सुप्रीम कोर्ट का बड़ा फैसला: हाई कोर्ट जज के खिलाफ लोकपाल के आदेश पर लगाई रोक

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Supreme Court
locationभारत
userचेतना मंच
calendar01 Dec 2025 09:52 PM
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Supreme Court : सुप्रीम कोर्ट ने उच्च न्यायालयों के जजों के खिलाफ शिकायतों पर विचार करने संबंधी लोकपाल के आदेश पर रोक लगा दी। इस फैसले को न्यायपालिका की स्वतंत्रता के लिए एक महत्वपूर्ण कदम माना जा रहा है। अदालत ने कहा कि लोकपाल के इस आदेश से न्यायपालिका की स्वायत्तता पर गंभीर खतरा पैदा हो सकता है और यह देश के संवैधानिक ढांचे के खिलाफ है। सुप्रीम कोर्ट ने यह भी कहा कि, यह आदेश न्यायपालिका की स्वतंत्रता को सीधे तौर पर प्रभावित कर सकता है, जो लोकतंत्र की बुनियादी आवश्यकताओं में से एक है।

लोकपाल के आदेश को 'बेहद चिंताजनक' करार दिया

गुरुवार को हुई सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट की स्पेशल बेंच ने लोकपाल के आदेश पर रोक लगाते हुए इसे 'बेहद चिंताजनक' करार दिया। जस्टिस बी.आर. गवई की अगुआई वाली बेंच ने स्पष्ट रूप से कहा कि उच्च न्यायालयों के जजों को संविधान के तहत एक स्वतंत्र संवैधानिक प्राधिकारी माना गया है और वे लोकपाल के अधीन नहीं आ सकते। बेंच ने केंद्र, लोकपाल रजिस्ट्रार और शिकायतकर्ता से जवाब भी मांगा है।

'कोई भी व्यक्ति' की परिभाषा में हाई कोर्ट के जज भी शामिल

लोकपाल का यह आदेश 27 जनवरी को जारी किया गया था जिसमें कहा गया था कि, उच्च न्यायालय के जजों को लोकपाल अधिनियम, 2013 के तहत आने वाली संस्था माना जाए। लोकपाल ने इस आदेश में यह भी दावा किया था कि 'कोई भी व्यक्ति' की परिभाषा में हाई कोर्ट के जज भी शामिल हैं। हालांकि, लोकपाल ने मामले की सत्यता पर अभी कोई भी टिप्पणी नहीं की और इसे आगे की कार्रवाई के लिए मुख्य न्यायाधीश (CJI) के पास भेज दिया है।

लोकपाल के दायरे में नहीं आते उच्च न्यायालय के जज - तुषार मेहता

सुप्रीम कोर्ट ने इस आदेश को अस्वीकार करते हुए कहा कि लोकपाल ने जो तर्क प्रस्तुत किया है, वह गलत है। कोर्ट ने साफ किया कि उच्च न्यायालय के जजों को एक संवैधानिक प्राधिकारी के रूप में देखा जाना चाहिए और उन्हें केवल एक वैधानिक पदाधिकारी के रूप में नहीं माना जा सकता जैसा कि लोकपाल ने किया है। इस मुद्दे पर सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने भी अपनी बात रखते हुए कहा कि उच्च न्यायालय के जज लोकपाल के दायरे में नहीं आते हैं सुप्रीम कोर्ट ने इस दौरान शिकायतकर्ता को जज का नाम उजागर करने से भी रोक दिया और उसकी शिकायत को गोपनीय रखने का निर्देश दिया। कोर्ट का मानना था कि इस प्रकार के मामलों में न्याय की प्रक्रिया को बाधित करने से बचना जरूरी है, ताकि कोई भी पक्ष असमर्थित आरोपों से बच सके। Supreme Court

क्या है अखिल भारतीय मराठी साहित्य सम्मेलन? जिसका PM मोदी करेंगे उद्घाटन

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क्या है अखिल भारतीय मराठी साहित्य सम्मेलन? जिसका PM मोदी करेंगे उद्घाटन

Pm modi
National News
locationभारत
userचेतना मंच
calendar02 Dec 2025 04:33 AM
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National News : प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी आज दिल्ली में 98वें अखिल भारतीय मराठी साहित्य सम्मेलन का उद्घाटन करेंगे। यह आयोजन खास इसलिए है क्योंकि यह सम्मेलन 71 वर्षों के बाद राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली में हो रहा है। इस अवसर पर प्रधानमंत्री मोदी विज्ञान भवन में आयोजित सभा को संबोधित करेंगे और साथ ही साथ सम्मेलन का औपचारिक उद्घाटन भी करेंगे।

मराठी साहित्य की समृद्धि का है उत्सव

यह सम्मेलन 21 से 23 फरवरी तक आयोजित होगा और इसमें मराठी साहित्य की समृद्धि और प्रासंगिकता का उत्सव मनाया जाएगा। प्रधानमंत्री मोदी द्वारा उद्घाटन किए जाने के बाद, सम्मेलन में पैनल चर्चाएं, पुस्तक प्रदर्शनियां, सांस्कृतिक कार्यक्रम, और साहित्यिक हस्तियों के साथ संवाद सत्र भी आयोजित किए जाएंगे।

