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कांग्रेस न संभली तो घाटे में रहेगी !

 विनय संकोची

कांग्रेस में सब कुछ ठीक नहीं चल रहा है और हाईकमान भी नर्वस है। पंजाब के पूर्व मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह ने साफ कर दिया है कि अब वह कांग्रेस में नहीं रहेंगे लेकिन फिलहाल भारतीय जनता पार्टी में भी शामिल नहीं होंगे। कैप्टन अब भी बार-बार दोहरा रहे हैं कि इतनी बेइज्जती के बाद कांग्रेस में बने रहने का कोई औचित्य नहीं है। कैप्टन अमरिंदर सिंह नवजोत सिंह सिद्धू से बहुत ज्यादा नाराज हैं। उनका कहना है कि वह सिद्धू को हर हाल में हराएंगे। कैप्टन ने यह भी कहा कि पंजाब में कांग्रेस का ग्राफ नीचे आया है।

कैप्टन ने केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह से मुलाकात की, तो लोगों ने उनके भाजपा में शामिल होने की अटकलें लगाना शुरू कर दिया। लेकिन कैप्टन का राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल से मुलाकात करने का कारण किसी को समझ नहीं आ रहा है। हालांकि कैप्टन ने कहा है कि यह ठीक है कि अब वह पंजाब के मुख्यमंत्री नहीं है लेकिन पंजाब तो अभी भी उनका है, इसलिए भी अमित शाह और अजीत डोभाल से मुलाकात की है। लेकिन लोगों का कहना है कि कैप्टन ने पंजाब के मुख्यमंत्री रहते हुए डोभाल से भेंट क्यों नहीं की और अब अचानक ऐसा क्या हो गया कि मुलाकात जरूरी हो गई।

विवाद के दौरान कैप्टन ने कहा था कि सिद्धू पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान और सेना प्रमुख कमर जावेद बाजवा के दोस्त हैं, देश की सुरक्षा की खातिर सिद्धू के मुख्यमंत्री पद के लिए नाम का विरोध करूंगा। कैप्टन अमरिंदर सिंह के इस पूर्व बयान की रोशनी में यदि उनकी राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार से भेंट को देखा जाए तो ये सिद्धू के लिए नई और बड़ी मुसीबत के संकेत हो सकते हैं। इस तरह के कयास तो लगाए ही जा रहे हैं, लेकिन तमाम लोग हैं जो सिद्धू की देशभक्ति पर संदेह का कोई कारण नहीं देखते हैं। हो सकता है कि कैप्टन और डोभाल की मुलाकात औपचारिक हो।

उल्लेखनीय है कि जब इमरान खान ने पाकिस्तान के प्रधानमंत्री पद की शपथ ली थी तो सिद्धू को शपथ ग्रहण समारोह में आने का निमंत्रण भेजा था। उस समय कैप्टन ने सिद्धू से इमरान खान के शपथ ग्रहण समारोह में शामिल होने के लिए पाकिस्तान न जाने को कहा था। लेकिन सिद्धू ने कैप्टन की सलाह को सिरे से नजरअंदाज कर दिया था। कैप्टन के मन में इस बात को लेकर सिद्धू के प्रति नाराजगी हमेशा बनी रहे।

सिद्धू को पंजाब कांग्रेस के अध्यक्ष बनाए जाने से कैप्टन खुश नहीं थे। अब जब सिद्धू ने अध्यक्ष पद से त्यागपत्र दिया तो कैप्टन ने प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए कहा – ‘मैंने कहा था कि सिद्धू स्थिर आदमी नहीं है। पंजाब जैसे सीमावर्ती राज्य के लिए सिद्धू फिट नहीं है।’ कैप्टन की इस टिप्पणी से सहमत होने वाले लोगों की संख्या कम नहीं है। सिद्धू जिस तरह का व्यवहार कर रहे हैं उसे राजनीति में अच्छी दृष्टि से नहीं देखा जाता है और इस तरह के नेता को धीरे-धीरे गंभीरता से लिया जाना बंद कर दिया जाता है। पंजाब कांग्रेस का अध्यक्ष बनने के साथ ही सिद्धू कैप्टन पर जबरदस्त तरीके से हमलावर हो गए थे, जिससे दोनों नेताओं के बीच तल्खी बढ़ती चली गई।

जब सिद्धू को पंजाब कांग्रेस का अध्यक्ष बनाया गया था, तब पंजाब में कांग्रेस का सबसे बड़ा जाट चेहरा माने जाने वाले सुनील जाखड़ भी नाराज हो गए थे और आज भी उनकी नाराजगी समाप्त नहीं हुई है। सिद्धू के त्यागपत्र पर सुनील जाखड़ ने ट्वीट करके कहा है – ‘यह क्रिकेट नहीं है। इस पूरे एपिसोड में जिस बात पर समझौता किया गया वह है कांग्रेसी नेतृत्व का पीसीसी अध्यक्ष (निवर्तमान) पर विश्वास करना। पद की गरिमा को ताक पर रखकर उसका इस तरह से उल्लंघन करना बिल्कुल भी सही नहीं ठहराया जा सकता है।’ इससे पहले सुनील जाखड़ ने प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान भविष्यवाणी की थी कि जिस तरह से पार्टी में चीजें चल रही हैं, उससे नहीं लगता कि नवजोत सिंह सिद्धू विधानसभा चुनाव 2022 तक पार्टी के साथ रहेंगे।’ जाखड़ की भविष्यवाणी से बहुत लोग सहमत हैं और सिद्धू के राजनीतिक व्यवहार को देखते हुए यह असंभव भी नहीं लगता है।

इस समय कांग्रेस के सामने संकट ही संकट है। कपिल सिब्बल और उनकी दलीलों से सहमत कांग्रेस के बड़े नेताओं ने कांग्रेस हाईकमान की नींद उड़ा रखी है। तमाम नेता खुलकर कांग्रेस नेतृत्व की आलोचना कर रहे हैं। यदि जल्दी ही कांग्रेस ने खुद को नहीं संभाला, तो आने वाले चुनावों में पार्टी को बड़ा नुकसान उठाना पड़ सकता है। इस तरह के संकेत भी मिल रहे हैं कि पंजाब के मुख्यमंत्री चरण सिंह चरणजीत सिंह चन्नी और सिद्धू के बीच लगभग सभी मुद्दों पर सहमति बन गई है यदि ऐसा है तो कांग्रेस का संकट फिलहाल टल सकता है।

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