बदल गया CBSE परीक्षा का पैटर्न, अब पूछे जाएंगे इस तरह के क्वेश्चन

CBSE New Exam Pattern
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locationभारत
userचेतना मंच
calendar05 APR 2024 10:24 AM
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CBSE New Exam Pattern : CBSE स्कूलों से पढ़ने वाले छात्रों के लिए बड़ी खबर आई है। साल 2024 में शुरू होने वाले नए ट्रम में CBSE की ओर से बोर्ड एग्जाम के पैटर्न में बदलाव किया जा रहा है। जानकारी के अनुसार CBSE की ओर से यह कदम राष्ट्रीय शिक्षा नीति (NEP) 2020 के तहत मूल्यांकन प्रणाली में बदलाव लाने के लिए किया उठाया जा रहा है। जिसके चलते CBSE बोर्ड ने 11वीं और 12वीं के बोर्ड परीक्षा पैटर्न में कुछ बड़े बदलाव किए गए हैं। CBSE New Exam Pattern से छात्रों में रट्टा लगाने की आदत को खत्म करने की कोशिश की जा रही है।

कैसा है CBSE के नए परीक्षा पैटर्न ?

  • आपको बता दें हाल ही में सेंट्रल बोर्ड ऑफ सेकंडरी एजुकेशन यानि CBSE की तरफ से नए दिशानिर्देशों जारी किए गए थे। जिसके अनुसार सीबीएसई न्यूज एग्जाम पैटर्न (CBSE New Exam Pattern) 2025 में क्वेश्चन पेपर में प्रश्नों को कुछ इस तरह रखा जाएगा।
  • रट्टा लगाकर याद किए गए नॉलेज बेस्ड क्वेश्चंस को कम कर दिया गया है।
  • सीबीएसई ने बोर्ड परीक्षाओं में बच्चों की विश्लेषणात्मक क्षमता परखने वाले सवालों की बढ़ा दिया जाएगा।
  • कक्षा 11वीं और 12वीं बोर्ड एग्जाम में बहुविकल्पीय प्रश्न यानि MCQ , केस स्टडी पर आधारित प्रश्न, सोर्स बेस्ड इंटीग्रेटेड सवाल या इसी तरह के अन्य सवालों का वेटेज 40 फीसदी से बढ़ाकर 50 फीसदी कर दिया जाएगा है।
  • वहीं, पिछले कई सालों से चल रहे परीक्षा पैटर्न वाले लघु उत्तरीय/ दीर्घ उत्तरीय प्रश्नों का वेटेज 2024-25 शैक्षणिक सत्र में 40% से घटाकर 30% कर दिया गया है।
  • रिस्पॉन्स टाइप क्वेश्चंस का वेटेज पहले की तरह 20 प्रतिशत ही रहेगा।

कक्षा 9वीं और 10वीं के पैटर्न में भी हुआ बदला ?

11वीं और 12वीं के साथ ही सीबीएसई(CBSE) ने क्लास 9वीं और 10वीं की थ्योरी के प्रश्नपत्रों में कोई बदलाव नहीं किया गया है। सीबीएसई बोर्ड के जारी नोटिक में कहा गया है कि 'बोर्ड का मुख्य उद्देश्य रट्टा लगाने वाली शिक्षा प्रणाली को खत्म करना है। जिससे चलते छात्रों में 21वीं सदी की चुनौतियों से निपटने के लिए रचनात्मक, आलोचनात्मक और व्यवस्थित सोच विकसित करने वाली शिक्षा को बढ़ावा दिया जा सके।' CBSE New Exam Pattern

बड़ी आशंका: कहीं कोचिंग वाला राष्ट्र ना बन जाए भारत, समझें आंकड़ों से

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क्या है एनीमोमीटर, जो हाई स्पीड बुलेट ट्रेन को करेगा गाइड?

