भारत के मुख्य न्यायधीश ने बताया मामला निर्माता तथा राष्ट्र निर्माता का फर्क

ऐसे लोग केवल वर्तमान मामले पर ध्यान केन्द्रित करके मामला निर्माता बन जाते हैं। दूसरे प्रकार के वकील देश को हमेशा सर्वोच्च मानकर देश के हित में काम करते हैं। ऐसे वकील सही मायनों में राष्ट्र निर्माता होते हैं। उन्होंने कहा कि देश को मामला निर्माता नहीं बल्कि राष्ट्र निर्माता वकीलों की आवश्यकता है।

जस्टिस सूर्यकान्त
जस्टिस सूर्यकान्त
locationभारत
userआरपी रघुवंशी
calendar24 Dec 2025 06:28 PM
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Justice Suryakant : भारत के मुख्य न्यायधीश (CJI) जस्टिस सूर्यकांत ने बहुत बड़ी बात कही है। एक समारोह में युवा वकीलों को संबोधित करते हुए भारत के (CJI) जस्टिस सूर्यकांत ने मामला निर्माता तथा राष्ट्र निर्माता का फर्क युवा वकीलों को समझाया। समारोह में धाराप्रवाह बोलते हुए भारत के (CJI) जस्टिस सूर्यकांत ने यह भी कहा कि भारत का संविधान पत्थर पर उकेरा गया महज एक स्मारक नहीं है बल्कि एक विलक्षण खाका है।

मामला निर्माता तथा राष्ट्र निर्माता में बड़ा अंतर है

पंजाब प्रदेश के पटियाला में राजीव गांधी राष्ट्रीय विधि विश्वविद्यालय स्थापित है। पटियाला के राजीव गाँधी राष्ट्रीय विधि विश्व विद्यालय के दीक्षांत समारोह को संबोधित करते हुए भारत के CJI जस्टिस सूर्यकांत ने बड़ी बात कही। उन्होंने कहा कि वकील दो प्रकार के होते हैं। एक प्रकार के वकील किसी केस अथवा मामले को जीतने के लिए तैयार करते हैं। ऐसे लोग केवल वर्तमान मामले पर ध्यान केन्द्रित करके मामला निर्माता बन जाते हैं। दूसरे प्रकार के वकील देश को हमेशा सर्वोच्च मानकर देश के हित में काम करते हैं। ऐसे वकील सही मायनों में राष्ट्र निर्माता होते हैं। उन्होंने कहा कि देश को मामला निर्माता नहीं बल्कि राष्ट्र निर्माता वकीलों की आवश्यकता है।

हमारा संविधान महज एक स्मारक नहीं है

भारत के CJI जस्टिस सूर्यकांत ने जोर देकर कहा कि भारत का संविधान पत्थर पर उकेरा गया महज स्मारक नहीं है। उन्होंने कहा कि भारत का संविधान एक विलक्षण खाका है। न्यायालय इसकी व्याख्या करते हैं तथा भारत की तमाम बड़ी संस्थाएं इसे संरचना प्रदान करती हैं। हमारे युवा वकीलों के कंधों पर यह जिम्मेदारी है कि उन्हें ही यह तय करना है कि आगे चलकर भारत कैसा राष्ट्र बनेगा। उन्होंने कहा कि प्रत्येक युवा वकील को राष्ट्र निर्माता बनने की दिशा में आगे बढऩा है।

वकील की भूमिका के विषय में जरूर सोच लें

भारत के CJI जस्टिस सूर्यकांत ने कहा कि जब भी उन्हें इतने युवा और ऊर्जावान श्रोत्राओं को संबोधित करने का सौभाग्य मिलता है, "मुझे यह स्वीकार करना होगा कि मैं मानता हूं कि आप में से अधिकतर लोग वकील बनेंगे।" न्यायमूर्ति कांत ने सभा को संबोधित करते हुए कहा कि जब कई छात्रों ने कानून का अध्ययन करने का विकल्प चुना, तो उन्होंने शायद खुद को ऐतिहासिक मामलों में बहस करते हुए. जटिल अनुबंधों का मसौदा तैयार करते हुए या शायद, एक दिन संवैधानिक पीठों को संबोधित करते हुए कल्पना की होगी, जो कि सराहनीय महत्वाकांक्षाएं हैं और उनमें कुछ भी गलत नहीं है। उन्होंने कहा, "लेकिन मैं आपसे आग्रह करूंगा कि आप रुके और एक व्यापक, अधिक स्थायी प्रश्न पर विचार करें - भारत जैसे राष्ट्र में, उसके इतिहास के इस मोड़ पर, एक वकील की क्या भूमिका है? मैं इस पर जोर देता हूं, क्योंकि मैं भली-भांति जानता हूं कि हम अक्सर कानूनी पेशे को एक संकीर्ण प्रक्रिया तक सीमित कर देते हैं - मुकदमे जीतना, घंटों का हिसाब रखना, प्रक्रिया में महारत हासिल करना।" Justice Suryakant

