जयपुर स्कूल सुसाइड मामले में हुआ चौंकाने वाला खुलासा, स्कूल प्रशासन...

जयपुर सुसाइड मामले में चौंकाने वाला खुलासा हुआ है जिसने पूरे इलाके में खलबली मचा दिया है। बता दें, जयपुर के एक मशहूर प्राइमरी स्कूल में पढ़ने वाली कक्षा 4 की छात्रा ने स्कूल की चौथी मंजिल से छलांग लगी दी थी जिससे उसकी दर्दनाक मौत हो गई।

जयपुर समाचार
जयपुर स्कूल सुसाइड मामले में बड़ा खुलासा
locationभारत
userअसमीना
calendar01 Dec 2025 05:30 AM
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राजस्थान के जयपुर स्थित एक नामी स्कूल में महज 9 साल की बच्ची के सुसाइड ने पूरे देश को हिला रखा है। बीते एक नवंबर को चौथी कक्षा में पढ़ने वाली अमायरा ने स्कूल की चौथी मंजिल से कूदकर सुसाइड कर लिया। बच्ची की मौत से परिवार पूरी तरह से टूट चुका है जो बच्ची एक दिन पहले हंस खेल रही थी उसकी मौत ने कई गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं।

ये मामला शनिवार का बताया जा रहा है जहां जयपुर के मशहूर स्कूल में कक्षा 4 में पढ़ने वाली 9 साल की बच्ची अमायरा मीणा ने स्कूल की चौथी मंजिल से छलांग लगा दी थी। अमायरा के माता-पिता ने स्कूल प्रशासन पर आरोप लगाते हुए कहा है कि, स्कूल में लगातार बच्ची को परेशान किया जा रहा था जिससे परेशान होकर उसने ये कदम उठाया। 

लगातार बात को किया जा रहा था अनसुना

अमायरा की मां शिवानी मीणा का कहना है कि, उन्होंने स्कूल की क्लास टीचर और मैनेजर से कई बार बात करने की कोशिश की लेकिन उनकी बात को हर बार अनसुना किया गया। उनका कहना है कि, मैंने अपनी बेटी की परेशानी समझने के लिए एक ऑडियो रिकॉर्ड किया और उसे उसकी क्लास टीचर को भेजा। मुझे उम्मीद थी कि स्कूल मेरी बेटी की बात समझेगा लेकिन इसका कोई फायदा नहीं हुआ। अगर उन्होंने मेरी बात पर गौर किया होता को आज मेरी बेटी जिंदा होती और मेरे पास होती।

पैरेंट्स-टीचर मीटिंग में भी उठाया गया था मामला

अमायरा के पिता विजय का कहना है, एक बार पैरेंट्स-टीचर मीटिंग के दौरान भी उन्होंने कहा था कि उनकी बच्ची बुलिंग का शिकार है कुछ बच्चे अमायरा और एक लड़के की ओर इशारा करके माजक बना रहे थे। जिसके बाद अमायरा अपने पिता के पीछे छिप गई। जब पिता ने आपत्ति जताई तो शिक्षक ने कहा कि यह एक को-एजुकेशन स्कूल है और उनकी बेटी को लड़कों से भी बात करना सीखना चाहिए।

छलांग लगाने से पहले शिक्षिका के पास गई थी अमायरा

जानकारी के मुताबिक, पुलिस जांच में सामने आया कि कक्षा के सीसीटीवी फुटेज में अमायरा को छलांग लगाने से कुछ समय पहले दो बार अपनी शिक्षिका के पास जाते हुए देखा गया। हालांकि बच्ची ने टीचर से क्या कहा इसका पता नहीं चल सका। अमायरा के माता-पिता ने स्कूल प्रशासन के खिलाफ सख्त कार्रवाई की मांग की है। 

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मिट्टी में बोरॉन की कमी बनी किसानों की नई चुनौती

कृषि विशेषज्ञों के अनुसार, जिंक के बाद बोरॉन की कमी विश्वभर में दूसरी सबसे आम सूक्ष्म पोषक तत्व की कमी है। यह पौधों की कोशिका भित्ति निर्माण, परागण, बीज निर्माण, और जड़ों की वृद्धि में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है।

Azotobacter Boron farmers
प्रजनन संरचनाओं में विकसित (फाइल फोटो)
locationभारत
userऋषि तिवारी
calendar30 Nov 2025 04:21 PM
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पौधों की स्वस्थ वृद्धि और उच्च उत्पादकता सुनिश्चित करने में सूक्ष्म पोषक तत्व “बोरॉन” की भूमिका अत्यंत महत्वपूर्ण मानी जा रही है। कृषि वैज्ञानिकों का कहना है कि मिट्टी में बोरॉन की कमी से फसलों की वृद्धि रुक सकती है, उपज में भारी गिरावट आ सकती है और बीज तथा फलों की गुणवत्ता पर भी प्रतिकूल प्रभाव पड़ता है।

