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Millets : किसानो के मोटे अनाज श्री अन्न को मिल सकता है बड़ा विदेशी बाजार

Millets: Shree Anna, the coarse grains of the farmers, can get a big foreign market

Millets: Shree Anna, the coarse grains of the farmers, can get a big foreign market

 

Millets : मोटे अनाज के उत्पादन के लिये ये वर्ष अति महत्वपूर्ण होने वाला है ।वर्ष 2023 को मिलेट वर्ष( श्रीअन्न ) घोषित करने  के साथ ही देश मे मोटे अनाजों के उत्पादन,खपत और निर्यात की सम्भावनाएं तलाशने मे सरकारी तंत्र सक्रिय हो गया है । देश मे श्रीअन्न की लोकप्रियता लगातार बढ़ रही है ।इसके साथ विदेशो मे भी इसको बढ़ावा मिल रहा है और इसके महत्व को समझा जा रहा है । श्री अन्न को लोकप्रिय बनाने के कार्यक्रमों में भारत सबसे आगे है,इसलिये माँग के अनुसार आपूर्ति की जिम्मेदारी भारत की होगी।

Millets :

 

श्रीअन्न के महत्व को इसी तरह से समझा जा सकता है कि केंद्रीय बजट मे इसे प्रोत्साहित करने का प्रस्ताव आते ही मोटे अनाज  के लिये विश्व बाजार की तलाश शुरु कर दी गईं।भारत सरकार ने ये जिम्मेदारी एपीडा यानि कृषि एवं प्रसंस्कृत खाद्य उत्पाद निर्यात विकास प्राधिकरण को सौंपी है ।

एपीडा ने ऐसे 30 प्रमुख देशो की सूची तैयार की है जो मोटे अनाज के बड़े आयातक है ।साथ ही देश के 21 राज्यो की उत्पादन क्षमता  बढाने की कार्य योजना बना ली है।  इस पर आधारित कार्यक्रम आईआईएमआर इंडियन इंस्टीटयूट ऑफ़ मिलेट रिसर्च,कृषि विश्वविद्यालय बेंगलूरु और यस बैंक को दिया गया है ।भारतीय मिलेट्स अनुसंधान केंद्र, हैदराबाद को उत्कृष्ता केंद्र के रूप में बढ़ावा भी देगा जिससे वह अंतरराष्ट्रीय स्तर पर श्रेष्ठ कार्य कर सकें।

एपीडा ने श्री अन्न को बढ़ावा देने के लिये श्रीअन्न ब्रांड का निर्माण किया।इसमे रेडी टू ईट और रेडी टू सर्व पर आधारित सैम्पल और स्टार्ट अप जोड़े जा रहे है जो इन मोटे अनाजों से बिस्कुट,नूडल्स,पास्ता आदि बना सके।ताकी विश्व बाजार मे इसे बढ़ावा मिले और इसका निर्यात भी बढ़ सके।हमारे देश में एशिया का लगभग 80 प्रतिशत और विश्व का 20 प्रतिशत मोटा अनाज पैदा होता है। यदि मांग बढ़ेगी तो भारत में इसकी पैदावार कई गुना बढाई जा सकती है। खाद्य प्रसंस्करण उद्योग मंत्रालय वर्ष 2026-27 तक बाजरा आधारित उत्पादो को प्रोत्साहित करने की योजना पर 800 करोड़ खर्च करने जा रहा है ।

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