India or Bharat : भारत देश के नाम को लेकर छिड़ी जंग में यदि सरकार को देश को नाम बदलना पड़ता तो आगे से आपको ‘सारे जहां से अच्छा हिन्दुस्ता हमारा’ नहीं बल्कि ‘सारे जहां से अच्छा भारत हमारा’ बोलना पड़ सकता है। दरअसल, देश की राजधानी दिल्ली में आयोजित हो रहे जी20 शिखर सम्मेलन के निमंत्रण पत्र पर अंग्रेजी में एक शब्द लिखा गया है President of Bharat’ यानि भारत के राष्ट्रपति। अब यदि इंडिया का नाम परिवर्तित कर भारत किया जाने लगा तो इस पर कितने हजार करोड़ रुपये खर्च हो सकते हैं, यही हम आपको इस खबर में बताएंगे।
India or Bharat
वैसे तो अपने देश को भारत और इंडिया दोनों ही नामों से पुकारा जाता है। विदेशों में तो बहुत कम ही लोग भारत को भारत करते हैं। वह सीधे तौर पर इंडिया ही बोलते हैं। इसके अलावा अपने देश भारतभर में विभिन्न मंचों पर आयोजित होने वाले कार्यक्रमों में भारत को भारत नहीं इंडिया ही बोला जाता है। अंग्रेजी के जानकार भी अपनी बोलचाल में इंडिया शब्द ही प्रयोग करते हैं।
केंद्र सरकार द्वारा इसी माह में संसद का एक विशेष सत्र भी बुलाया है। संभावना जतायी जा रही है कि इस विशेष सत्र में सरकार संविधान संशोधन विधेयक पेश कर सकती है। खबर ये भी है कि अगर सरकार यह कदम उठाती है, तो भारी खर्च उठाना पड़ सकता है।
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एक रिपोर्ट के मुताबिक, ‘इंडिया’ को ‘भारत’ करने यानि देश का नाम बदल कर भारत करने में करीब खर्च 14 हजार 304 करोड़ रुपये आ सकता है। इस आंकड़े की गणना दक्षिण अफ्रीका के वकील डेरेन ऑलिवियर के सुझाए फॉर्मूला से की गई है। दरअसल, 2018 में स्वैजीलैंड का नाम बदलकर इस्वातीनि कर किया गया था। कहा जा रहा था कि इसका मकसद औपनिवेशिकता से छुटकारा पाना था। उस दौरान ऑलिवियर ने देश के नाम बदलने में आने वाले खर्च की गणना के लिए एक विधि तैयार की थी।
उन्होंने इस अफ्रीकी देश के नाम बदलने की प्रक्रिया की तुलना एक बड़े कॉर्पोरेट में होने वाली रीब्रांडिंग से की थी। वकील डेरेन ऑलिवियर के अनुसार, एक बड़े इंटरप्राइज का औसत मार्केटिंग खर्च उसके कुल राजस्व का करीब 6 फीसदी होता है। जबकि, रीब्रांडिंग में कंपनी के कुल मार्केटिंग बजट का 10 फीसदी तक खर्च आ सकता है। उन्होंने अनुमान लगाया था कि स्वेजीलैंड का नाम इस्वातीनि करने में 60 मिलियन डॉलर का खर्च आएगा।
अब भारत पर इस फॉर्मूले को लागू किया जाता है, तो 2023 के वित्तीय वर्ष के अंत में राजस्व 23.84 लाख करोड़ रुपये था। इसमें टैक्स और नॉन टैक्स रेवेन्यू दोनों ही शामिल थे।
क्या कहता है इतिहास
हालांकि, भारत से पहले भी कई देश नाम बदलने की प्रक्रिया पर विचार कर चुके हैं। इनकी वजहों में प्रशासन स्तर पर सुधार, औपनिवेशिक प्रतीकों से छुटकारा जैसी बातें शामिल हैं। साल 1972 में श्रीलंका में भी नाम बदलने की प्रक्रिया हुई और करीब चार दशकों में पुराने नाम सीलोन को पूरी तरह हटाया जा सका। साल 2018 में स्वेजीलैंड का नाम भी बदलकर इस्वातीनि किया गया था। India or Bharat
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