पौधों में बोरॉन का कार्य

बता दे कि बोरॉन पौधों के अंदर शर्करा और ऊर्जा के संचलन, जैविक झिल्लियों की स्थिरता बनाए रखने और फूलों से बीज बनने की प्रक्रिया में मदद करता है। विशेष रूप से दलहनी फसलों में यह नाइट्रोजन स्थिरीकरण और गांठ निर्माण के लिए आवश्यक है।

कमी के लक्षण

विशेषज्ञों का कहना है कि बोरॉन की कमी सबसे पहले पौधों के नई पत्तियों और बढ़ते हिस्सों में दिखाई देती है। इसकी कमी से पौधों के शीर्ष वृद्धि बिंदु मर सकते हैं, जड़ों की लंबाई घट जाती है, फूलों में बीज नहीं बनते और फल गिरने लगते हैं।

मिट्टी और जलवायु के प्रभाव

रेतीली, अम्लीय और कम कार्बनिक पदार्थ वाली मिट्टी में बोरॉन की कमी आम होती है। वहीं, उच्च pH या अधिक चिकनी मिट्टी में बोरॉन पौधों तक पहुँचने में कठिनाई होती है। पर्यावरणीय कारणों में — लंबे समय तक सूखा, कम वाष्पोत्सर्जन, उच्च नमी और ठंडे तापमान — बोरॉन के अवशोषण को प्रभावित करते हैं।

अन्य पोषक तत्वों के साथ संबंध

अध्ययनों में पाया गया है कि पर्याप्त बोरॉन पौधों की जड़ों द्वारा फास्फोरस (P) और पोटेशियम (K) के अवशोषण में मदद करता है। यह जड़ कोशिका झिल्लियों के कार्य को स्थिर रखता है और एल्युमिनियम विषाक्तता को भी कम कर सकता है।

किसानों के लिए सुझाव

कृषि वैज्ञानिक सलाह देते हैं कि किसान हर दो साल में अपनी मिट्टी की जाँच करवाएँ और बोरॉन की मात्रा पर नज़र रखें। कमी और विषाक्तता के बीच बहुत छोटा अंतर होता है, इसलिए उचित मात्रा में ही उर्वरक का प्रयोग किया जाना चाहिए। एस्पायर विद बोरॉन जैसे संतुलित उर्वरक उत्पाद पौधों को समान रूप से पोषण प्रदान करने में सहायक साबित हो रहे हैं।

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किसानों के लिए वरदान बना एज़ोटोबैक्टर

दुनिया जैसे-जैसे रासायनिक उर्वरकों पर अपनी निर्भरता कम करने और पर्यावरण-अनुकूल कृषि पद्धतियों को अपनाने की ओर बढ़ रही है, मिट्टी में पाया जाने वाला एक सूक्ष्म जीव, एज़ोटोबैक्टर (Azotobacter), कृषि क्षेत्र में क्रांति ला रहा है। हालिया शोध और बाजार के रुझान टिकाऊ खेती में इस मुक्त-जीवित नाइट्रोजन स्थिरीकरण करने वाले बैक्टीरिया की महत्वपूर्ण भूमिका को उजागर करते हैं।

Azotobacter farmers
किसानों के लिए एज़ोटोबैक्टर का उपयोग (फाइल फोटो)
locationभारत
userऋषि तिवारी
calendar02 Dec 2025 04:06 AM
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एज़ोटोबैक्टर एक प्राकृतिक और सुरक्षित जीवाणु है जो मिट्टी में स्वतंत्र रूप से रहता है। इसका प्राथमिक कार्य वायुमंडलीय नाइट्रोजन को ऐसे रूप में परिवर्तित करना है जिसे पौधे आसानी से अवशोषित कर सकें, जिससे मिट्टी की प्राकृतिक उर्वरता सीधे तौर पर बढ़ती है। रासायनिक उर्वरकों के विपरीत, यह पर्यावरण या जल स्रोतों को प्रदूषित नहीं करता है, जो इसे आधुनिक कृषि के लिए एक आदर्श समाधान बनाता है।

नवीनतम विकास और अनुसंधान

कृषि वैज्ञानिक लगातार एज़ोटोबैक्टर की क्षमता का दोहन करने के नए तरीके खोज रहे हैं:

