Nuh Panchayat Update : हरियाणा के नूंह में हुई हिंसा के बाद एक बार फिर सामाजिक सरगर्मियां तेज हो गई हैं। 13 अगस्त को पलवल के पास पौडरी गांव में हुई सर्वजातीय महापंचायत की मेवात क्षेत्र के पंचों ने खारिज कर दिया है। इस क्षेत्र में पाल पंचों की बात को हमेशा ही सर्वोपरि माना जाता रहा है। 52 पाल पंचायतों की ओर से एक प्रस्ताव पास करके घोषणा की गई है कि 13 अगस्त को हुई पंचायत में पाल पंचों का कोई प्रतिनिधित्व नहीं था।
Nuh Panchayat Update
आपको बता दें कि नूंह क्षेत्र में कुछ दिन पूर्व बड़ी हिंसक घटनाएं हुई थीं। इन घटनामों में अनेक लोग मारे गए थे। सैकड़ों वाहन, घर तथा दुकानें आदि फूंक दी गई थीं। यह हिंसा एक धार्मिक यात्रा के आयोजन को लेकर हुई थी। हिन्दू संगठनों का आरोप है कि यात्रा के दौरान हिंसा फैलाकर उनकी यात्रा को बाधित किया गया। यात्रा को पूरा करने के लिए 13 अगस्त को पौंडरी गांव में एक महापंचायत का आयोजन किया गया। जिसमें दावा किया गया कि इस महापंचायत में सर्व समाज के लोग शामिल हुए। पंचायत से यह उदघोषणा की गई कि 28 अगस्त को एक बार फिर धार्मिक यात्रा निकाली जाएगी।
पाल पंचायत ने कहा- हमारा कोई लेना-देना नहीं
इस बीच मेवात क्षेत्र में सक्रिय सभी 52 पाल पंचायतों की ओर से एक साझा बयाान जारी किया गया है। बयान में कहा गया है कि पाल पंचायत का 13 अगस्त की महापंचायत से कोई लेना-देना नहीं है। पाल पंचायत हमेशा से भाई चारे को कायम रखते आए हैं। मेवात क्षेत्र में भाईचारा कायम रखा जाएगा। पंचों ने कहा कि जो लोग क्षेत्र का भाईचारा बिगाडऩे का काम करेंगे उसे समाज बर्दाश्त नहीं करेगा। पंचों ने घोषणा कर दी है कि जल्द ही 52 पालों की एक बड़ी पंचायत बुलाकर शांति व सदभावना कायम करने के उपाय तय किए जाएंगे। इस पंचायत के आयोजन की जिम्मेदारी क्षेत्र की प्रमुख खाप डागर पाल को सौंपी गई है।
क्या है मेवात का इतिहास
एक बार मेवात क्षेत्र का इतिहास भी जान लेते हैं। दरअसल, मेवात एक पौराणिक व ऐतिहासिक क्षेत्र है। यह क्षेत्र देश के राजधानी दिल्ली के दक्षिण में स्थित है। मेवात का नाम इस क्षेत्र में रहने वाले मेव आदिवासियों के नाम पड़ा है। यह क्षेत्र एक विशिष्ट मेव जाति वाला क्षेत्र है। यहां मेव जाति की ही सामाजिक व सांस्कृतिक परंपरा सैकड़ों सालों से चल रही है। मेव अपनी जड़ें उत्तरी भारत के शुरूआती आर्य आक्रमण से मानते हैं। वे खुद को क्षत्रिय के रूप में परिभाषित करते हैं।
कहा जाता है कि 14वीं शताब्दी में तुगलक वंश के शासनकाल के दौरान मेव जाति के लोगों ने इस्लाम धर्म कबूल कर लिया था। इस्लाम धर्म अपनाने के बाद भी उन्होंने अपनी जातीय पहचान को कायम रखा है। यही कारण है कि मेवात क्षेत्र के रहने वाले मुस्लिमों का पहनावा, खान-पान व बोलचाल दुनिया के दूसरे हिस्से में रहने वाले तमाम मुस्लिमों से अलग है। यहां के मुस्लिमों के नाम आज भी हिन्दु नामों की तरह रखे जाते हैं। जैसे कि अरूण खान, नीरज खान, चिंरजीलाल, लटूर खान आदि यहां मेव जाति के लोगों के नाम जाने जाते हैं।
मेवात है क्या ?
भौगोलिक दृष्टि की बात करें तो मेवात एक पहाड़ी क्षेत्र है। इसका इलाका हरियाणा और उत्तरी पूर्वी राजस्थान तक फैला हुआ है। पुराने जमाने में मेवात की सीमा राजस्थान के भरतपुर, अलवर व धौलपुर तक फैली हुई थी। इसी प्रकार हरियाणा प्रदेश के रिवाड़ी, पलवल व गुरूग्राम तक फैला था। देश के सबसे बड़े प्रदेश उत्तर प्रदेश के मथुरा जिले तक भी मेवात का क्षेत्र फैला हुआ था। मेवात में आरावली पर्वत की पूरी श्रृंखला फैली हुई है। अब मेवात का नाम बदलकर नूंह जिला कर दिया गया है। वर्ष-2016 के पहले तक नूंह को मेवात के नाम से जाता था। 2016 में जब गुडग़ांव का नाम बदलकर गुरूग्राम किया गया तो उसके पड़ोसी जिले मेवात का नाम भी बदल कर नूंह कर दिया गया।
नूंह जिले का भूगोल
आपको यह भी बता देते हैं कि पुराने मेवात का नाम बदलकर बनाया गया नूंह जिला 1507 वर्ग किलोमीटर क्षेत्र में फैला हुआ है। इस जिले में 443 गांव व 5 छोटे-छोटे शहर शामिल हैं। जिले की कुल आबादी 11 लाख है। यह जिला उत्तर में गुरूग्राम पूर्व में पलवल तथ दक्षिण व पश्चिम का क्षेत्र राजस्थान के अलवर जिले से मिलता है। इसका एक सिरा उत्तर प्रदेश के मथुरा जिले को भी टच करता है। साथ ही यह जिला देश के राजधानी दिल्ली से भी बेहद नजदीक है। दिल्ली से 145 किमी दूर जिले का आखिरी कोना है।
नूंह जिले की जनसंख्या के आंकड़े
वर्ष 2011 में जब यह जिला मेवात कहलाता था तब इसकी कुल आबादी 1089263 थी। इस आबादी में 571162 पुरूष व 518101 महिलाएं शामिल हैं। जिले की जनसंख्या का घनतत्व 729 निवासी प्रतिवर्ष किलोमीटर है। इस क्षेत्र की साक्षरता दर की हालत बहुत ही खराब है। यहां की साक्षरता दर मात्र 55 प्रतिशत है। यदि महिलाओं के साक्षरता दर की बात करें तो यह मात्र 1.76 प्रतिशत है। सामाजिक वर्गीकरण के ताने-बाने को देखें तो इस क्षेत्र में सबसे बड़ी संख्या में मेव मुस्लिम रहते हैं। एक आंकड़े के मुताबिक नूंह जिले में मेव मुस्लिम की आबादी 79.220 प्रतिशत है। हिन्दु समाज की आबादी 20.37 प्रतिशत है। इसके अलावा जैन समाज 0.13 प्रतिशत, ईसाई समाज 0.11 प्रतिशत, सिख समाज 0.50 प्रतिशत था बौद्ध समाज की जनसंख्या 0.050 प्रतिशत है। Nuh Panchayat Update
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