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एक बार फिर आमने-सामने आए भारत-चीन के सैनिक

 चीन अपनी हरकतों से बाज नहीं आ रहा है। भारत से सटी सीमाओं पर चीनी सैनिक अक्सर घुसपैठ की कोशिश करते रहते हैं, बार-बार उन्हें इसका कड़ा जवाब दिया जाता है बावजूद इसके उनकी हरकतें लगातार बढ़ती चली जा रही हैं। ताजा मामला अरुणाचल प्रदेश सेक्टर का है। रक्षा सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार पिछले हफ्ते पेट्रोलिंग के वक्त लगभग 200 चीनी सैनिक भातरीय सीमा के काफी नजदीक तक आ गए थे। जिसके चलते दोनों देशों की सेनाओं के बीच तनाव फिर बढ़ गया। इसके बाद लोकल कमांडरों ने मोर्चा संभाला और आपसी बातचीत के बाद प्रोटोकॉल के तहत दोनों देशों की सेनाएं पीछे हट गईं। जानकारी के अनुसार इस तनातनी में किसी किसी भी प्रकार के नुकसान का कोई समाचार नहीं है।

दरअसल अरुणाचल सेक्टर में औपचारिक रूप से दोनों देशों की सीमाओं को सीमांकित नहीं किया गया है। इसलिए एलएसी को लेकर दोनों देशों की सेनाएं अपने-अपने दावे करती रहती हैं और यही कभी कभी संघर्ष का कारण भी बन जाती हैं। सूत्रों ने कहा कि दोनों पक्ष अपने प्रोटोकाल के अनुसार, गश्ती गतिविधियां करते हैं। जब भी दोनों पक्षों के गश्ती दल का आमना-सामना होता है, तो दोनों पक्षों द्वारा सहमत स्थापित प्रोटोकाल और तंत्र के अनुसार स्थिति का प्रबंधन किया जाता है। इससे पहले अगस्त में, भारत और चीन ने गोगरा हाइट्स क्षेत्र से सैनिकों को हटा दिया था और उन्हें उनके स्थायी ठिकानों पर वापस भेज दिया था। सैन्य वार्ता के 12वें दौर में भारत और चीन के सैनिकों को गश्त बिंदु 17A से हटाने पर सहमत हुए थे, जो पूर्वी लद्दाख क्षेत्र में दोनों देशों के बीच संघर्ष का एक मुख्य कारक बिन्दु है।

बता दें कि 30 अगस्त को उत्तराखंड के बाराहोती में चीन के तकरीबन सौ सैनिक सीमा रेखा पार कर भारतीय क्षेत्र में घुस आए थे। करीब पांच किलोमीटर तक अंदर आने के बाद चीनी सैनिक यहां से वापस लौट गए थे। रिपोर्ट्स के मुताबिक, भारतीय सीमा क्षेत्र से वापस लौटने के दौरान चीनी सैनिकों ने इलाके में एक पुल को भी नुकसान पहुंचाया था। हालांकि सुरक्षा एजेंसियों ने इस तरह की खबरों को खारिज कर दिया था। गौरतलब है कि पूर्वी लद्दाख में दोनों देशों की सेनाओं के बीच अप्रैल 2020 से ही तनातनी चल रही है। डेढ़ साल से भी ज्यादा समय हो गया है लेकिन यहां तनाव का माहौल है।

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