पणजी। केंद्रीय कानून मंत्री किरेन रीजीजू ने सोमवार को कहा कि सरकार बजट सत्र के 13 मार्च से शुरू हो रहे दूसरे चरण में 65 और अप्रचलित कानूनों तथा ऐसे अन्य प्रावधानों को निरस्त करने के लिए एक विधेयक लाएगी।
Kiren Rijiju
गोवा में 23वें राष्ट्रमंडल विधि सम्मेलन को संबोधित करते हुए रीजीजू ने कहा कि देश की विभिन्न अदालतों में 4.98 करोड़ से अधिक मामले लंबित हैं। उन्होंने कहा कि लंबित मामलों के मुद्दे को प्रौद्योगिकी के जरिये हल किया जाएगा और सरकार का अंतिम लक्ष्य ‘न्यायपालिका को कागजरहित’ बनाना है। कानून मंत्री ने कहा कि आज हमारे देश के हर कोने का हरेक नागरिक भारत सरकार द्वारा उठाए गए कल्याणकारी कदमों का लाभार्थी है। एक कल्याणकारी राष्ट्र के रूप में, यह बेहद महत्वपूर्ण है कि हम प्रत्येक व्यक्ति की बात सुनें। रीजीजू ने कहा कि मोदी सरकार विभिन्न कदम, खासतौर पर आम आदमी के ‘जीवन को आसान बनाने वाले कदम’ उठाने में सबसे आगे रही है। उन्होंने दावा किया कि जीवन को आसान बनाने को लेकर सरकार की नीतियां सफल साबित हुई हैं।
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रीजीजू ने कहा कि सरकार का मानना है कि कानून लोगों के लिए हैं और अगर कानून बाधा बनते हैं और उनका अनुपालन लोगों के जीवन पर बोझ बन जाता है, तो ऐसे प्रावधानों को खत्म किया जाना चाहिए। पिछले साढ़े आठ वर्षों में 1,486 अप्रचलित और गैरजरूरी कानूनों को खत्म किया गया है। चालू बजट सत्र में, जिसका दूसरा 13 मार्च से शुरू होगा, मैं 65 और अप्रचलित कानूनों व अन्य प्रावधानों को हटाने के लिए एक विधेयक लाने जा रहा हूं। सरकार लंबित मामलों की संख्या में कमी लाना चाहती है। उन्होंने कहा कि भारत की विभिन्न अदालतों में 4.98 करोड़ से ज्यादा मामले लंबित हैं। मुकदमों का बोझ घटाना आसान नहीं है, क्योंकि नए मामलों की संख्या उन मामलों से दोगुनी है, जिनका निपटारा किया जा रहा है।
Kiren Rijiju
रीजूजू ने कहा कि भारतीय न्यायाधीश असाधारण रूप से कड़ी मेहनत के साथ काम कर रहे हैं, लेकिन यह अधिक चुनौतीपूर्ण होता जा रहा है। उन्होंने कहा कि साधारण परिस्थितियों में एक न्यायाधीश पूरे दिन में औसतन 50 से 60 मामलों की सुनवाई निपटाता है। मंत्री ने कहा कि कुछ न्यायाधीशों ने एक दिन में 200 मामलों का निस्तारण किया है, लेकिन लंबित मामलों की संख्या बढ़ती जा रही है। उन्होंने कहा कि सरकार इस स्थिति से निपटने के लिए प्रौद्योगिकी का इस्तेमाल कर रही है।
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रीजीजू ने कहा कि हमने ई-अदालतें और तीसरे चरण की विशेष परियोजनाएं शुरू की हैं। हमारा अंतिम लक्ष्य भारतीय न्यायपालिका को कागजरहित बनाना है। उन्होंने बताया कि सरकार मध्यस्थता जैसे अन्य विवाद निवारण उपायों के इस्तेमाल की संभावनाएं भी तलाश रही है। बहुत जल्द हम मध्यस्थता विधेयक को लाएंगे, ताकि देश में मध्यस्थता और विवाचन को संस्थागत बनाया जा सके। पणजी में सोमवार को पांच दिवसीय राष्ट्रमंडल विधि सम्मेलन के उद्घाटन के मौके पर गोवा के राज्यपाल पीएस श्रीधरन पिल्लई, मुख्यमंत्री प्रमोद सावंत और कई अन्य गणमान्य हस्तियां मौजूद थीं। इस सम्मेलन में 52 देशों के प्रतिनिधि हिस्सा ले रहे हैं।
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