Bullet Train
Bullet Train
locationभारत
userचेतना मंच
calendar04 APR 2024 05:18 PM
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Bullet train :  भारतीय रेलवे आज भारत के लोगों की लाइफ लाइन बनी हुई है। किसी को एक राज्य से दूसरे राज्य जाना हो तो ट्रेन से आसानी से चला जाता है। इसी बीच मुंबई और अहमदाबाद के बीच दौड़ने वाली पहली बुलेट ट्रेन को लेकर एक नई अपडेट जारी हुई है। दरअसल यह तो आप जानते है एक ट्रेन से ज्यादा बुलेट ट्रेन की स्पीड होती है, जिसके लिए रेलवे ने 508 किलोमीटर लम्बे रूट में 14 जगहों पर एनीमोमीटर इंस्टॉल करने का फैसला लिया है। कहा जा रहा है ये डिवाइस बुलेट ट्रेन की सुरक्षा को बढ़ा सकता है। आइए जानते है इसके बारें में कुछ खास बातें.,..

कौन करता है एनीमोमीटर इंस्टॉल?

आपकी जानकारी के लिए बता दें कि एनीमोमीटर को इंस्टॉल करने का काम नेशनल हाई स्पीड रेल कॉर्पोरेशन लिमिटेड (NHSRCL)  को मिला है। जिसकी स्थापना खासतौर बुलेट ट्रेन प्रोजेक्ट के लिए की थी। इसमें रेल मंत्रालय और गुजरात सरकार और महाराष्ट्र सरकार की हिस्सेदारी है। दरअसल NHSRCL ने जानकारी दी है कि 14 में से 5 एनीमोमीटर महाराष्ट्र में और 9 एनीमोमीटर गुजरात में लगाए जाएंगे।

Bullet train

आखिर एनीमोमीटर की जरूरत क्यों पड़ी?

खबरों के मुताबिक अहमदाबाद-मुंबई बुलेट ट्रेन कॉरिडोर देश के पश्चिमी हिस्से के क्षेत्रों से होकर गुजरा जाएगा। इन शहरों में हवा की स्पीड काफी तेज होती है। यहां हवा की स्पीड कभी-कभी इतनी तेज हो जाती है जिससे वायडक्ट (Viaduct) पर ट्रेन चलाना भी सुरक्षित नहीं रहता। असल मे वायडक्ट एक पुल जैसा स्ट्रक्चर होता है, जो दो पिलर को आपस में कनेक्ट करके रखता है। इससे पहले केंद्रीय रेल मंत्री ने जानकारी दी थी कि बुलेट ट्रेन प्रोजेक्ट में कुल 153 किलोमीटर का पुल तैयार हो चुका है। इन पुलों पर बुलेट ट्रेन को सेफ्टी से चलाने के लिए एनीमोमीटर काफी मददगार साबित होंगे। https://twitter.com/AshwiniVaishnaw/status/1773256469653192843

कैसे काम करता है एनीमोमीटर

बता दें कि एनीमोमीटर एक तरह की आपदा निवारण प्रणाली है, जो 0-252 किलोमीटर प्रति घंटा की स्पीड से चलने वाली हवाओं का रियल-टाइम डेटा कलेक्ट करके देती है। इसकी सबसे खास बात यह है कि ये 0 से 360 डिग्री तक तेज हवाओं पर अपनी नजर रख सकता है। इसी कारण तेज हवाओं और तूफानों से बचाने के लिए NHSRCL ने ऐसी 14 जगहों की (गुजरात में 9 और महाराष्ट्र में 5) पहचान की है, जहां वायाडक्ट पर एनीमोमीटर को लगाया जा सकता है। अब आपके दिमाग में यह आया होगा कि ये कैसे काम करेगा। दऱअसल हवा की स्पीड 72 किलोमीटर प्रति घंटा से 130 किलोमीटर प्रति घंटा की रेंज में है, तो ट्रेन उसी के हिसाब अपनी स्पीड मैनेज करके चलेगी। ऑपरेशन कंट्रोल सेंटर (ओसीसी) अलग-अलग जगह इंस्टॉल हुए एनीमोमीटर के जारिए हवा की स्पीड की मॉनिटरिंग करेगा। Bullet train

