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बड़ी खबर : PM मोदी के खिलाफ दायर की गई याचिका एक झटके में खारिज

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India News : प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के खिलाफ दिल्ली हाईकोर्ट में दायर याचिका को एक झटके में खारिज कर दिया है। भारत के प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के खिलाफ दिल्ली हाईकोर्ट में यह याचिका एक एडवोकेट ने दायर की थी। दिल्ली हाईकोर्ट ने एक झटके में ही प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के खिलाफ दायर याचिका को रदद कर दिया है। इस याचिका में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को 6 साल तक के लिए अयोग्य घोषित करने की मांग की गई थी।

क्या है पूरा मामला?

दरअसल यह पूरा मामला प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के एक भाषण से जुड़ा हुआ है। PM मोदी के भाषण को आधार बनाकर चर्चित वकील आनंद एस जोंधले एडवोकेट ने एक याचिका में प्रधानमंत्री को छह साल की अवधि के लिए चुनाव लड़ने से अयोग्य घोषित करने की मांग की थी। आनंद ने अपनी याचिका में कहा था कि पीएम मोदी ने 6 अप्रैल को उत्तर प्रदेश के पीलभीत में एक चुनावी रैली के दौरान हिंदू देवताओं और सिख गुरुओं का जिक्र किया था। दिल्ली हाई कोर्ट ने पीएम मोदी के चुनाव लड़ने पर प्रतिबंध की मांग वाली याचिका खारिज कर दी। दिल्ली हाई कोर्ट ने पीएम मोदी के चुनाव लड़ने पर प्रतिबंध की मांग वाली याचिका खारिज की। दिल्ली हाई कोर्ट ने आदर्श आचार संहिता (Model Code of Conduct) का उल्लंघन करने का हवाला देकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को छह साल के लिए चुनाव लड़ने से अयोग्य घोषित करने की मांग वाली याचिका खारिज कर दी है। याचिकाकर्ता ने पीएम मोदी पर उत्तर प्रदेश में एक चुनावी जनसभा को संबोधित करते समय आचार संहिता का उल्लंघन करने का आरोप लगाया था। एडवोकेट आनंद एस जोंधले द्वारा दायर याचिका में प्रधानमंत्री को छह साल की अवधि के लिए चुनाव लड़ने से अयोग्य घोषित करने की मांग की गई थी।

न्यायमूर्ति सचिन दत्ता की एकल पीठ ने कहा कि याचिकाकर्ता ‘पहले ही मान बैठा है’ कि आदर्श आचार संहिता का उल्लंघन हुआ है। चुनाव आयोग की ओर से पेश हुए वकील सिद्धांत कुमार द्वारा दी गई दलील में कहा गया है कि शिकायत का संज्ञान लेकर कार्रवाई की जाएगी और इस संबंध में जरूरी आदेश पारित किए जाएंगे।

आनंद ने अपनी याचिका में कहा था कि पीएम मोदी ने 6 अप्रैल को उत्तर प्रदेश के पीलभीत में एक चुनावी रैली के दौरान हिंदू देवताओं और सिख गुरुओं का जिक्र किया था। प्रधानमंत्री मोदी ने पीलभीत से भाजपा उम्मीदवार जितिन प्रसाद के समर्थन में रैली के दौरान कहा था, ‘उन्होंने राम मंदिर प्राण प्रतिष्ठा के निमंत्रण को अस्वीकार करके राम लला का अपमान किया। समारोह में शामिल होने वाले उनकी पार्टी के लोगों को छह साल के लिए पार्टी से निलंबित कर दिया गया। इंडिया ब्लॉक में शामिल पार्टियों ने हमेशा अयोध्या में राम मंदिर के निर्माण से नफरत की है।’

यह भी कहा गया था याचिका में कि आनंद एस जोंधले एडवोकेट ने हाई कोर्ट में दायर अपनी याचिका में कहा था कि ‘प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पीलीभीत में की जनसभा में अपने भाषण में कहा कि उन्होंने राम मंदिर का निर्माण करवाया। पीएम ने यह भी दावा किया कि उन्होंने करतारपुर साहिब कॉरिडोर का विकास करवाया और लंगर में इस्तेमाल होने वाली सामग्रियों पर से जीएसटी हटवाया। प्रधानमंत्री ने ग्ररुग्रंथ साहिब को अफगानिस्तान से सुरक्षित भारत ले आने की बात भी अपने भाषण में कही। इस प्रकार, नरेंद्र मोदी ने नियम सामान्य आचरण-1(1) और (3) के तहत दिए गए निर्देशों के खंड-III में उल्लिखित आदर्श आचार संहिता का उल्लंघन किया है।’

याचिकाकर्ता ने कोर्ट में कहा था कि पीएम नरेंद्र मोदी ने स्पष्ट रूप से पीलीभीत में अपने भाषण के दौरान आदर्श आचार संहिता का उल्लंघन किया है और इस तरह भारतीय दंड संहिता की धारा 153ए के तहत अपराध किया है. इस आधार पर जन प्रतिनिधित्व अधिनियम, 1951 के तहत अयोग्यता का प्रावधान है। आनंद एस जोंधाले ने हाई कोर्ट से ईसीआई को पीएम मोदी के खिलाफ भारतीय दंड संहिता की धारा 153ए के तहत एफआईआर दर्ज करने और उन्हें तत्काल प्रभाव से जन प्रतिनिधित्व अधिनियम, 1951 के नियमों का उल्लंघन करने कारण प्रधानमंत्री  नरेंद्र मोदी को 6 साल के लिए चुनाव लड़ने से अयोग्य घोषित कर दिया जाए।

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