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हरिद्वार से ही क्यों भरा जाता है कांवड़ में जल ?

Kanwar Yatra 2024

Kanwar Yatra 2024

Kanwar Yatra 2024 : कांवड़ यात्रा 2024 चल रही है। इस दौरान कांवड़ के महत्व पर खूब लिखा और पढ़ा जा रहा है। कांवड़ यात्रा को लेकर अनेक शिवभक्त सवाल भी पूछते हैं। सबसे बड़ा सवाल यह पूछा जाता है कि कांवड़ में जल हरिद्वार से ही क्यों भरा जाता है? हरिद्वार में भी हर की पौड़ी से ही गंगा जल कांवड़ में क्यों भरा जाता है? हम आपको विस्तार से बता रहे हैं कि कांवड़ में हरिद्वार के गंगा जल का महत्व।

हरिद्वार है भगवान की तपस्थली

आपको बता दें कि धार्मिक ग्रंथों में हरिद्वार का विशेष महत्व बताया गया है। हरिद्वार के हर की पौड़ी में ब्रह्मकुंड से गंगा जल भरकर भगवान शिव का अभिषेक करना विशेष फलदायी होता है। श्रद्धालु हरिद्वार से गंगाजल भरकर अपने अपने गंतव्य को जाकर भगवान शिव को जल अर्पण करते हैं और अपनी मनोकामनाएं पूर्ण करते हैं। कलयुग में हरिद्वार को प्रधान तीर्थ बताया गया है, जिसमें श्री गंगा जी की प्रधानता है। हरिद्वार में हर 12 साल बाद महाकुंभ का आयोजन हर की पौड़ी ब्रह्मकुंड पर होता है, जहां पर दूर-दूर से श्रद्धालु गंगा स्नान करने के लिए आते हैं। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, ब्रह्मा ने यहां हजारों साल तक तपस्या की थी। हरिद्वार की हर की पौड़ी पर ही भगवान ब्रह्मा की तपस्थली है। इस तपस्थली का नाम ब्रह्मकुंड है।

Kanwar Yatra 2024

गंगा गंगोत्री से लेकर कोलकाता तक जाती हैं लेकिन इस बीच केवल हरिद्वार के गंगाजल की ही मान्यता है। वैज्ञानिकों द्वारा किए गए रिसर्च में हरिद्वार ब्रह्मकुंड के गंगाजल में कोई भी बैक्टीरिया नहीं पनपता है, जिस कारण यहां का जल कभी प्रदूषित नहीं हो सकता है, इसलिए ब्रह्मकुंड से जो जल लिया जाता है, वही भगवान शिव को अर्पित कर उनका अभिषेक किया जाता है, जिससे भगवान शिव प्रसन्न होते हैं।
धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, रावण ने भी भगवान शिव का अभिषेक करने के लिए हरिद्वार से ही गंगाजल लिया था। जो जल हरिद्वार के ब्रह्मकुंड से लिया जाता है, भगवान शिव उससे बहुत प्रसन्न होते हैं। इसीलिए हरिद्वार से गंगाजल भरने का बहुत बड़ा महत्व बताया गया है। यही कारण है कि कांवडिय़ा अपनी कांवड़ यात्रा के लिए हरिद्वार में स्थित हर की पौड़ी से ही गंगा जल अपनी-अपनी कांवड़ में भरते हैं। Kanwar Yatra 2024

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