Indian Army : सेना के जवानों को अब दुर्गम इलाको मे दुश्मनों से मुठभेड़ के दौरान घायल होने और स्वास्थ्य बिगड़ने पर लोकेशन भेजने के लिये मशक्कत नही करनी पड़ेगी।आने वाले दिनो मे सेना के जवानों को बुलेटप्रूफ जैकेट और सेंसर जीपीएस तकनीक मिलेगी। आईआईटी मद्रास और रक्षा मंत्रालय की डिफेंस पीएसयू ट्रूप कम्फर्टर्स लिमेटेड कंपनी ने सेंसर जीपीएस और इंटीग्रेटेड सिस्टम पर अनुसंधान के लिये एमओयू किया है ।आईआईटी मद्रास और टीसीएल के बीच दो चरण की बातचीत हो चुकी है ।बुलेटप्रूफ जैकेट और सेंसर ऑपरेशन के दौरान सैनिकों की तबियत बिगड़ने पर जैकेट पर लगा सिस्टम हृदय गति और तापमान दर्ज करेगा।इसकी वजह से कमांडर ऑपरेशन के दौरान सैनिकों की निगरानी कर सकेंगे।
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आईआईटी मद्रास के वैज्ञानिक और टीसीएल के इंजीनियर मिलकर एक ऐसी इंटीग्रेटेड सिस्टम युक्त बुलेटप्रूफ जैकेट तैयार करेंगे जिसमे सेंसर भी लगा होगा जो सैनिकों को गोली लगने पर कंट्रोल रुम मे बैठी टीम को तुरंत लोकेशन भेज सकेगी।लोकेशन मिलते ही रेस्क्यू टीम फौरन रवाना हो जायेगीं । एमओयू के तहत स्वदेशी सेंसर जीपीएस व इंटीग्रेटेड बुलेटप्रूफ जैकेट सिस्टम का प्रोटोटाइप जून माह तक बनाये जाने की उम्मीद है ।सिस्टम तैयार होने के बाद कमांडरो का आपरेशन मे गये सैनिकों की दर से ही निगरानी करना आसान होगा।
अभी तक भारतीय सेना के पास ब्यूरो इंडियन स्टैंडर्ड लेवल पाँच की बुलेटप्रूफ जैकेट है ।ये जैकेट पहन कर ही सेना के जवान आपरेशन मे जाते है ।अब देश मे पहली बार रक्षा मंत्रालय के संस्थान टीसीएल ने नये अनुसंधान की शुरुआत की है ।