगा जब पार्टी अपने कुछ जरूरत से ही ज्यादा नाराज नेताओं को मना ले। इस समय सुनील जाखड़ पूरी तरह से उखड़े हुए हैं और उन्हें मनाने के अब तक के प्रयास सफल नहीं हो पाए हैं।

कैप्टन अमरिंदर सिंह (Cpt Amrinder Singh ) के त्यागपत्र के बाद भावी मुख्यमंत्रियों की सूची में सुनील जाखड़ सबसे आगे चल रहे थे, लेकिन चरणजीत सिंह चन्नी बाजी मार ले गए। सुनील जाखड़ का पंजाब कांग्रेस का अध्यक्ष पद भी नवजोत सिंह सिद्धू के खाते में चला गया सुनील जाखड़ खाली हाथ रह गए।

सुनील जाखड़ बेहद नाराज हैं और उनकी नाराजगी दूर करने के लिए राहुल और प्रियंका गांधी उन्हें शिमला से लौटते हुए अपने साथ विमान से दिल्ली ले आए, क्योंकि जाखड़ का पंजाब में रहकर बयान बाजी करना पार्टी के लिए अच्छा नहीं था। यह तो लगभग असंभव ही है कि अब “चन्नी” को हटाकर सुनील जाखड़ को मुख्यमंत्री बना दिया जाए। उप मुख्यमंत्री बनाए जाने का प्रस्ताव जाखड़ पहले ही ठुकरा चुके हैं।

सुनील जाखड़ की नाराजगी समाप्त करने के लिए पार्टी उन्हें कोई न कोई तो महत्वपूर्ण जिम्मेदारी अवश्य ही देगी और यह जिम्मेदारी चुनावी कैंपेन कमेटी के अध्यक्ष की भी हो सकती है। हालांकि हरीश रावत ने कहा था कि पंजाब का चुनाव नवजोत सिंह सिद्धू के नेतृत्व में लड़ा जाएगा, बाद में कांग्रेस ने इस पर सफाई देते हुए कहा था कि अगला चुनाव सिद्धू और जाखड़ दोनो के ही नेतृत्व में होगा। चुनावी कैंपेन की कमान जाखड़ को दिए जाने के संभावित फैसले पर सिद्धू की क्या प्रतिक्रिया होगी, यह देखना दिलचस्प होगा। लेकिन फिलहाल सुनील जाखड़ की नाराजगी कांग्रेस के लिए सिरदर्द तो है ही। कांग्रेस किसी प्रभावशाली नेता की नाराजगी का जोखिम उठाना नहीं चाहेगी। सुनील जाखड़ पंजाब में कांग्रेस का जाट चेहरा हैं। भाजपा के खिलाफ जिस तरह जाटों के बीच नाराजगी है ऐसे में चुनावी नजरिए से कांग्रेस के लिए जाखड़ का खुश रहना बहुत महत्वपूर्ण है। हिंदुओं और सिखों में भी उनकी स्वीकार्यता है। जाखड़ को अहम भूमिका देना कांग्रेस के लिए जरूरी भी है और उसकी मजबूरी भी।

मुख्यमंत्री के रूप में दलित सिख चरणजीत सिंह चन्नी का चयन करके वास्तव में कांग्रेस ने एक तीर से कई निशाने साधे हैं। गत जुलाई में भारतीय जनता पार्टी ने 2022 के चुनावों में दलित मुख्यमंत्री बनाने का वादा किया था, कांग्रेस ने चन्नी को मुख्यमंत्री बनाकर भाजपा से मुद्दा ही छीन लिया। पंजाब में 32% दलित आबादी है और कुल 117 में से 34 सीटें रिजर्व हैं। उधर अकाली दल ने एक हिंदू और एक दलित को मुख्यमंत्री बनाने की बात जोरशोर से कही थी, कांग्रेस ने हिंदू नेता ओ. पी. सोनी और जाट सिख समुदाय से सुखजिंदर सिंह रंधावा को उपमुख्यमंत्री बनाकर उसे भी झटका दे दिया।

सरदार चरणजीत सिंह चन्नी को मुख्यमंत्री बनाकर कांग्रेसी ने विरोधियों के सामने एक नई और बड़ी चुनौती खड़ी कर दी है। देखना रोचक होगा कि विरोधी अब कौन सा तुरुप का पत्ता लाते हैं जिससे कांग्रेस को हराया जा सके। यदि कांग्रेस ने अपने नाराज नेताओं को साध लिया तो विरोधियों को रणनीति बनाने में मुश्किल तो निश्चित रूप से आएगी। साथ ही कांग्रेस को कैप्टन अमरिंदर सिंह को भी अपने पक्ष में रखने की कोशिश निरंतर जारी रखनी होगी। कैप्टन सिद्धू से इतने नाराज हैं कि वह सिद्धू को हराने के लिए, उन्हें मुख्यमंत्री बनने से रोकने के लिए किसी हद तक जा सकते हैं। देखना होगा कि सिद्धू के खिलाफ कैप्टन द्वारा उठाया गया कोई कदम कांग्रेस के लिए मुसीबत न खड़ी कर दे।

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