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E Census की प्रक्रिया में NRC भी होगी शामिल?, नागरिकों को देना होगा ये डाटा

नई दिल्ली: गृह मंत्री अमित शाह ने सोमवार को असम में ऐलान कर दिया है कि अगली जनगणना इलेक्ट्रानिक (E Census) तरीके से होने जा रही है । जो 100 फीसदी सही होने वाली है। गृह मंत्री ने दावा करते हुए कहा है कि जनगणना के दौरान एक जनगणना रजिस्टर तैयार होना है। इस रजिस्टर में एक शिशु के जन्म होने के साथ उसका जन्म तिथि रिकॉर्ड दर्ज कर दिया जाएगा।

18 साल बाद जब ये बच्चा बालिग हो जाता है तो इसका नाम मतदाता सूची में जोड़ जाने की तैयारी चल रही है। इस व्यक्ति की मृत्यु होने पर उसका नाम मतदाता सूची से हटा दिया जाना है।

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गृह मंत्री अमित शाह की घोषणा करने के बाद NRC की भी चर्चा होना अहम समझा जा रहा है। जिसे लेकर देश में काफी अधिक विवाद हुआ था। सवाल उठ रहा है कि क्या ई जनगणना के रास्ते सरकार NRC का दरवाजा खोलने का कार्य हो रहा है। इस पर चर्चा से पहले मालूम होना चाहिए कि क्या है एनआरसी।

नेशनल रजिस्टर ऑफ सिटिजन एक रजिस्टर (E Census) होता है जिसमें सरकार की योजना है रखी गई है कि इस रजिस्टर में भारत में रह रहे सभी वैध नागरिकों का रिकॉर्ड रखा जाने की प्रक्रिया है। एनआईसी अभी सिर्फ असम में लागू की जा चुकी है। लेकिन गृह मंत्री अमित शाह ने बताया है कि NRC को पूरे देश में लागू होने जा रही है। ध्यान रहे कि NRC में सिर्फ वैध नागरिकों का रिकॉर्ड रखने की लिस्ट तैयार की जाएगी।

एमआरसी का क्यों किया जा रहा विरोध

2019 में बात करें तो भारत में नागरिकता संशोधन कानून (CAA) के अलावा NRC का भी मुस्लिम संगठनों ने विरोध करना शुरू कर दिया था। एनआरसी में अपनी नागरिकता साबित करने को लेकर जिम्मेदारी व्यक्तियों पर होने जा रही है। मुस्लिम संगठनों समेत कई गैर सरकारी संगठनों ने तर्क दिया है कि अगर कोई व्यक्ति दस्तावेजों के अभाव के साथ अपनी नागरिकता साबित नहीं करता है तो वो भारत का नागरिक ही नहीं कहा जाएगा। इनका मानना है कि देश में करोड़ों ऐसे गरीब-घुमंतु लोग मौजूद हो गए हैं जिनके पास अपनी नागरिकता साबित करने के लिए वैध कागज मौजूद नहीं है। एनआरसी अगर लागू होता है तो वे उनको परेशानी होने वाली है।

सोमवार को जनगणना भवन का उद्घाटन करने के साथ अमित शाह ने जानकारी दिया है कि ई जनगणना पूरी तरह से डिजिटल होने जा रही है। रिकॉर्ड ई जनगणना के जरिए बनने वाले रजिस्टर में दर्ज होने जा रहा है। जब ये बच्चा 18 साल का हो जाता है तो इसका रिकॉर्ड जनगणना विभाग द्वारा चुनाव आयोग भेजने की प्रक्रिया है। जहां से उसका नाम अपने आप मतदाता सूची में दर्ज कर दिया जाता है।

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