सम्मेलन में मराठी भाषा को और मिलेगा बढ़ावा

बता दें कि एक विज्ञप्ति में कहा गया कि यह सम्मेलन मराठी साहित्य की कालातीत प्रासंगिकता का उत्सव होगा और इसमें साहित्य के संरक्षण, अनुवाद, और डिजिटलीकरण के प्रभाव पर चर्चा की जाएगी। दिल्ली में आयोजित इस सम्मेलन में मराठी भाषा के महत्व को और बढ़ावा मिलेगा, खासकर तब जब सरकार ने इसे शास्त्रीय भाषा का दर्जा भी दे दिया है। इस ऐतिहासिक अवसर पर सम्मेलन में भाग लेने के लिए पुणे से दिल्ली तक एक साहित्यिक ट्रेन यात्रा भी आयोजित की जाएगी, जिसमें 1,200 प्रतिभागी भी शामिल होंगे।

झुमोइर बिनंदिनी' कार्यक्रम में भी भाग लेंगे PM मोदी

इसके अलावा, प्रधानमंत्री मोदी असम की समृद्ध सांस्कृतिक धरोहर का भी जश्न मनाने के लिए असम सरकार द्वारा आयोजित 'झुमोइर बिनंदिनी' कार्यक्रम में भी भाग लेंगे। यह कार्यक्रम गुवाहाटी के सरुसजाई स्टेडियम में 24 फरवरी को होगा, जहां असम के 27 जिलों के झुमोइर कलाकार अपने पारंपरिक नृत्य का प्रदर्शन करेंगे। इस कार्यक्रम में 5,399 महिला नर्तक, 2,175 पुरुष नर्तक, और 2,074 संगीतकार हिस्सा लेंगे। यह दोनों कार्यक्रम भारतीय सांस्कृतिक विरासत को सम्मान देने के साथ-साथ मराठी साहित्य और असम की परंपरा को वैश्विक मंच पर पेश करने का एक अनूठा अवसर प्रदान करेंगे। National News

नीट पास करने के बाद ही विदेश से एमबीबीएस, सुप्रीम कोर्ट ने दिया फैसला

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OTT पर अश्लील कंटेंट को लेकर सरकार की सख्ती, सूचना-प्रसारण मंत्रालय ने जारी की एडवाइजरी

OTT Platforms Guidelines
OTT Content Guidelines
locationभारत
userचेतना मंच
calendar01 Dec 2025 11:34 PM
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OTT Content Guidelines : भारत सरकार द्वारा ऑनलाइन क्यूरेटेड कंटेंट (OTT प्लेटफॉर्म) और सोशल मीडिया पब्लिशर्स द्वारा प्रकाशित अश्लील और पोर्नोग्राफिक कंटेंट को लेकर सख्ती दिखाई है। सूचना और प्रसारण मंत्रालय ने एक नई एडवाइजरी जारी की है, जिसमें ओटीटी प्लेटफॉर्म्स और उनके स्व-नियामक निकायों को चेतावनी दी गई है कि वे सामग्री वर्गीकरण और अश्लील कंटेंट पर प्रतिबंध से संबंधित नियमों का पालन करें।

सरकार ने क्या कहा?

सरकार का कहना है कि कुछ सांसदों, वैधानिक संगठनों और आम लोगों ने इस प्रकार की सामग्री के प्रसार पर चिंता व्यक्त की थी और इसे लेकर उनकी शिकायतें भी प्राप्त हुई थी। मंत्रालय ने इस पर कदम उठाते हुए ओटीटी प्लेटफॉर्म्स को ध्यान दिलाया कि वे भारत के कानूनों और सूचना प्रौद्योगिकी अधिनियम में निर्धारित आचार संहिता का सही से पालन करें।

क्या है नई एडवाइजरी?

नई एडवाइजरी में ओटीटी प्लेटफॉर्म्स से अपेक्षाएं की गई हैं कि वे किसी भी ऐसे कंटेंट का प्रसारण ना करें जो कानूनी रूप से निषिद्ध हो। इसके अलावा, उन्हें सामग्री को आयु-आधारित वर्गीकरण के तहत ठीक से वर्गीकृत करने और 'ए' रेटेड कंटेंट तक बच्चों की पहुंच को रोकने के लिए उचित एक्सेस कंट्रोल मैकेनिज्म लागू करने की भी सलाह दी गई है।

ओटीटी प्लेटफॉर्म्स पर होगी सरकार की पैनी नजर

मंत्रालय ने इस एडवाइजरी में स्पष्ट किया है कि ओटीटी प्लेटफॉर्म्स को यह सुनिश्चित करना होगा कि, वे अपने कंटेंट के मामले में उचित सतर्कता और विवेक का पालन करें। सरकार ने इस सख्ती के जरिए यह संदेश दिया है कि अब ओटीटी प्लेटफॉर्म्स पर दिखाई जाने वाली सामग्री पर सरकार की पैनी नजर होगी और वे किसी भी नियम का उल्लंघन नहीं कर सकते।

अश्लील कंटेंट बनाने वालों पर चलेगा सरकार का डंडा, SC ने केंद्र से पूछा सवाल

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