  • बाजार में उछाल: हाल की रिपोर्टों से संकेत मिलता है कि एज़ोटोबैक्टर-आधारित उत्पादों का वैश्विक बाजार तेजी से बढ़ रहा है, 2025 तक इसके $865.68 मिलियन तक पहुंचने की उम्मीद है। यह टिकाऊ कृषि समाधानों की बढ़ती मांग को दर्शाता है।
  • परीक्षण और प्रभावकारिता: जुलाई 2024 में, फ्रांस में शोधकर्ताओं ने जैविक खेती और अंगूर की खेती में प्राकृतिक नाइट्रोजन अवशोषण को बेहतर बनाने के प्रयास में एज़ोटोबैक्टर-आधारित यौगिकों का परीक्षण शुरू किया।
  • फसल की पैदावार में वृद्धि: अध्ययनों से पता चला है कि एज़ोटोबैक्टर के उपयोग से मक्का, चावल और गेहूं जैसी गैर-फलीदार फसलों की पैदावार में 40% तक की उल्लेखनीय वृद्धि हो सकती है। जनवरी 2024 में, स्वीट कॉर्न पर एज़ोटोबैक्टर जैव-उर्वरक के प्रभाव की जांच करने वाले एक अध्ययन ने सकारात्मक परिणाम दिए।
  • तरल जैव-उर्वरक नवाचार: अक्टूबर 2024 की एक रिपोर्ट में, ओडिशा के नबरंगपुर में NBRI के एक नवाचार ने तरल जैव-उर्वरक उत्पादन को बढ़ावा दिया, जिससे स्थानीय स्तर पर इन उत्पादों की उपलब्धता और पहुंच में सुधार हुआ।

किसानों के लिए सीधा लाभ

बता दे कि कृषि विशेषज्ञों के अनुसार, एज़ोटोबैक्टर का उपयोग बीज उपचार, मिट्टी उपचार या टपक सिंचाई के माध्यम से किया जा सकता है। यह न केवल नाइट्रोजन प्रदान करता है, बल्कि पौधों के विकास हार्मोन — जैसे ऑक्सिन और जिबरेलिन — का भी निर्माण करता है, जो जड़ों के विकास और पौधों की वृद्धि को प्रोत्साहित करते हैं। इसके अतिरिक्त, यह कुछ मृदा-जनित रोगों के विरुद्ध प्राकृतिक सुरक्षा भी प्रदान करता है।

टिकाऊ भविष्य की ओर

एज़ोटोबैक्टर जैव-उर्वरक का उपयोग रासायनिक उर्वरकों पर निर्भरता घटाने, उत्पादन लागत कम करने और पर्यावरण संरक्षण को सुनिश्चित करने की दिशा में एक ठोस कदम है। विशेषज्ञ मानते हैं कि यदि इसे बड़े पैमाने पर अपनाया गया, तो यह भारत सहित दुनिया के कई देशों में हरित क्रांति 2.0 की नींव साबित हो सकता है।

मुख्य विशेषताएँ

  • मुक्त-जीवित (Free-living): यह अन्य पौधों के साथ सहजीवी (symbiotic) संबंध बनाए बिना स्वतंत्र रूप से मिट्टी में रहता है।
  • नाइट्रोजन स्थिरीकरण: एज़ोटोबैक्टर वायुमंडलीय नाइट्रोजन (N₂) को अमोनियम आयनों (ammonium ions) जैसे उपयोगी नाइट्रोजन यौगिकों में बदलने की क्षमता रखता है, जिन्हें पौधे आसानी से अवशोषित कर सकते हैं।
  • आकार: ये अंडाकार या गोलाकार होते हैं और प्रतिकूल परिस्थितियों में मोटी दीवार वाली सिस्ट (cysts) बना सकते हैं।
  • ग्राम-नेगेटिव: ये ग्राम-नेगेटिव बैक्टीरिया होते हैं।
  • PH आवश्यकता: इनके विकास और नाइट्रोजन स्थिरीकरण के लिए इष्टतम pH रेंज तटस्थ से क्षारीय (लगभग 7 से 9) होती है, और ये अम्लीय मिट्टी (<6.0 pH) में जीवित नहीं रह पाते हैं।

कृषि में उपयोग और लाभ

एज़ोटोबैक्टर का उपयोग मुख्य रूप से रासायनिक उर्वरकों पर निर्भरता कम करने और टिकाऊ कृषि को बढ़ावा देने के लिए किया जाता है। 

  • मिट्टी की उर्वरता बढ़ाना: यह मिट्टी में नाइट्रोजन की मात्रा को बढ़ाता है, जिससे मिट्टी की उर्वरता में सुधार होता है।
  • पौधों की वृद्धि को बढ़ावा देना: नाइट्रोजन स्थिरीकरण के अलावा, एज़ोटोबैक्टर ऑक्सिन, साइटोकिनिन और जिबरेलिन जैसे पादप हार्मोन और विटामिन भी संश्लेषित करता है, जो पौधों की वृद्धि, जड़ के विकास और बीज के अंकुरण को प्रोत्साहित करते हैं।
  • फसल की पैदावार में वृद्धि: इसके उपयोग से मक्का, चावल और गेहूं जैसी गैर-फलीदार फसलों में उल्लेखनीय रूप से फसल उत्पादन बढ़ता है।
  • रोगजनकों से सुरक्षा: यह कुछ एंटीबायोटिक पदार्थ भी पैदा करता है जो रोगजनक कवक और बैक्टीरिया के विकास को रोकते हैं, जिससे पौधों को बीमारियों से बचाया जा सकता है।
  • पर्यावरण के लिए सुरक्षित: रासायनिक उर्वरकों के विपरीत, एज़ोटोबैक्टर पर्यावरण और जल स्रोतों को प्रदूषित नहीं करता है।