Prashant Kishor आखिर गांधी परिवार को क्यों पसंद नहीं आया प्रशांत किशोर का फॉर्मूला?

Prashant Kishor : जाने माने चुनाव एवं राजनीतिकार प्रशांत किशोर के कांग्रेस में शामिल होने की अटकलों पर आखिरकार विराम लग गया है। उन्होंने स्वयं ट्वीट करके कांग्रेस से मिल रहे आफर को ठुकराए जाने की जानकारी दी है। हालांकि कहा जा रहा है कि आगामी 2024 के लोकसभा चुनाव में कांग्रेस, प्रशांत किशोर के अनुभव व रणनीति का लाभ लेना चाहती थी। लेकिन प्रशांत का फार्मूला कांग्रेस को पसंद नहीं आया।
Prashant Kishor
आपको बता दें कि पिछले दिनों संपन्न हुए विधानसभा चुनाव में कांग्रेस के पराजित होेने के कारण कांग्रेस की राजनीतिक छवि धुमिल हुई है। इस वक्त कांग्रेस बेहद ही नाजुक मोड़ से गुजर रही है। कांग्रेस को फिर से जीवित करने का फार्मूला चुनावी रणनीतिकार प्रशांत किशोर ने कांग्रेस और गांधी परिवार के समक्ष रखा था। लेकिन इस पर मुहर लगाना कांग्रेस और गांधी परिवार के भविष्य को लेकर बड़ा जोखिम उठाने जैसा था, जिसके लिए न तो गांधी परिवार तैयार था, न पार्टी के दूसरी पंक्ति के कद्दावर नेता।
प्रशांत किशोर ने मंगलवार को ट्वीट कर बताया, ''मैंने एम्पावर्ड एक्शन ग्रुप 2024 का हिस्सा बनने, पार्टी में शामिल होने और चुनावों की जिम्मेदारी लेने के कांग्रेस का प्रस्ताव ठुकरा दिया है। मेरी राय में पार्टी की अंदरूनी समस्याओं को ठीक करने के लिए, कांग्रेस को मुझसे ज्यादा लीडरशिप और मजबूत इच्छाशक्ति की जरूरत है।''
वहीं, कांग्रेस नेता रणदीप सुरजेवाला ने भी ट्वीट कर बताया कि कांग्रेस अध्यक्ष ने एक एम्पावर्ड एक्शन ग्रुप 2024 का गठन किया और प्रशांत किशोर को जिम्मेदारी देते हुए ग्रुप में शामिल होने के लिए आमंत्रित किया, लेकिन उन्होंने स्वीकार करने से मना कर दिया। हम पार्टी को दिए गए उनके प्रयासों और सुझावों की सराहना करते हैं।
प्रशांत किशोर की बात से साफ जाहिर होता है कि कांग्रेस में अभी बहुत ही ज्यादा सुधार की आवश्यकता है। यहां तक कि वह खुद इसके लिए अपने आप को कम मान रहे हैं। उनका मानना है कि पार्टी में नेतृत्व के अलावा बहुत कमियां हैं जिन्हें ठीक करने की जरूरत है। वहीं, प्रशांत किशोर को कांग्रेस लेने के लिए पूरी तरह तैयार थी। कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी ने पार्टी में 2024 लोकसभा चुनावों के लिए एक एम्पार्वड एक्शन ग्रुप बनाकर प्रशांत किशोर को उसका सदस्य बनाकर पार्टी में शामिल होने का प्रस्ताव दिया था, लेकिन प्रशांत किशोर ने जिस तरह से पार्टी में बदलाव करने के लिए प्रस्ताव दिए थे, उन पर कांग्रेस पूरी तैयार नहीं थी। इसी के चलते दोनों के बीच बातचीत बनते-बनते बिगड़ गई।
कांग्रेस प्रशांत किशोर के फॉर्मूले, रणनीतिक कौशल और चुनाव प्रबंधन का पूरा लाभ तो लेना चाहती है लेकिन उन्हें अपनी कार्ययोजना लागू करने के लिए वह आजादी नहीं देना चाहती है जिसकी प्रशांत किशोर को दरकार थी। प्रशांत किशोर के प्लान के मुताबिक कांग्रेस की कमान गांधी परिवार से बाहर के किसी सदस्य को सौंपने की थी। कांग्रेस शीर्ष नेतृत्व इस पर राजी नहीं था, क्योंकि 2019 के बाद से इसीलिए कांग्रेस का अध्यक्ष का चुनाव अभी तक नहीं हो सका। राहुल गांधी ने कांग्रेस के अध्यक्ष पद से इस्तीफा दिया था, जिसके बाद से सोनिया गांधी पार्टी की अंतरिम अध्यक्ष हैं। यूपीए अध्यक्ष के पद पर भी प्रशांत किशोर ने किसी सहयोगी दल का नेता देने का प्रस्ताव दिया था, जिस पर भी कांग्रेस राजी नहीं थी। कांग्रेस नेता हमेशा से विपक्षी गठबंधन की बात करते हैं, लेकिन नेतृत्व देने के लिए सहमत नहीं होते हैं।
