Tuesday, 16 April 2024

काशी विश्वनाथ कॉरिडोर के बहाने मोदी ने साधा इन 7 लक्ष्यों पर निशाना

चुनाव लड़ने के ​मोदी स्टाइल को अगर आप फॉलो करते हैं तो, इसमें कुछ चीजें आपको कॉमन दिखेंगी। इसे समझने…

काशी विश्वनाथ कॉरिडोर के बहाने मोदी ने साधा इन 7 लक्ष्यों पर निशाना

चुनाव लड़ने के ​मोदी स्टाइल को अगर आप फॉलो करते हैं तो, इसमें कुछ चीजें आपको कॉमन दिखेंगी। इसे समझने के लिए आपको मोदी के उस भाषण को सुनना होगा जो काशी विश्वनाथ कॉरिडोर (Kashi Vishwanath Dham Corridor) के उद्घाटन के मौके पर उन्होंने दिया।

यूपी चुनाव से पहले मोदी (PM Modi) अपने अंदाज में वोटरों को लुभाने में लगे हुए हैं। क्या बनारस (Varanasi) में काशी विश्वनाथ कॉरिडोर का उद्घाटन भी उनकी इसी रणनीति का हिस्सा है?

1. मंदिर निर्माण और ऑप्टिक्ल फाइबर का कॉम्बिनेशन
इस मौके पर अपने भाषण में मोदी ने साफ कहा कि ये हिसाब गिनाने का समय नहीं है। अगले ही पल वह अयोध्या, काशी, सोमनाथ और केदारनाथ जैसे धार्मिक स्थलों का नाम लेते हैं और कहते हैं कि ऐसा नहीं है कि उनकी सरकार केवल मंदिरों या धार्मिक स्थलों का निर्माण करवा रही है। उनकी सरकार अंतरिक्ष कार्यक्रम और ऑप्टिक्ल फाइबर जैसे क्षेत्र में तेजी से काम कर रही है।

इसकी तसदीक यूपी में मोदी के हालिया कार्यक्रमों से की भी जा सकती है। कुशीनगर या जेवर में एयरपोर्ट के शिलान्यास से लेकर पूर्वांचल एक्सप्रेसवे का उद्घाटन उनकी इसी रणनीति का हिस्सा है। बीजेपी और खासतौर पर मोदी, खुद को हिंदू धर्म का सबसे बड़ा शुभचिंतक बताने के साथ यह भी दिखाना चाहते हैं कि वह विकास और परिवर्तन के भी उतने ही बड़े समर्थक हैं।

2. धार्मिक हैं लेकिन, रूढ़िवादी नहीं
बीजेपी पर ध्रुवीकरण की राजनीति का आरोप लगाने वालों को मोदी यह संदेश देना चाहते हैं कि वह भले ही धार्मिक हैं लेकिन, रूढ़िवादी नहीं हैं।

मोदी ने अपने विरोधियों पर निशाना साधते हुए कहा कि धर्म के नाम पर राजनीति करने वालों ने सदियों से जड़ता का समर्थन किया और विकास को बाधित किया। उन्होंने रानी अहिल्याबाई (Rani Ahilyabai Holkar) का जिक्र करते हुए कहा कि बनारस में उन्होंने जो काम किया उसके बाद पहली बार इस शहर में इतना काम हुआ है।

​3. अकेले करेंगे सबका मुकाबला
मोदी गठबंधन की राजनीति के समर्थक नहीं हैं। उनका मानना है कि जितने दल या नेता बीजेपी (BJP) के खिलाफ एकजुट होंगे, उनकी छवि और पार्टी को उतना ही ज्यादा लाभ मिलेगा।

अगर पिछले चुनाव को देखें तो सपा (SP), बसपा (BSP) और कांग्रेस (Congress) ने एक साथ मिलकर जातीय समीकरण को अपने पक्ष में करने की कोशिश की थी। मोदी ने विपक्ष के गठबंधन को ही अपना हथियार बना लिया और बुआ-बउआ का ऐसा नारा दिया कि सपा-बसपा गठबंधन को बुरी हार का सामना करना पड़ा।