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फडणवीस का पलटवार “दो परिवारवादी हार बचाने आए”

फडणवीस ने कहा कि हाइप ऐसा बनाई जा रही है जैसे रूस और यूक्रेन ही साथ में आ गए हों, मानों जेलेंस्की और पुतिन बातचीत कर रहे हों। उन्होंने बताया कि मुंबई में विकास की लहर के कारण उद्धव और राज ठाकरे अपनी जमानत बचाने के लिए गठबंधन कर रहे हैं।

Fadnavis retaliates
राजनीतिक प्रदर्शन (फाइल फोटो)
locationभारत
userऋषि तिवारी
calendar24 Dec 2025 06:04 PM
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महाराष्ट्र की राजनीति में बीएमसी चुनावों से पहले सियासी हलचल तेज हो गई है। उद्धव ठाकरे और राज ठाकरे की अगुवाई वाले दलों ने मुंबई में प्रेस कॉन्फ्रेंस कर शिवसेना (यूबीटी) और महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना (एमएनएस) के गठबंधन का ऐलान किया। दोनों नेताओं ने भाजपा को अपना मुख्य निशाना बनाया।

मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने पलटवार

इस गठबंधन के ऐलान के बाद मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने पलटवार किया। फडणवीस ने कहा कि मुंबई में हार के डर से दो परिवारवादी दल साथ आए हैं। उन्होंने दावा किया कि जनता राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (एनडीए) को चुनने जा रही है। फडणवीस ने कहा कि हाइप ऐसा बनाई जा रही है जैसे रूस और यूक्रेन ही साथ में आ गए हों, मानों जेलेंस्की और पुतिन बातचीत कर रहे हों। उन्होंने बताया कि मुंबई में विकास की लहर के कारण उद्धव और राज ठाकरे अपनी जमानत बचाने के लिए गठबंधन कर रहे हैं। मुख्यमंत्री ने आरोप लगाया कि ये दोनों पार्टियां अपना वोट बैंक और जनता का विश्वास खो चुकी हैं और अब केवल अपना अस्तित्व बचाने के लिए साथ आई हैं। फडणवीस ने कहा अस्तित्व बचाने के लिए गठबंधन कर कोई चुनाव नहीं जीता जाता। मुंबई के लोगों ने हमारे विकास के काम को देखा है।

फडणवीस ने बीएमसी चुनाव में महायुति की जीत पर कहा

बीएमसी चुनाव में महायुति की जीत का दावा करते हुए फडणवीस ने कहा कि मुंबई हमेशा एनडीए के साथ है। उन्होंने उद्धव ठाकरे पर भी निशाना साधते हुए कहा कि वह निराश और हताश हैं और बार-बार वही बातें दोहरा रहे हैं। फडणवीस ने यह भी कहा कि हिंदू हृदय सम्राट बालासाहेब ठाकरे के बाद उद्धव और राज ठाकरे के पास कोई विचार नहीं बचा है और अब ये केवल अवसरवादिता और तुष्टिकरण की राजनीति कर रहे हैं।

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अरावली की गोद में छिपा है बड़ा रहस्य, सुनकर हो जाएंगे इमोशनल

अरावली की पहाड़ियों पर स्थित अलवर का बाला किला अपने रहस्यमयी इतिहास और ‘कुबेर के खजाने’ की लोककथा के लिए प्रसिद्ध है। अरावली को लेकर चल रहे विरोध प्रदर्शनों के बीच जानिए इस किले का इतिहास, पर्यावरणीय महत्व और इससे जुड़े अनसुलझे रहस्य।

Aravalli
अरावली का बड़ा रहस्य
locationभारत
userअसमीना
calendar24 Dec 2025 02:33 PM
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आज जब देश के अलग-अलग हिस्सों में अरावली पर्वतमाला को बचाने के लिए आवाज उठ रही है, जब पहाड़ों को काटने, खनन और अंधाधुंध विकास के खिलाफ लोग सड़कों पर हैं ऐसे समय में अलवर का बाला किला हमें सिर्फ इतिहास नहीं बल्कि एक गहरी चेतावनी भी देता है। अरावली की उन्हीं पहाड़ियों पर खड़ा यह किला जिनकी उम्र 2.5 अरब साल बताई जाती है। यह किला इंसान की लालच भरी नजर और प्रकृति की टूटती हुई ढाल चुपचाप देख रहा है

अरावली है प्राकृतिक कवच

अरावली सिर्फ पत्थरों की श्रृंखला नहीं है। यह उत्तर भारत के लिए एक प्राकृतिक कवच है जो राजस्थान के रेगिस्तान को आगे बढ़ने से रोकता है, बारिश के पानी को जमीन में समेटता है और जीवन को संतुलन देता है लेकिन अफसोस की बात यह है कि जिस अरावली को कभी देवताओं की धरती माना जाता था आज वही विकास और मुनाफे की बलि चढ़ती जा रही है। इसी अरावली की एक ऊंची और मजबूत चोटी पर अलवर का बाला किला आज भी शान से खड़ा है मानो आने वाली पीढ़ियों से सवाल कर रहा हो, क्या तुम मुझे बचा पाओगे?

