Thursday, 25 April 2024

Pariksha Pe Charcha: टेक-फ्री जोन: बच्चों को गैजेट का गुलाम न बनने के लिए प्रधानमंत्री के सुझाव

Pariksha Pe Charcha: नई दिल्ली। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने शुक्रवार को कहा कि ऑनलाइन गेम और सोशल मीडिया के परिणामस्वरूप…

Pariksha Pe Charcha: टेक-फ्री जोन: बच्चों को गैजेट का गुलाम न बनने के लिए प्रधानमंत्री के सुझाव

Pariksha Pe Charcha: नई दिल्ली। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने शुक्रवार को कहा कि ऑनलाइन गेम और सोशल मीडिया के परिणामस्वरूप छात्रों का ध्यान भंग होता है। उन्होंने छात्रों को इस लत से बचने के लिए गैजेट के मुकाबले खुद की बुद्धिमत्ता पर भरोसा करने की सलाह दी।

Pariksha Pe Charcha

उन्होंने सुझाव दिया कि नियमित अंतराल पर ‘प्रौद्योगिकी उपवास’ और हर घर में ‘प्रौद्योगिकी मुक्त क्षेत्र’ के रूप में एक सीमांकित क्षेत्र से जीवन का आनंद बढ़ेगा और बच्चों को गैजेट की गुलामी के चंगुल से बाहर आने में मदद मिलेगी।

प्रधानमंत्री ने ‘परीक्षा पे चर्चा’ के छठें संस्करण में छात्रों से संवाद के दौरान ये सुझाव दिए। प्रधानमंत्री इस कार्यक्रम के दौरान छात्रों, शिक्षकों और अभिभावकों से संवाद करते हैं और तनाव तथा परीक्षा से संबंधित मुद्दों पर चर्चा करते हैं।

मोबाइल फोन के साथ कम ही दिखने का अपना उदाहरण देते हुए मोदी ने इस बात पर जोर दिया कि किसी को भी प्रौद्योगिकी से परहेज नहीं करना चाहिए, बल्कि अपनी जरूरत के अनुसार खुद को उपयोगिता की चीजों तक सीमित रखना चाहिए।

प्रधानमंत्री ने कहा कि पहला फैसला यह तय करना है कि आप स्मार्ट हैं या आपका गैजेट स्मार्ट है।

उन्होंने एक सवाल के जवाब में कहा कि समस्या तब शुरू होती है जब आप गैजेट को अपने से ज्यादा स्मार्ट मानने लगते हैं। किसी की स्मार्टनेस उसे स्मार्ट गैजेट का स्मार्ट तरीके से उपयोग करने और अपने लिए लाभकारी उपकरणों के रूप में व्यवहार करने में सक्षम बनाती है।

दीपेश अहिरवार, अदिताभ, कामाक्षी और मनन मित्तल ने ऑनलाइन गेम और सोशल मीडिया की लत और परिणामस्वरूप ध्यान भंग होने के बारे में प्रधानमंत्री से सवाल पूछे थे।

एक अध्ययन का हवाला देते हुए प्रधानमंत्री ने कहा कि एक भारतीय औसतन छह घंटे स्क्रीन पर टाइम व्यतीत करता है।

उन्होंने कहा कि ऐसी स्थिति में गैजेट हमें गुलाम बनाता है। भगवान ने हमें स्वतंत्र इच्छा और एक स्वतंत्र व्यक्तित्व दिया है और हमें हमेशा अपने गैजेट का गुलाम बनने के बारे में सचेत रहना चाहिए।

उन्होंने कहा कि बहुत सक्रिय होने के बावजूद मुझे मोबाइल फोन के साथ शायद ही कभी देखा जाता है। मैं ऐसी गतिविधियों के लिए एक निश्चित समय रखता हूं। किसी को प्रौद्योगिकी से परहेज नहीं करना चाहिए बल्कि अपनी जरूरत के अनुसार खुद को उपयोगिता की चीजों तक ही उसे सीमित रखना चाहिए।

प्रधानमंत्री ने नियमित अंतराल पर ‘प्रौद्योगिकी उपवास’ का सुझाव दिया। उन्होंने हर घर में ‘प्रौद्योगिकी मुक्त क्षेत्र’ के रूप में एक सीमांकित क्षेत्र का भी सुझाव दिया।

उन्होंने कहा कि इससे जीवन का आनंद बढ़ेगा और आप गैजेट की गुलामी के चंगुल से बाहर आ जाएंगे।

परीक्षा पे चर्चा में भाग लेने के लिए इस वर्ष रिकॉर्ड 38 लाख छात्रों ने पंजीकरण कराया था।

केंद्रीय शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान के अनुसार, यह संख्या पिछले साल की तुलना में कम से कम 15 लाख अधिक है।

छात्रों, शिक्षकों और अभिभावकों के साथ प्रधानमंत्री के इस संवाद कार्यक्रम का पहला संस्करण 16 फरवरी, 2018 को आयोजित किया गया था।

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