Thursday, 12 June 2025

Indira Gandhi Jayanti : जानिए वो कैसे बन गयी एक नन्ही सी परी से दुनिया की सबसे पावरफुल महिला

  डॉ शोभा भारद्वाज Indira Gandhi Jayanti :  आज ही के दिन 19 नबम्बर 1917 पण्डित जवाहरलाल नेहरू के घर…

Indira Gandhi Jayanti : जानिए वो कैसे बन गयी एक नन्ही सी परी से दुनिया की सबसे पावरफुल महिला

 

डॉ शोभा भारद्वाज

Indira Gandhi Jayanti :  आज ही के दिन 19 नबम्बर 1917 पण्डित जवाहरलाल नेहरू के घर में एक नन्ही सी परी ने जन्म लिया । नाम रखा गया इंदिरा प्रियदर्शनी ।इसी नन्ही सी परी ने आगे चल कर अपने प्रधानमंत्री पिता से भी अधिक शोहरत हासिल कर भारतीय इतिहास में स्वर्ण अक्षरों में अपना दर्ज कराया| | 24 जनवरी 1966 को इंदिरा गाँधी ने पहली बार प्रधान मंत्री पद की शपथ ली थी । इंदिरा जी के राजनीतिक जीवन में प्रशंसकों के साथ विरोधियों की भी कमी नहीं थी। उनके कार्यकाल में कांग्रेस का विभाजन हुआ | भारत में पहली बार आपतकालीन स्थिति की घोषणा हुई लेकिन उन्होंने इसे अपनी राजनीतिक भूल स्वीकार किया था |एक बार सत्ता भी उनके हाथ से चली गयी। जनता दल के शासन में उन पर शाह कमीशन द्वारा केस चलाया गया। बैंकों का राष्ट्रीयकरण ,राजाओं रजवाड़ों के प्रिवीपर्स को समाप्त किया, पांचवी पंचवर्षीय योजना में गरीबी हटाओ का नारा दिया , देश से गरीबी हटाने के प्रयत्न में बीस सूत्रीय कार्यक्रम की घोषणा की, देश हरित क्रान्ति द्वारा अपना पोषण करने में सक्षम हुआ और पंजाब में आतंकवाद पैर पसार रहा था ‘ऑपरेशन ब्लूस्टार’, स्वर्ण मन्दिर में सेना का प्रवेश करा कर खलिस्तानी मूवमेंट की कमर तोड़ दी। वह डरी नहीं यही साहसिक कदम उनकी मृत्यु का कारण बना|

Indira Gandhi Jayanti :

भारत की विदेश नीति में उनका महत्वपूर्ण योगदान सदैव याद रहेगा उनके मजबूत इरादे को कभी भुलाया नहीं जा सकता |
भारत कम अंतराल के बीच चीन और पाकिस्तान से युद्ध कर चुका था। देश की आर्थिक स्थिति बहुत कमजोर थी। इंदिरा जी को पी. एल .480 के अंतर्गत गेहूं और वित्तीय सहायता की आवश्यकता थी। उन्होंने अप्रैल में आर्थिक मदद के लिए अमेरिका की सरकारी यात्रा की। अमेरिका उत्तरी वियतनाम से युद्ध में फंसा था। वियतनाम गरीब मुल्क होते हुए भी अमेरिकन शक्ति का डटकर मुकाबला कर रहा था |पूरे विश्व में अमेरिका की बदनामी हो रही थी| अमेरिकी राष्ट्रपति जॉनसन 35 लाख टन गेहूं और एक हजार मिलियन डॉलर की सहायता के बदले इंदिरा जी से अपने पक्ष में स्टेटमेंट दिलवाना चाहते थे कि अमेरिका का वियतनाम में कदम उचित है लेकिन इंदिरा जी ने राष्ट्रपति जॉनसन की बात नहीं मानी। राष्ट्रपति जॉनसन ने मदद से हाथ खींच लिया |इंदिरा जी ने जुलाई 1966 में रूस की यात्रा की, रूस के साथ अमेरिका के विरुद्ध स्टेटमेंट उनका सोवियत रशिया की तरफ मित्रता का हाथ बढाना कूटनीतिक निर्णय था |
चकोस्लोवाकिया वार्सा पैक्ट का मेम्बर देश था वहाँ के राष्ट्राध्यक्ष दुबचेक सुधारों के समर्थक थे वह कम्युनिज्म के शिकंजे से बाहर निकलना चाहते थे लेकिन शिकंजे को किसी भी तरह की ढील न देते हुए 21 अगस्त 1968 को सोवियत रशिया ने वार्सा पैक्ट के मेंबर कम्युनिस्ट गुट के साथ अपने टैंक चकोस्लोवाकिया की राजधानी प्राग में उतार दिये | सुरक्षा परिषद की आपतकालीन बैठक बुलाई गई तथा संयुक्त राष्ट्र जरनल असेम्बली में सोवियत संघ के विरुद्ध प्रस्ताव पास हुआ इस समय इंदिरा जी ने जिन्हें गूंगी गुडिया कहा गया था, एक महत्व पूर्ण निर्णय लिया वह तटस्थ रहीं |कश्मीर पर जब भी सुरक्षा परिषद में प्रस्ताव पास होता था सोवियत संघ वीटो का प्रयोग करता था |