बाला किला की गोद में छिपे हैं कई रहस्य

बाला किला बाहर से जितना शांत और साधारण दिखता है इसके भीतर उतनी ही गहरी रहस्यमयी कहानियां दबी हुई हैं। एक दौर था जब यहां आम लोगों का आना लगभग नामुमकिन था। कहा जाता है कि इस किले में प्रवेश के लिए जिले के एसपी तक से अनुमति लेनी पड़ती थी। आज भले ही सुरक्षा गार्ड के रजिस्टर में नाम लिखवाकर लोग अंदर चले जाते हों लेकिन किले के भीतर कदम रखते ही एक अजीब सी खामोशी महसूस होती है जैसे अरावली खुद अपने जख्मों की कहानी सुना रही हो।

छिपा है कुबेर का कुबेर का बेशकीमती खजाना

इस किले से जुड़ा सबसे बड़ा और सबसे चर्चित रहस्य है ‘कुबेर का खजाना’। लोककथाओं के अनुसार, बाला किले की गहराइयों में धन के देवता कुबेर का बेशकीमती खजाना छिपा हुआ है। कहा जाता है कि मुगल, मराठा और जाट शासकों ने इस खजाने को पाने के लिए पूरी ताकत लगा दी लेकिन आज तक कोई भी सफल नहीं हो सका। कुछ लोग इसे सिर्फ कहानी मानते हैं लेकिन कुछ का विश्वास है कि यह खजाना अरावली की रक्षा के लिए बनाया गया एक रहस्यमयी संकेत है जो लालच से छेड़छाड़ करने वालों को कभी पूरा नहीं मिलता।

हसन खान मेवाती ने रखी थी नींव

इतिहास बताता है कि 1492 ईस्वी में हसन खान मेवाती ने इस दुर्ग की नींव रखी थी। करीब 5 किलोमीटर लंबा और 1.5 किलोमीटर चौड़ा यह किला अपनी सैन्य संरचना के लिए आज भी विशेषज्ञों को हैरान करता है। इसकी दीवारों में बने 446 छोटे छेद जिनसे 10 फुट लंबी बंदूकों से निशाना लगाया जाता था उस दौर की रणनीतिक समझ को दिखाते हैं। 66 बुर्जों से हर गतिविधि पर नजर रखी जाती थी लेकिन इसके बावजूद इस किले ने कभी बड़े युद्ध की आग नहीं देखी।

बाला किला को क्यों कहा जाता है कुंवारा किला

यही वजह है कि बाला किला ‘कुंवारा किला’ कहलाता है। मुगल, मराठा और जाट जैसे ताकतवर शासकों का कब्जा रहने के बावजूद यहां खून-खराबा नहीं हुआ। शायद अरावली की गोद में बसे इस किले का स्वभाव ही शांत था या फिर यह धरती खुद हिंसा को स्वीकार नहीं करती थी।

बाला किला का इतिहास है खास

मुगल इतिहास में भी बाला किले का खास स्थान रहा है। बाबर ने अपनी जीत के बाद यहां सिर्फ एक रात बिताई थी, जबकि शहजादे सलीम यानी जहांगीर ने इसे अपना बसेरा बनाया। आज भी ‘सलीम महल’ उस दौर की कहानी कहता है। जय पोल, सूरज पोल, लक्ष्मण पोल, चांद पोल, कृष्णा पोल और अंधेरी पोल जैसे छह विशाल दरवाजे इस किले की मजबूती के साथ-साथ उसकी भव्यता भी दर्शाते हैं।

अरावली को लेकर प्रदर्शन

आज जब अरावली को लेकर विरोध प्रदर्शन हो रहे हैं तब बाला किला सिर्फ एक पर्यटन स्थल नहीं रह जाता। यह हमें याद दिलाता है कि अगर हमने अरावली को खो दिया तो हम सिर्फ पहाड़ नहीं बल्कि अपना इतिहास, अपनी विरासत और अपनी सुरक्षा भी खो देंगे। शायद ‘कुबेर का खजाना’ सोने-चांदी में नहीं बल्कि इन पहाड़ियों को बचाए रखने में ही छिपा है। अरावली की गोद में खड़ा यह किला आज भी किसी ऐसे इंसान का इंतजार कर रहा है जो खजाना खोजने नहीं बल्कि इस धरती को समझने आए।

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