तो, इस वजह से मक्का-मदीना नहीं जा सकते ये टीवी स्टार

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बड़ी आशंका: कहीं कोचिंग वाला राष्ट्र ना बन जाए भारत, समझें आंकड़ों से

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Private Institute
locationभारत
userचेतना मंच
calendar04 APR 2024 04:56 PM
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Private Institute : शिक्षा यानि ज्ञान समानता की सबसे बड़ी आवश्यकता है। शिक्षा को मानव जाति का मौलिक अधिकार भी माना जाता है। जीवन के लिए आवश्यक शिक्षा के बाजारीकरण ने चिंतकों की चिंता बढ़ा दी है। भारत के अनेक चिंतकों को आशंका सता रही है कि कभी ज्ञान के मामले में विश्व गुरू रहा भारत धीरे-धीरे कोचिंग राष्ट्र बनता जा रहा है। भारत के कोचिंग राष्ट्र बनने की आशंका को आप आंकड़ों में समझ लीजिए।

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क्या कहते हैं आंकड़े

शिक्षा की वार्षिक स्थिति रिपोर्ट 2023, ग्रामीण भारत के 14 से 18 वर्ष की आयु के युवाओं के बीच शिक्षा के निराशाजनक परिदृश्य पर रोशनी डालती है। पढऩे के कौशल में आठवीं कक्षा के 30 फीसदी ग्रामीण छात्र दूसरी कक्षा के मानक पाठ नहीं पढ़ सकते। इसी तरह अंकगणित कौशल में आठवीं कक्षा के 55 फीसदी ग्रामीण छात्र बुनियादी भाग करने में असमर्थ थे। जबकि अंग्रेजी समझ एवं कौशल में, आठवीं कक्षा के आधे ग्रामीण छात्र आसान वाक्यों को पढऩे में असमर्थ थे और जो पढ़ सकते थे, उनमें से लगभग एक तिहाई छात्र अर्थ बताने में असमर्थ थे। स्कूली शिक्षा में सीखने के अपर्याप्त परिणामों को देखते हुए समकालीन भारत में कोचिंग संस्थानों का विस्तार होना स्वाभाविक है। शिक्षा की वार्षिक स्थिति रिपोर्ट 2022 ने बताया कि कक्षा एक से आठवीं तक के 30.5 फीसदी ग्रामीण छात्र सशुल्क निजी कोचिंग कक्षाएं ले रहे थे। स्कूली शिक्षा में मूलभूत कौशल और गहन, सोच कौशल की कमी के कारण निजी कोचिंग पर निर्भरता जरूरी हो गई है। जैसे-जैसे छात्र उच्च शिक्षा और प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी करते हैं, कोचिंग पर निर्भरता बढ़ती जाती है। भारत एक को कोचिंग राष्ट्र में बदल गया है, न केवल महानगरीय शहरों में, बल्कि छोटे शहरों में भी। सरकारी नौकरियों की इच्छा, जो, सामाजिक सुरक्षा के साथ आती है, शायद ग्रामीण छात्रों को आगे बढऩे चिंग के लिए यही एकमात्र रास्ता हो। भारत के 91 फीसदी कार्यबल अनौपचारिक रोजगार में है, जिसे सामाजिक निजी बीमा के बिना रोजगार के रूप में परिभाषित किया गया है, अर्थात वृद्धावस्था पेंशन, मृत्यु/विकलांगता बीमा, स्वास्थ्य और मातृत्व लाभ इत्यादि से वंचित रोजगार। वर्ष 2022-23 में स्नातकों के लिए बेरोजगारी दर 13.4 फीसदी और स्नातकोत्तर और उससे ऊपर के लोगों के लिए 12.1 फीसदी रही, जो राष्ट्रीय औसत बेरोजगारी दर 3.2 फीसदी (15 वर्ष और उससे अधिक आयु) से लगभग चार गुना है। भारत में बेरोजगारी की स्थिति एक प्रमुख सामाजिक मुद्दा बनी हुई है। अगर नौकरियां नहीं मिलेंगी, तो छात्र कहां जाएंगे? वर्ष 2017-18 से 2022-23 की अवधि में कृषि क्षेत्र में छह करोड़ श्रमिकों की वृद्धि हुई है! आखिरी पीएलएफएस जुलाई, 2022 और जून, 2023 के बीच भी 80 लाख श्रमिकों को कृषि में जोड़ा गया था। निजी नौकरियों में रोजगार की अनिश्चितता को देखते हुए यह उनकी मजबूरी ही थी। अधिकांश सरकारी नौकरियों के लिए भी परीक्षा में अंग्रेजी कौशल मुख्य घटकों में से एक है। जबकि आबादी की मुख्य भाषा और स्कूली शिक्षा का माध्यम हिंदी बनी हुई है। प्रतियोगी परीक्षा उत्तीर्ण करने के लिए अंग्रेजी कौशल की आवश्यकता होती है, जिसके लिए कोचिंग अपरिहार्य हो जाती है। माता-पिता की उम्मीदें ऊंची बनी हुई हैं और उम्मीदवारों को प्रतिस्पर्धी परीक्षाओं की तैयारी के लिए कोचिंग लेने के लिए प्रेरित किया जाता है। सफलता और विफलता को परिभाषित करने में कोचिंग एक महत्वपूर्ण कारक साबित हो सकती है।