Indira Gandhi Jayanti :

इंदिरा जी ने कुशल कूटनीतिज्ञ की भांति विश्व का ध्यान भारत की ओर खींचने के लिए उस समय के पूर्वी पाकिस्तान के रिफ्यूजियों की समस्या का अंतर्राष्ट्रीयकरण कर मुक्ति वाहिनी सेना का गठन किया गया जिसके सदस्य अधिकतर बंगलादेश का बौद्धिक वर्ग और छात्र थे जिन्होंने भारतीय सेना की मदद से अपनी भूमि पर पाकिस्तानी सेना से संघर्ष किया। अंत में पाकिस्तानी सेना का मनोबल इतना गिर गया जनरल नियाजी ने भारतीय सेना के समक्ष आत्मसमर्पण कर दिया|

अमेरिका ने पाकिस्तान का मनोबल बचाने के लिए सातवां जंगी बेड़ा बंगाल की खाड़ी में खड़ा कर दिया जिसका रुख भारत की तरफ था। इंदिरा जी विचलित नहीं हुईं। वह सोवियत रशिया से पहले ही संधि कर चुकी थीं पाकिस्तानी के 93 000 युद्ध बंदियों को अलग कैम्पों में रखा गया | भुट्टों 20 दिसम्बर को पाकिस्तान के राष्ट्रपति बने ,कई महीने बाद राजनीतिक स्तर के प्रयत्नों के परिणामस्वरूप जून माह 1972 में शिमला में बातचीत शुरू हुई| इस वार्ता में भाग लेने भुट्टो भारत आये अनेक विषयों पर चर्चा हुई जिसमें बंगला देश को मान्यता देना भी था पाकिस्तान के इतनी बड़ी संख्या में युद्ध बंदी होने से भी पाकिस्तान का मनोबल टूट गया था। इस समझौते में भारत को बहुत लाभ नहीं हुआ। हमारे पास पाकिस्तान का काफी भाग था लौटाना पड़ा। हां समझौते के आखिरी चरण में राष्ट्रपति भुट्टो से इंदिरा जी ने शर्त मनवाई शिमला समझौते के अंतर्गत दोनों देश अपने विवादों का हल आपसी बातचीत से करेंगे कश्मीर समस्या का अंतर्राष्ट्रीयकरण नहीं होगा |आज के युग में किसी देश के प्रदेश पर कब्जा नहीं कर सकते अब भारत को युद्ध के समय पश्चिमी पाकिस्तान और चीन की सीमा पर ही ध्यान देना है| पकिस्तान की तरफ से नो बार ‘नो वॉर’ पैक्ट भेजे गये लेकिन इंदिरा जी ने स्वीकार नहीं किये |

अफगानिस्तान में सोवियत हस्ताक्षेप का उन्होंने समर्थन नहीं किया | युद्ध भारत के दरवाजे पर था इंदिरा जी उदासीन नहीं थी परन्तु तटस्थ रही न उन्होंने रूस का समर्थन किया न अमेरिकन हस्ताक्षेप की निंदा| फिलिस्तीन के विषय में वह फिलिस्तीन के अलग राष्ट्र की समर्थक थी उन्होंने उसी नीति को मान्यता दी जिससे राष्ट्र हित सधता था |

अंग्रेजों ने मालदीप को आजाद करते समय हिंदमहासागर में दियागो गार्शिया का द्वीप अमेरिका को सौंप दिया था जहां अमेरिकन और यूरोपियन शक्तियों ने अपने अड्डे बना लिये रूस भी इस क्षेत्र में अपनी दखल रखता है | इंदिरा जी ने हिन्द महासागर को शान्ति का क्षेत्र बनाने के लिए सदैव प्रयत्न किया | इंदिरा जी गुटनिरपेक्ष देशों को और पास लायी उनसे अपने सम्बन्ध बढाये जिससे संकट के समय सब एक दूसरे का सहारा बन सकें महाशक्तियो की तरफ न देंखे |दिल्ली में सातवें गुटनिरपेक्ष देशों के सम्मेलन में युगोस्लोवाकिया के मार्शल टीटो ,मिश्र के नासिर ने भी भाग लिया |विश्व में इंदिरा जी की शोहरत बढ़ी|

इंदिरा जी पर अमेरिका और अन्य पश्चिमी देशों का परमाणु अप्रसार संधि पर हस्ताक्षर करने का बहुत दबाब था लेकिन 1974 में पोखरन में परमाणु विस्फोट कर विश्व को चकित कर बता दिया देश किसी भी तरह कमजोर नहीं हैं भारत दक्षिण एशिया में एक शक्ति के रुप में उभरा | इंदिरा जी आज नहीं है लेकिन उनके प्रति जनता का स्नेह एवं आदर आज भी कम नहीं हुआ उनकी शहादत सदैव याद रहेगी |

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