4. जातीय समीकरण को अपने पक्ष में करने की कवायद
बीजेपी इस बार भी किसी बड़े दल से गठबंधन के मूड में नहीं है। हालांकि, पार्टी को पता है कि यूपी की राजीनीति में जाति फैक्टर कितना महत्वपूर्ण है। समाजवादी पार्टी का जाति आधारित दलों के साथ गठबंधन बीजेपी की चिंता बढ़ाने वाला है।

मोदी ने इस मौके पर विपक्ष की इस रणनीति पर चोट करने की भी पूरी कोशिश की। मोदी ने अपने भाषण में खासतौर पर निषाद समाज का उल्लेख किया। तीर्थयात्रियों से किसी भी भाषा में बात करने की उनकी कला को भारतीय संस्कृति की ताकत बताया। इसका मकसद निषाद समाज की सहानुभूति पाने के अलावा यूपी में वोट बैंक और जातिगत समीकरण को तोड़ना भी है।

5. विपक्ष को मुद्दा विहीन करने की कोशिश
यूपी चुनाव (UP Election) से पहले योगी (Yogi Adityanath) और मोदी का मकसद उन मुद्दों से ध्यान हटाना है जो विपक्ष को फायदा पहुंचा सकते हैं। मोदी की शुरू से रणनीति रही है कि वह मीडिया और विपक्ष को उन मुद्दें में उलझाने में सफल रहे हैं जो उनकी पार्टी के पक्ष में हो।

कांग्रेस, सपा और बसपा की कोशिश है कि महंगाई, बेरोजगारी, यूपी पुलिस की बर्बरता, किसानों का असंतोष, लखीमपुर खेड़ी जैसे मुद्दों पर बीजेपी को घेरा जाए। चुनाव से ठीक पहले काशी विश्वनाथ कॉरिडोर (Kashi Vishwanath Dham Corridor) का उद्घाटन और इसके बाद काशी में लगातार एक महीने तक चलने वाले कार्यक्रम के चलते प्राइम टाइम बहस का मुद्दा बनारस होगा। ऐसे में विपक्ष के लिए अपने मुद्दों पर कायम रहना एक चुनौती होगी।

6. फील गुड कराने की कोशिश
पिछले दो साल से देश कोरोना संकट से गुजर रहा है। हजारों परिवारों ने अपने परिजनों को खोया है और लाखों के रोजगार व रोजी-रोटी पर बन आई है। ऐसे में बहुत से लोगों के लिए यह समय निराशा और पीड़ा देने वाला है। जाहिर है इसका असर चुनाव पर भी होगा।

विकास कार्यों और बनारस में चलने वाले एक महीने लंबे सांस्कृतिक कार्यक्रम के बहाने इस नकारात्मक माहौल को बदलने की भी कोशिश की जा रही है।

बीजेपी (BJP) चाहती है कि लोगों को चुनाव से पहले फील गुड कराया जाए ताकि, कोरोना काल की बुरी यादों और घटनाओं को मुद्दा बनने से रोका जा सके। जाहिर, कोरोना काल की बात जितनी कम होगी, बीजेपी को उतना ही फायदा होगा।

7. पार्टी में सब ठीक है
बनारस में मोदी और योगी का क्रूज पर एक साथ ललिता घाट तक जाना और फिर साथ में ही वापस आने के पीछे भी एक संदेश देने की कोशिश की गई है।

पूर्वांचल एक्सप्रेसवे (Poorvanchal Expressway) उद्घाटन के मौके पर मोदी की गाड़ी के पीछे योगी के पैदल चलने वाली तस्वीरों ट्रोल हो गई थीं। उसके बाद से लगातार यह दिखाने की कोशिश की जा रही है कि मोदी और योगी के संबंध आत्मीय हैं और दोनों के सामंजस्य की कोई कमी नहीं है। भाषण के साथ-साथ व्यवहार में भी यह साबित करने की पूरी कोशिश जारी है कि यूपी में डबल इंजन की सरकार है।

– संजीव श्रीवास्तव

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