Monday, 16 June 2025

International Family Day Special : बेजुबानों को बनाया परिवार

सैय्यद अबू साद International Family Day Special : चेतना मंच विशेष। आजकल के भागदौड़ भरे युग में जहां एकल परिवार…

International Family Day Special : बेजुबानों को बनाया परिवार

सैय्यद अबू साद

International Family Day Special : चेतना मंच विशेष। आजकल के भागदौड़ भरे युग में जहां एकल परिवार का चलन जोरों पर है, वहीं मुंबई की हरसिमरन वालिया ने बेजुबान जानवरों को अपने परिवार का हिस्सा बनाया हुआ है। उनके परिवार में एक-दो नहीं, बल्कि 100 से ज्यादा जानवर साथ रहते हैं। हरसिमरन और उनके परिवार के साथ करीब 100 से अधिक डॉग्स, 10 बिल्ली और कुछ कछुए रहते हैं। दरअसल, 22 साल की हरसिमरन वालिया अपने घर में घायल जानवरों के लिए रेस्क्यू सेंटर चलाती हैं। रेस्क्यू करने के बाद वह जानवरों को छोड़ने की बजाए अपने परिवार का ही हिस्सा बना लेती हैं। इस समय उनके सेंटर में 100 से ज्यादा बेजुबान जानवर हैं, जिनको उन्होंने अपने ही परिवार का हिस्सा बना लिया है।

 

International Family Day Special :

 

प्रतिदिन खिलाती 1000 से ज्यादा बेजुबानों को खाना
हरसिमरन जब 5 साल की थीं, तभी से सड़क पर घायल या फंसे हुए लाचारों के प्रति उनके मन में हमदर्दी थी और तब से ही वह रेस्क्यू का काम कर रही हैं। अपनी माँ अमन वालिया के साथ मिलकर वह न सिर्फ इनको खाना खिलाती थीं, बल्कि कुछ जानवरों की देखभाल करने के लिए उन्हें अपने घर में लेकर आ जाया करती थीं और बचपन से शुरू हुआ वह सिलसिला आज तक जारी है। सालों से उनका परिवार अपने खर्चे पर बेजुबानों की मदद करता आ रहा है, लेकिन दो साल पहले उन्होंने अमन एनिमल रिहैबिलिटेशन फाउंडेशन नाम की एक संस्था भी शुरू की है, ताकि लोगों की मदद के साथ इस काम को और बेहतर तरीके से कर सकें। हाल में 100 से ज्यादा जानवर उनके घर पर रह रहे हैं, वहीं वे रोज आस-पास के तकरीबन 1000 से ज््यादा बेजुबानों को घूम-घूमकर खाना खिलाते हैं।

International Family Day Special: Made a family to the voiceless

बेजुबानों के लिए बेचा अपना घर
जानवरों की देखभाल के लिए हरसिमरन ने अपनी नौकरी भी छोड़ दी। हरसिमरन की चाहत के लिए उनके परिवार को अपना घर भी बेचना पड़ा। शुरुआत में जब हरसिमरन घायल पशुओं को घर लाती थीं, तब परिवार वाले तो उनका साथ देते थे, लेकिन जिस सोसाइटी या कॉलोनी में वे रहते थे, वहां इतने सारे कुत्तों या बिल्लियों को रहने की इजाजत नहीं थी। जैसे-जैसे जानवरों की संख्या बढ़ने लगी वैसे-वैसे दिक्कतें भी बढ़ने लगीं। समय के साथ उन्हें कई घर भी बदलने पड़े। हरसिमरन ने बताया कि उन्होंने इन बेजुबानों की देखभाल के लिए अपने खुद के घर को बेच दिया। फिलहाल उनका पूरा परिवार शहर से दूर एक घर में रह रहा है, ताकि उनके साथ ये सभी बेजुबान जानवर भी आराम से रह सकें।

करीब 5000 रुपये हैं महीने का खर्च
हरसिमरन और उनके परिवार के साथ करीब 100 से अधिक डॉग्स, 10 बिल्ली और कुछ कछुए रहते हैं। इसके खाने-पीने से लेकर उनकी दवाईयों तक का खर्च हरसिमरन का परिवार उठाता है। इसके अलावा उन्होंने कुछ डोनेशन भी मिल जाती है। हरसिमरन बताती हैं कि शुरुआत में जब वह घायल जानवरों को घर लाती थीं. तो लोग वहां नाराज हो जाते थे. क्योंकि वहां इतने सारे कुत्तों या बिल्लियों को रखने की अनुमति नहीं थी। अब वो 5000 से अधिक रुपये हर महीने इन जानवरों की देखभाल में खर्च करती हैं। ऐसे में शहर से दूर रहने के बावजूद भी इन्हें दिक्कतों का काफी सामना करना पड़ता है।

International Family Day Special: Made a family to the voiceless

अपनी व पिता की सेविंग का करती इस्तेमाल
हरसिमरन जिस गांव में वह रहती हैं, वहां पर उन्हें रहने में काफी मुश्किलों का सामना करना पड़ता है। यहां रहने वाले लोग इस काम को खराब मानते हैं। उन्हें अपने से अलग भी समझते हैं। बावजूद इसके हरसिमरन वालिया और उनका परिवार लगातार बेज़ुबानों की मदद के लिए तैयार रहता है। फिलहाल, हरसिमरन अपनी नौकरी और अपने पिता की सेविंग से यह काम कर रही हैं, वहीं उन्हें कुछ नियमित डोनर्स भी मदद करते हैं। उन्होंने बताया कि वे खुद ही अपने घर में इन सभी बेजुबानों के लिए खाना पकाते हैं और दिन के 5 हजार रुपये खर्च करके इनका पेट भरते हैं।

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