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PM मोदी ने चुनाव के बाद की पहली ‘मन की बात’, जानें देशहित में क्या कहा?

PM Modi Mann Ki Baat

PM Modi Mann Ki Baat

PM Modi Mann Ki Baat : जब पूरे देश में कोरोना जैसी भंयकर बिमारी से हाहाकार मचा हुआ था, तब प्रधानमंत्री मोदी ने रेडियो शो  ‘मन की बात’ (Mann Ki Baat) से पूरे देश को बांधे रखा। ऐसे में तीसरी बार भी भारत के प्रधानमंत्री का कमान संभालने के कुछ दिनों बाद रविवार (30 जून) को PM ने अपना मासिक रेडियो कार्यक्रम ‘मन की बात’ की शुरूआत फिर से की और देशहित के बारे में तमाम बातें की। आपकी जानकारी के लिए बता दें कि रेडियो कार्यक्रम मन की बात की शुरुआत 3 अक्टूबर 2014 को हुई थी और पीएम मोदी की आखिरी ‘मन की बात’ लोकसभा चुनाव की घोषणा होने से पहले 25 फरवरी को प्रसारित हुई थी।

PM Modi Mann Ki Baat

पीएम मोदी ने अपने रेडियो कार्यक्रम ‘मन की बात’  के 111वें एपिसोड में कहा, मैंने कहा था चुनाव नतीजों के बाद फिर मिलूंगा, उम्‍मीद करता हूं कि आप सब अच्‍छे होंगे। मैंने विदा लिया था, फिर मिलने के लिए। इस बीच मुझे आप लोगों के लाखों संदेश मिले। चुनाव के दौरान मन को छू लेने वाली कई खबरें आई। करोड़ लोगों ने चुनाव में वोट डाला। इसके आलावा पीएम ने देशवासियों से अपने नाम का एक पेड़ लगाने की अपील की है।

देशवासियों का किया धन्यवाद

प्रधानमंत्री मोदी ने देश की लोकतांत्रिक व्यवस्थाओं को लेकर भी बातें की। देश की लोकतान्त्रिक व्यवस्था पर पीएम ने कहा,  ‘मैं आज देशवासियों को धन्यवाद करता हूं कि उन्होंने हमारे संविधान और देश की लोकतांत्रिक व्यवस्थाओं पर अपना अटूट विश्वास दोहराया है। 2024 का चुनाव दुनिया का सबसे बड़ा चुनाव था। दुनिया के किसी भी देश में इतना बड़ा चुनाव कभी नहीं हुआ। मैं चुनाव आयोग और मतदान की प्रकिया से जुड़े हर व्यक्ति को इसके लिए बधाई देता हूं।’

मैंने भी एक पेड़ अपनी मां के नाम लगाया है-PM

PM Modi ने ‘मन की बात’ कार्यक्रम में देशवासियों से बातें करते हुए मां के रिश्‍ते और पर्यावरण को भी लेकर कहा कि, ‘मैं आपसे पूछूं कि दुनिया का सबसे अनमोल रिश्ता कौन सा होता है तो आप जरूर कहेंगे, माँ। हम सबके जीवन में माँ का दर्जा सबसे ऊंचा होता है। माँ हर दुख सहकर भी अपने बच्चे का पालन-पोषण करती है। हर माँ अपने बच्चे पर हर स्नेह लुटाती है। जन्मदात्री माँ का ये प्यार हम सब पर एक कर्ज की तरह होता है जिसे कोई चुका नहीं सकता। हम माँ को कुछ दे तो सकते नहीं, लेकिन और कुछ कर सकते हैं क्या? इसी सोच में से इस वर्ष विश्व पर्यावरण दिवस पर एक विशेष अभियान शुरू किया गया है, इस अभियान का नाम है- ‘एक पेड़ माँ के नाम’ मैंने भी एक पेड़ अपनी माँ के नाम लगाया है।’

प्रोग्राम में किया ‘हूल दिवस’ का जिक्र

रेडियो प्रोग्राम Mann Ki Baat में पीएम मोदी ने ‘हूल दिवस’ का जिक्र करते हुए कहते हैं, ‘आज 30 जून का ये दिन बहुत ही महत्वपूर्ण है। इस दिन को हमारे आदिवासी भाई-बहन ‘हूल दिवस’ के रूप में मनाते हैं। यह दिन वीर सिद्धो-कान्हू के अदम्य साहस से जुड़ा है, जिन्होंने विदेशी शासकों के अत्याचार का पुरजोर विरोध किया था। आपको जानकर हैरानी होगी कि ये 1855 में हुआ था। यानि ये 1857 में भारत कें प्रथम स्‍वतंत्रता संग्राम से भी 2 साल पहले हुआ था। तब झारखंड के संथाल परगना में हारे आदिवासी भाई-बहनों ने विदेशी शासकों के खिलाफ हथियार उठा लिया था।’

‘कार्थुम्बी छाते’ के बारे में बताया

पीएम मोदी अपनी बातचीत जारी रखते हुए कहते हैं,  ‘Mann Ki Baat में आज मैं आपको एक खास तरह के छातों के बारे में बताना चाहता हूं। ये छाते तैयार होते हैं हमारे केरला में. वैसे तो केरला की संस्कृति में छातों का विशेष महत्व है। छाते वहां कई परंपराओं और विधि-विधान का अहम हिस्सा होते हैं। लेकिन मैं जिस छाते की बात कर रहा हूं, वो हैं ‘कार्थुम्बी छाते’ और इन्हें तैयार किया जाता है केरला के अट्टापडी में। इन रंग-बिरंगे छातों को केरला की हमारी आदिवासी बहनें तैयार करती हैं। आज देशभर में इन छातों की मांग बढ़ रही हैं। इनकी ऑनलाइन बिक्री भी हो रही है। इन छातों को ‘वट्टालक्की सहकारी कृषि सोसाइटी’ की देखरेख में बनाया जाता है। इस सोसाइटी का नेतृत्व हमारी नारीशक्ति के पास है।’

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