Thursday, 28 March 2024

Noida News ‘कागजी’ साबित हो रही है नोएडा प्राधिकरण की कुत्तों वाली नीति

Noida News:  हाल ही में नोएडा प्राधिकरण ने ‘पैट नीति’ यानि पालतू कुत्ते व बिल्लियों के लिए एक नीति की…

Noida News ‘कागजी’ साबित हो रही है नोएडा प्राधिकरण की कुत्तों वाली नीति

Noida News:  हाल ही में नोएडा प्राधिकरण ने ‘पैट नीति’ यानि पालतू कुत्ते व बिल्लियों के लिए एक नीति की घोषणा की है। दुर्भाग्य से दूसरी तमाम सरकारी योजनाओं की भांति यह योजना भी केवल कागजी योजना साबित हो रही है। चेतना मंच की विशेष प्रतिनिधि, लेखिका और समाजिक कार्यकर्ता सुश्री अंजना भागी ने इस मुद्दे पर विस्तार से एक व्यंगात्मक दृष्टि डाली है। पढ़ें इस मुददे पर उनकी खास रिपोर्ट-

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प्राधिकरण की नई कुत्ता-बिल्ली नीति
3 दिन पहले ही नोएडा प्राधिकरण ने नई कुत्ता-बिल्ली नीति लागू की जिसके अंतर्गत 31 जनवरी 2023 तक जो लोग भी अपने पालतू कुत्ता बिल्ली का रजिस्ट्रेशन नहीं कराएंगे तो उन्हें 10 हजार रूपये जुर्माने का भुगतान करना होगा। लेकिन इसका असर पूरी तरह से पालतू कुत्तों पर ही पड़ा है। कल जब मैं शाम सैर करने गई साथ में मैंने सोचा ओपन जिम में थोड़ा सा एक्सरसाइज भी कर लूं। मैं देखकर हैरान रह गई कि वहां पालतू और फालतू दोनों ही तरह के कुत्ते चिकल्लस कर रहे थे। मैं तो समझ ही नहीं पाई। हर रोज तो पालतू कुत्ते गले में चेन बांधे बहुत साल से अपने मलकिन के साथ गर्दन अकड़ाकर वॉक करते नजर आते थे। आज वह देसी कुत्तों की तरह धूल में लोट लगा रहे थे। दाएं-बाएं युवा खड़े उनकी हरकतों की वीडियो बना रहे थे। मैंने सोचा यह चेंज शायद हमारे सेक्टर में ही है, लेकिन जब मैं कंफर्म करने को पड़ोस के सेक्टर में गई तो नजारा वहां भी कुछ अलग नहीं था। पालतू कुत्ते जो दुम दबाकर दाएं बाएं सोते नजर आते थे। फालतू कुत्तों के साथ धमाचौकड़ी कर रहे थे। मैं तो सोच में पड़ गई कि कुत्ता-बिल्ली नीति का इतना अच्छा उपाय। फंसे तो आखिर कटवाने वाले ही ना एनआरपी की नई नीति के अनुसार कुत्ता पालने के शौकीन एनआरपी की ऐप पर जाकर रजिस्ट्रेशन करवा सकते थे। पैसे जमा करवा सकते थे तथा यदि मार्च 2023 तक यदि उनके पैट का रजिस्ट्रेशन नहीं हुआ उस पर लगने वाले 2 हजार रूपये के चालान से भी बच सकते थे पर यह क्या शामत तो सिर्फ कुत्तों से कटवाने वालों की ही आई है ना।

कुत्ते पालने के शौकीनों ने तो अपने पालतू कुत्तों को आजाद ही कर दिया। यानी घर से बाहर निकाल दिया। आसपास के माहौल में एक और नया बदलाव भी आया है। यह मेरा अपना बहुत गहरा औरर काम का अनुभव है। आप भी ध्यान दें तो पता चलेगा कि कुत्ता ज्यादातर किराएदार ही पालते हैं अब होना क्या। यूं समझो कि कुत्ता-बिल्ली नीति आई किराएदार तो मकान बदल-बदल कर चले जाएंगे और अपने कुत्ते-बिल्लियां यहीं छोड़ जाएंगे।

नोएडा प्राधिकरण की कुत्ता-बिल्ली योजना को पढ़ व सुनकर पब्लिक में यह कॉन्फिडेंस आया था कि शायद अब कुत्ते न काटें हुआ कुछ और ही। क्योंकि बीमार व रोगी आक्रामक कुत्ते तो पहले से ही काट रहे थे। उनके साथ अब यह दुख में डूबे लाडले पालतू भी पूरा जोर लगाकर भौंक रहे हैं। दूसरी तरफ कुछ आर.डब्लू.ऐ भी प्राधिकरण की इस नीति का विरोध कर रही है। फालतू कुत्तों के लिए जो शेल्टर होम बनाए जाएंगे उनके रखरखाव का खर्च तथा सफाई की जिम्मेदारी आरडब्लए, एओए या कुत्ते पालकों के शौकीनों की होगी पर कुछ आरडब्लूओं का मानना है कि ये जिम्मेदारी प्राधिकरण को ही उठानी चाहिए। यानी अब नौबत ये आ गई है ना नौ मन तेल होगा ना राधिका नाचेगी नाचेंगी तो कब नाचेगी?

आरडब्ल्यू या कुत्ता पालक सेंटर होम बनाने या उनके रखरखाव की जिम्मेदारी लेने को तैयार नहीं वैसे भी जब पालतू कुत्ते बेचारे भी फालतू ही होते जा रहे हैं तो सारे फालतूओं की जिम्मेदारी अब कौन ले? हर कोई ये घंटी दूसरों के गले में ही डाल रहा है। कुत्तों की भी बन आई है। कभी कभी तो लगता है कि वे मुस्कुरा रहे हैं क्योंकि पहले की तरह ही खूब काट रहे हैं।

प्रश्न अब ये है कि कौन तो अब शेल्टर होम बनवायेगा, कौन इनको खाना खिलायेगा और कौन करेगा इनके होम की सफाई यह बात तो साफ है डॉग लवर्स जो बात बात पर लडऩे के लिए निकल कर आते थे अब शायद वे भी नहीं आ पाएंगे क्योंकि आम पब्लिक उन्हें प्राधिकरण की दी हुई जिम्मेदारी याद दिलाएगी। लेकिन प्रश्न अब ये भी है कि क्या आम जनता यूं ही कुत्तों से कटवाती रहेगी? कुत्तों के डर से क्या बच्चे पार्कों में नहीं खेलेंगे? सीनियर सिटीजन अपनी सुबह शाम की सैर को नहीं जा पाएंगे, क्या होगा इस नई बनी कुत्ता-बिल्ली नीति का अंजाम?

Noida News : लिफ्ट में फिर कुत्ते ने बच्चे को काटा

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