Delhi : पीठासीन अधिकारी निष्पक्ष होने चाहिए, सत्तापक्ष के साथ वफादारी नहीं दिखा सकते: कांग्रेस

Delhi News : कांग्रेस ने राज्यसभा के सभापति जगदीप धनखड़ द्वारा नेता प्रतिपक्ष मल्लिकार्जुन खरगे द्वारा उठाए गए व्यवस्था के प्रश्न को खारिज किए जाने के बाद बुधवार को कहा कि पीठासीन अधिकारियों से निष्पक्ष और तटस्थ होने की अपेक्षा की जाती है तथा वे सत्तापक्ष के साथ अपनी वफादारी नहीं दिखा सकते।
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पार्टी महासचिव और राज्यसभा में कांग्रेस के मुख्य सचेतक जयराम रमेश ने ट्वीट किया ‘‘विधायिका के पीठासीन अधिकारियों से निष्पक्ष और तटस्थ होने की अपेक्षा की जाती है। वे सत्ताधारी दल के प्रति अपने पूर्वाग्रह या अपनी वफादारी प्रदर्शित नहीं कर सकते। उन्हें अपने कार्यों के माध्यम से सम्मान प्राप्त करना चाहिए, कभी न ख़त्म होने वाले उपदेश देकर नहीं।
उल्लेखनीय है कि सभापति धनखड़ ने राज्यसभा में खरगे द्वारा उठाये गये व्यवस्था के प्रश्न को खारिज कर दिया। व्यवस्था के प्रश्न के तहत खरगे ने आसन से राज्यसभा की कार्यवाही में से सदन के नेता पीयूष गोयल के वक्तव्य के उन अंशों को हटाने की मांग की थी जिसमें राहुल गांधी का नाम लिये बिना उनसे माफी मांगने को कहा गया था। खरगे ने कहा था कि गांधी चूंकि दूसरे सदन के सदस्य हैं, इसलिए उनका परोक्ष रूप से भी उल्लेख नहीं हो सकता है।
धनखड़ ने अपनी व्यवस्था में कहा कि सदन के नेता पीयूष गोयल ने अपने वक्तव्य में किसी का भी नाम नहीं लिया था अत: खरगे की आपत्ति निराधार है।
सभापति द्वारा व्यवस्था सुनाये जाने के बाद सदन में हंगामा फिर तेज हो गया। हंगामा थमते नहीं देख उन्होंने बैठक को दोपहर दो बजकर 18 मिनट पर पूरे दिन के लिए स्थगित कर दिया।
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पार्टी महासचिव और राज्यसभा में कांग्रेस के मुख्य सचेतक जयराम रमेश ने ट्वीट किया ‘‘विधायिका के पीठासीन अधिकारियों से निष्पक्ष और तटस्थ होने की अपेक्षा की जाती है। वे सत्ताधारी दल के प्रति अपने पूर्वाग्रह या अपनी वफादारी प्रदर्शित नहीं कर सकते। उन्हें अपने कार्यों के माध्यम से सम्मान प्राप्त करना चाहिए, कभी न ख़त्म होने वाले उपदेश देकर नहीं।
उल्लेखनीय है कि सभापति धनखड़ ने राज्यसभा में खरगे द्वारा उठाये गये व्यवस्था के प्रश्न को खारिज कर दिया। व्यवस्था के प्रश्न के तहत खरगे ने आसन से राज्यसभा की कार्यवाही में से सदन के नेता पीयूष गोयल के वक्तव्य के उन अंशों को हटाने की मांग की थी जिसमें राहुल गांधी का नाम लिये बिना उनसे माफी मांगने को कहा गया था। खरगे ने कहा था कि गांधी चूंकि दूसरे सदन के सदस्य हैं, इसलिए उनका परोक्ष रूप से भी उल्लेख नहीं हो सकता है।
धनखड़ ने अपनी व्यवस्था में कहा कि सदन के नेता पीयूष गोयल ने अपने वक्तव्य में किसी का भी नाम नहीं लिया था अत: खरगे की आपत्ति निराधार है।
सभापति द्वारा व्यवस्था सुनाये जाने के बाद सदन में हंगामा फिर तेज हो गया। हंगामा थमते नहीं देख उन्होंने बैठक को दोपहर दो बजकर 18 मिनट पर पूरे दिन के लिए स्थगित कर दिया।