कोचिंग में धकेले जा रहे हें युवा

सभ्य गैर-कृषि रोजगार की अनुपलब्धता, रुकी हुई सरकारी नौकरियां और सीमित सरकारी नौकरियों के साथ-साथ उच्च शिक्षा के लिए युवाओं के बीच अभूतपूर्व प्रतिस्पर्धा है, जिसने छात्रों को ट्यूशन और कोचिंग में धकेल दिया है। कुल मिलाकर, शिक्षा का मौलिक अधिकार गुणवत्तापूर्ण शिक्षा के अधिकार में तब्दील नहीं हुआ है, इसलिए निजी ट्यूशन और कोचिंग संस्थान तेजी से बढ़ रहे हैं। कोचिंग संस्थान लंबे समय तक एक अनियमित बाजार बने रहे, और कई शिकायतों और छात्रों को आत्महत्याओं के बाद ही सरकार कोचिंग सेंटरों को संचालित करने के लिए दिशा-निर्देश लेकर आई है। 'कोचिंग सेंटर का पंजीकरण और विनियमन, 2024' दिशा-निर्देश कोचिंग सेंटरों को भ्रामक वादे करने या सफलता की गारंटी देने से रोकते हैं। हालांकि, इसका उपाय स्कूली शिक्षा, उच्च अध्ययन और प्रतियोगी परीक्षाओं की नींव में सीखने के परिणामों में सुधार करना है। इसके अलावा, हर कोई कोचिंग का खर्च नहीं उठा सकता और सरकारी नौकरी की आकांक्षा नहीं कर सकता। गैर- औद्योगिकीकरण और संरचनात्मक परिवर्तन के उलट होने की स्थिति में जो कुछ बचा है, वह है गिग इकनॉमी, जो बिना किसी सामाजिक सुरक्षा जाल के कार्यबल को केवल निर्वाह प्रदान करती है। इस प्रकार, समकालीन भारत में नौकरियों को पुनर्जीवित करने को सर्वोच्च प्राथमिकता दी जानी चाहिए।

उत्तर प्रदेश की एक सीट जहां है 6 लाख मुस्लिम वोटर, मुस्लिम प्रत्याशी एक भी नहीं

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