Monday, 14 October 2024

population control क्या ये जनसंख्या नियंत्रण कानून की ही बैकडोर एंट्री तो नहीं ?

Anjana Bhagi लोग पूछ रहे हैं कि कैसे हम मानवाधिकार, बच्चों के लिए अधिकार और बेहतर जीवन सुनिश्चित करेंगे ? जनसंख्या विस्फोट के व्यापक परिणाम अब नजर आने ही लगे हैं, इतना ही नहीं आम लोगों में जनसंख्या विस्फोट को लेकर अब चिंता भी दिखाई देने लगी है। population control उत्तराखंड चुनाव में बीजेपी ने यूनिफॉर्म सिविल कोड लाने का चुनावी वादा भी किया था।…

population control क्या ये जनसंख्या नियंत्रण कानून की ही बैकडोर एंट्री तो नहीं ?

Anjana Bhagi

लोग पूछ रहे हैं कि कैसे हम मानवाधिकार, बच्चों के लिए अधिकार और बेहतर जीवन सुनिश्चित करेंगे ? जनसंख्या विस्फोट के व्यापक परिणाम अब नजर आने ही लगे हैं, इतना ही नहीं आम लोगों में जनसंख्या विस्फोट को लेकर अब चिंता भी दिखाई देने लगी है।

population control

उत्तराखंड चुनाव में बीजेपी ने यूनिफॉर्म सिविल कोड लाने का चुनावी वादा भी किया था। दंपत्ति कितने बच्चे पैदा करें, इसमें एकरूपता लाने का सुझाव संघ के व्यापक जनसंख्या नियंत्रण नीति से भी मेल खाता है।अक्टूबर में नागपुर में आरएसएस मुख्यालय में अपने वार्षिक विजयादशमी के भाषण के दौरान आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत ने भी “व्यापक जनसंख्या नियंत्रण नीति” की आवश्यकता की बात कही थी और ये भी कहा था कि “ये सभी पर समान रूप से” लागू होगी।

उनका ये भी कहना था कि “जनसंख्या असंतुलन” पर गंभीर नज़र रखना राष्ट्रहित में है। अब अपने वादे के अनुसार बीजेपी  सरकार इस पर अग्रसर भी है। इस साल की शुरुआत में ही उत्तराखंड में पुष्कर सिंह धामी के नेतृत्व वाली बीजेपी सरकार ने सत्ता में काबिज होने के तुरंत बाद ही यूनिफॉर्म सिविल कोड लाने के लिए एक कमिटी का गठन भी कर दिया था। साल 2022 मई में गठित हुई पांच सदस्यों वाली इस कमेटी जिसका नेतृत्व सुप्रीम कोर्ट की पूर्व न्यायाधीश रंजना प्रकाश देसाई कर रही है।

इस कमेटी की सबसे महत्वपूर्ण बात ये है की कमेटी ने यूनिफॉर्म सिविल कोड लाने में क्या-क्या चीज़ें शामिल हों इसे लेकर लोगों से भी सुझाव मांगे थे और उसे सैंकड़ों सुझाव मिले भी हैं। कमेटी ने इसमें  अब तक 2.5 लाख लोगों  के  सुझावों को लिया है और आने वाले तीन महीनों में इस पर एक रिपोर्ट सौंप सकती है।
सूत्रों के हवाले से मिली जानकारी के आधार पर  पांच सदस्यों वाली इस कमेटी को बहुत से सुझाव मिले हैं, पर सात महीने तक इस महत्वपूर्ण बात पर चर्चा रही जिसमें दंपत्ति कितने बच्चे पैदा करें  और  इसकी संख्या में एकरूपता लाने की बात भी कही गई है।

लैंगिक समानता, महिलाओं के लिए शादी की उम्र 18 साल से बढ़ाकर 21 साल करना, एलजीबीटीक्यू जोड़ों के लिए कानूनी अधिकार और लिव-इन रिलेशनशिप का रजिस्ट्रेशन ये  भी कुछ कम महत्वपूर्ण सुझाव नहीं  है  जो  की इस कमेटी  को लोगों से मिले हैं।  ये कमेटी आने वाले दिनों में अपनी रिपोर्ट तैयार कर सौंपने ही वाली है। क्या आपको भी लगता है की कहीं  यह जनसंख्या नियंत्रण कानून की बैकडोर एंट्री तो नहीं।

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