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Manipur Violence : राहुल गांधी के काफिले को बिष्णुपुर में रोका गया

Manipur Violence

Rahul Gandhi's convoy stopped in Bishnupur

इंफाल। कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी के काफिले को मणिपुर पुलिस ने हिंसा की आशंका के चलते गुरुवार को बिष्णुपुर में रोक दिया। राहुल हिंसा प्रभावित मणिपुर के अपने दो दिवसीय दौरे के लिए आज इंफाल पहुंचने के बाद चुराचांदपुर जिले के लिए रवाना हुए थे। जिले में राहुल की, हिंसा के कारण विस्थापित हुए लोगों से राहत शिविरों में मिलने की योजना है।

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राहत शिविरों में रह रहे लोगों से भी मिलने की योजना

इससे पहले कांग्रेस की राज्य इकाई के पदाधिकारियों ने बताया कि अपने दो दिवसीय दौरे पर राहुल गांधी नागरिक संगठनों के प्रतिनिधियों, बुद्धिजीवियों और अन्य लोगों से भी बातचीत करेंगे। पार्टी के एक वरिष्ठ पदाधिकारी ने कहा कि इस दौरे का मकसद मणिपुर में जातीय संघर्ष से प्रभावित लोगों को सांत्वना देना है। मणिपुर में इस साल मई में जातीय संघर्ष शुरू होने के बाद से 300 से अधिक राहत शिविरों में करीब 50,000 लोग रह रहे हैं।

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मणिपुर में हालात अच्छे नहीं हैं

कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष कीशम मेघचंद्र ने गांधी के दौरे से पहले कहा कि मणिपुर में हालात अच्छे नहीं हैं। हिंसा अब भी जारी है और गोलीबारी होती रहती है। उन्होंने दावा किया कि लोगों को भाजपा की डबल-इंजन सरकार पर भरोसा नहीं है। कांग्रेस की मणिपुर इकाई के प्रभारी डॉ. अजॉय कुमार ने दौरे की शुरुआत में कहा कि सरकार को लोगों की बात सुननी चाहिए। मणिपुर के मुख्यमंत्री बीरेन सिंह सरकार को हटाया जाना चाहिए। कांग्रेस पार्टी से जुड़े सूत्रों ने बताया कि राहुल गांधी की शुक्रवार को इंफाल में राहत शिविरों का दौरा करने और बाद में कुछ नागरिक संगठनों के सदस्यों से बातचीत करने की भी योजना है।

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हिंसा में अब तक हो चुकी है 100 से अधिक लोगों की मौत

गौरतलब है कि मणिपुर में मेइती और कुकी समुदाय के बीच मई की शुरुआत में भड़की जातीय हिंसा में 100 से अधिक लोगों की मौत हो चुकी है। मणिपुर में अनुसूचित जनजाति (एसटी) का दर्जा देने की मेइती समुदाय की मांग के विरोध में तीन मई को पर्वतीय जिलों में ‘आदिवासी एकजुटता मार्च’ के आयोजन के बाद झड़पें शुरू हुई थीं। मणिपुर की 53 प्रतिशत आबादी मेइती समुदाय की है और यह मुख्य रूप से इंफाल घाटी में रहती है। वहीं, नगा और कुकी जैसे आदिवासी समुदायों की आबादी 40 प्रतिशत है और यह मुख्यत: पर्वतीय जिलों में रहती है।

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