Thursday, 19 September 2024

Modi Surname Defamation Case : गुजरात हाईकोर्ट से राहुल गांधी को झटका, सजा बरकरार

अहमदाबाद। मोदी सरनेम मानहानि मामले में राहुल गांधी को गुजरात हाईकोर्ट से भी निराशा हाथ लगी है। कोर्ट ने उनकी…

Modi Surname Defamation Case : गुजरात हाईकोर्ट से राहुल गांधी को झटका, सजा बरकरार

अहमदाबाद। मोदी सरनेम मानहानि मामले में राहुल गांधी को गुजरात हाईकोर्ट से भी निराशा हाथ लगी है। कोर्ट ने उनकी सजा पर रोक लगाने से इनकार कर दिया। मोदी सरनेम बयान को लेकर बीजेपी विधायक पूर्णेश मोदी ने राहुल के खिलाफ मानहानि का मामला दर्ज कराया था। चार साल बाद 23 मार्च को सूरत की निचली अदालत ने राहुल को दोषी करार देते हुए 2 साल की सजा सुनाई थी। कोर्ट ने राहुल गांधी की ओर से सजा पर रोक लगाने की मांग को लेकर दाखिल याचिका को भी खारिज कर दिया। हाईकोर्ट ने निचली अदालत के फैसले को सही माना है।

Modi Surname Defamation Case

राहुल गांधी ने 2019 लोकसभा चुनाव के दौरान कर्नाटक में एक रैली के दौरान ‘मोदी सरनेम’ को लेकर बयान दिया था। इस बयान को लेकर बीजेपी विधायक पूर्णेश मोदी ने साल 2019 में राहुल के खिलाफ मानहानि का मामला दर्ज कराया था। चार साल बाद 23 मार्च को सूरत की निचली अदालत ने राहुल को दोषी करार देते हुए 2 साल की सजा सुनाई थी।

राहुल की संसद सदस्यता हुई रद्द

इसके बाद जन प्रतिनिधित्व अधिनियम के तहत लोकसभा सचिवालय की ओर से राहुल की संसद सदस्यता रद्द कर दी गई थी। राहुल केरल के वायनाड से सांसद थे। दरअसल, जनप्रतिनिधि कानून में प्रावधान है कि अगर किसी सांसद और विधायक को किसी मामले में 2 साल या उससे ज्यादा की सजा होती है, तो उनकी सदस्यता (संसद और विधानसभा से) रद्द हो जाती है। इतना ही नहीं, सजा की अवधि पूरी करने के बाद छह वर्ष तक चुनाव लड़ने के लिए अयोग्य भी हो जाते हैं।

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राहुल ने 2 अप्रैल को निचली अदालत के फैसले के खिलाफ सूरत सेशन कोर्ट का रुख किया था। राहुल द्वारा दो याचिकाएं दाखिल की गई हैं। पहली अर्जी में सजा पर रोक की मांग की गई थी, जबकि दूसरी में अपील के निस्तारण तक कन्विक्शन पर रोक लगाने की मांग की गई थी।

राहुल के पास ये है विकल्प

राहुल को हाईकोर्ट से राहत नहीं मिली है। हालांकि, अभी उनके पास सुप्रीम कोर्ट जाने का विकल्प खुला हुआ है। अगर सुप्रीम कोर्ट राहुल की सजा पर रोक लगा देती है, तो उनकी सदस्यता फिर से बहाल हो सकती है। बता दें कि इससे पहले सुप्रीम कोर्ट ने 2013 और 2018 में ऐतिहासिक लिली थॉमस और लोक प्रहरी फैसलों में कहा था कि अगर सजा निलंबित कर दी जाती है और अपीलीय अदालत दोषसिद्धि पर रोक लगा देती है, तो जन प्रतिनिधित्व अधिनियम के तहत किसी विधायक की अयोग्यता को पलटा जा सकता है। अकेले सजा के निलंबन से विधायक के रूप में अयोग्यता को पलटा नहीं किया जा सकता। यह जरूरी है कि अपीलीय अदालत भी अयोग्यता को निलंबित करने के मामले में दोषसिद्धि पर रोक लगा दे।

Modi Surname Defamation Case

अभी हाल ही में लक्षद्वीप के सांसद मोहम्मद फैजल के मामले में भी ऐसा देखने को मिला था। जनवरी में मोहम्मद फैजल को हत्या के प्रयास में दोषी ठहराते हुए निचली अदालत ने 10 साल की सजा सुनाई थी। इसके बाद फैजल की लोकसभा सदस्यता रद्द हो गई थी। फैजल ने निचली अदालत के फैसले के खिलाफ केरल हाईकोर्ट का रुख किया था। केरल हाईकोर्ट ने मोहम्मद फैजल की सजा पर रोक लगा दी थी। इसके बाद मोहम्मद फैजल की सदस्यता बहाल कर दी गई।

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राहुल ने दिया था ये बयान

राहुल गांधी ने कर्नाटक के कोलार में 13 अप्रैल 2019 को चुनावी रैली में कहा था कि नीरव मोदी, ललित मोदी, नरेंद्र मोदी का सरनेम कॉमन क्यों है? सभी चोरों का सरनेम मोदी क्यों होता है? राहुल के इस बयान को लेकर बीजेपी विधायक और पूर्व मंत्री पूर्णेश मोदी ने उनके खिलाफ धारा 499, 500 के तहत आपराधिक मानहानि का केस दर्ज कराया था। अपनी शिकायत में बीजेपी विधायक ने आरोप लगाया था कि राहुल ने 2019 में चुनावी रैली को संबोधित करते हुए पूरे मोदी समुदाय को कथित रूप से यह कहकर बदनाम किया कि सभी चोरों का सरनेम मोदी क्यों होता है?

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