Women Reservation Bill: केंद्र सरकार ने विशेष सत्र के दूसरे दिन महिला आरक्षण बिल को सदन के पटल पर रखा। मंगलवार को केंद्रीय कानून मंत्री अर्जुन राम मेघवाल ने लोकसभा में यह बिल पेश किया। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 33% आरक्षण के प्रस्ताव पर कहा कि इससे लोकसभा मजबूत होगी। महिला आरक्षण बिल को केंद्र सरकार ने ‘नारी शक्ति वंदन अधिनियम’ विधेयक कहा। हालांकि केंद्र सरकार की इस पहल पर सियासत गर्म हो गई। कुछ लोगो ने इसे चुनावी प्रोपेगेंडा का नाम से दिया। अब केंद्र सरकार के इस पहल का बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार (Bihar CM Nitish Kumar) ने समर्थन किया है।
बिहार के मुख्यमंत्री ने Women Reservation Bill को बताया स्वागत योग्य :
बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने केंद्र सरकार द्वारा पेश किए गए महिला आरक्षण बिल (Women Reservation Bill) को स्वागत योग्य बताते हुए ट्विटर पर लिखा है कि – “संसद में जो महिला आरक्षण बिल लाया गया है, वह स्वागत योग्य कदम है। हम शुरू से ही महिला सशक्तीकरण के हिमायती रहे हैं और बिहार में हमलोगों ने कई ऐतिहासिक कदम उठाये हैं। वर्ष 2006 से हमने पंचायती राज संस्थाओं और वर्ष 2007 से नगर निकायों में महिलाओं को 50 प्रतिशत आरक्षण दिया।”
आगे उन्होंने लिखा है -” वर्ष 2006 से ही प्रारंभिक शिक्षक नियोजन में महिलाओं को 50 प्रतिशत और वर्ष 2016 से सभी सरकारी नौकरियों में 35 प्रतिशत आरक्षण दिया जा रहा है। वर्ष 2013 से बिहार पुलिस में भी महिलाओं कोे 35 प्रतिशत आरक्षण दिया जा रहा है। आज बिहार पुलिस में महिला पुलिसकर्मियों की भागीदारी देश में सर्वाधिक है। बिहार में मेडिकल एवं इंजीनियरिंग यूनिवर्सिटी के अन्तर्गत नामांकन में न्यूनतम 33 प्रतिशत सीटें छात्राओं के लिये आरक्षित की गयी हैं। ऐसा करनेवाला बिहार देश का पहला राज्य है।”
नीतीश कुमार ने आगे लिखा है कि-“हम लोगों ने वर्ष 2006 में राज्य में महिला स्वयं सहायता समूहों के गठन के लिए परियोजना शुरू की जिसका नामकरण ‘‘जीविका‘‘ किया। बाद में तत्कालीन केन्द्र सरकार द्वारा इसकी तर्ज पर महिलाओं के लिए आजीविका कार्यक्रम चलाया गया। बिहार में अब तक 10 लाख 47 हजार स्वयं सहायता समूहों का गठन हो चुका है जिसमें 1 करोड़ 30 लाख से भी अधिक महिलाएँ जुड़कर जीविका दीदियाँ बन गयी हैं। ”
इन्होंने आगे लिखा कि -“हमारा मानना है कि संसद में महिला आरक्षण के दायरे में अनुसूचित जाति एवं अनुसूचित जनजाति की तरह पिछड़े और अतिपिछड़े वर्ग की महिलाओं के लिये भी आरक्षण का प्रावधान किया जाना चाहिये।
प्रस्तावित बिल में यह कहा गया है कि पहले जनगणना होगी तथा उसके पश्चात निर्वाचन क्षेत्रों का परिसीमन होगा तथा इसके बाद ही इस प्रस्तावित बिल के प्रावधान लागू होंगे। इसके लिए जनगणना का काम शीघ्र पूरा किया जाना चाहिए। जनगणना तो वर्ष 2021 में ही हो जानी चाहिए थी परन्तु यह अभी तक नही हो सकी है। जनगणना के साथ जातिगत जनगणना भी करानी चाहिए तभी इसका सही फायदा महिलाओं को मिलेगा। यदि जातिगत जनगणना हुई होती तो पिछड़े एवं अतिपिछड़े वर्ग की महिलाओं के लिए आरक्षण की व्यवस्था को तुरंत लागू किया जा सकता था।”
संसद में जो महिला आरक्षण बिल लाया गया है, वह स्वागत योग्य कदम है।
हम शुरू से ही महिला सशक्तीकरण के हिमायती रहे हैं और बिहार में हमलोगों ने कई ऐतिहासिक कदम उठाये हैं। वर्ष 2006 से हमने पंचायती राज संस्थाओं और वर्ष 2007 से नगर निकायों में महिलाओं को 50 प्रतिशत आरक्षण दिया।
वर्ष…— Nitish Kumar (@NitishKumar) September 19, 2023
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