कांग्रेस में गांधी परिवार की साख को बचाए रखने का भी सवाल है। पीके के शामिल होने के बाद पार्टी में जो भी फैसला लिए जाते उसका श्रेय गांधी परिवार के बजाय प्रशांत किशोर को जाता। ऐसे में गांधी परिवार की साख को भी गहरा झटका लगता, क्योंकि कांग्रेस में हाईकमान का कल्चर है। यहां पर गांधी परिवार के प्रति वफादारी ही कांग्रेस की असल वफादारी मानी जाती है। प्रशांत किशोर के पार्टी में शामिल होने से सबसे ज्यादा असर गांधी परिवार के ऊपर पड़ने की संभावना थी, जिसके चलते पीके को पार्टी में सुझाव देने तक के ही अधिकार देने के पक्ष में दिख रही थी. बिना गांधी परिवार के कांग्रेस का अस्तित्व फिलहाल नहीं।
प्रशांत किशोर ने अपने प्लान में कांग्रेस संगठन में बड़े बदलाव का सुझाव रखा था तो राज्यों में गठबंधन का भी एक फॉर्मूला दिया था। सोनिया गांधी ने प्रशांत की प्रेजेंटेशन और उनके पार्टी में शामिल होने पर विचार करने के लिए कांग्रेस नेताओं की समिति का गठन किया था। इस कमेटी ने पार्टी अध्यक्ष सोनिया गांधी को अपनी रिपोर्ट सौंपी। इस रिपोर्ट में था कि प्रशांत किशोर कांग्रेस में एंट्री से पहले बाकी सभी राजनीतिक दलों से दूरी बना लें और पूरी तरह कांग्रेस के लिए समर्पित हो जाएं।
इसलिए इस बार प्रशांत किशोर ने तय कर लिया था कि या तो उन्हें अपनी कार्ययोजना लागू करने की पूरी छूट मिले और उनके काम में किसी भी नेता का कोई दखल न हो, इसके बाद ही वह कांग्रेस में शामिल होंगे। वहीं, कांग्रेस नेतृत्व इसे लेकर उहापोह में था कि प्रशांत किशोर या किसी भी एक व्यक्ति को इतनी छूट देना कांग्रेस और नेतृत्व दोनों के लिए ठीक नहीं होगा। इससे राहुल गांधी की छवि भी प्रभावित होगी और प्रशांत किशोर एक नए सत्ता केंद्र बन जाएंगे। ऐसे में प्रशांत किशोर की कांग्रेस में शामिल होने के अरमानों पर एक बार फिर से पानी फिर गया है।
Prashant Kishor : जाने माने चुनाव एवं राजनीतिकार प्रशांत किशोर के कांग्रेस में शामिल होने की अटकलों पर आखिरकार विराम लग गया है। उन्होंने स्वयं ट्वीट करके कांग्रेस से मिल रहे आफर को ठुकराए जाने की जानकारी दी है। हालांकि कहा जा रहा है कि आगामी 2024 के लोकसभा चुनाव में कांग्रेस, प्रशांत किशोर के अनुभव व रणनीति का लाभ लेना चाहती थी। लेकिन प्रशांत का फार्मूला कांग्रेस को पसंद नहीं आया।
Prashant Kishor
आपको बता दें कि पिछले दिनों संपन्न हुए विधानसभा चुनाव में कांग्रेस के पराजित होेने के कारण कांग्रेस की राजनीतिक छवि धुमिल हुई है। इस वक्त कांग्रेस बेहद ही नाजुक मोड़ से गुजर रही है। कांग्रेस को फिर से जीवित करने का फार्मूला चुनावी रणनीतिकार प्रशांत किशोर ने कांग्रेस और गांधी परिवार के समक्ष रखा था। लेकिन इस पर मुहर लगाना कांग्रेस और गांधी परिवार के भविष्य को लेकर बड़ा जोखिम उठाने जैसा था, जिसके लिए न तो गांधी परिवार तैयार था, न पार्टी के दूसरी पंक्ति के कद्दावर नेता।
प्रशांत किशोर ने मंगलवार को ट्वीट कर बताया, ''मैंने एम्पावर्ड एक्शन ग्रुप 2024 का हिस्सा बनने, पार्टी में शामिल होने और चुनावों की जिम्मेदारी लेने के कांग्रेस का प्रस्ताव ठुकरा दिया है। मेरी राय में पार्टी की अंदरूनी समस्याओं को ठीक करने के लिए, कांग्रेस को मुझसे ज्यादा लीडरशिप और मजबूत इच्छाशक्ति की जरूरत है।''
वहीं, कांग्रेस नेता रणदीप सुरजेवाला ने भी ट्वीट कर बताया कि कांग्रेस अध्यक्ष ने एक एम्पावर्ड एक्शन ग्रुप 2024 का गठन किया और प्रशांत किशोर को जिम्मेदारी देते हुए ग्रुप में शामिल होने के लिए आमंत्रित किया, लेकिन उन्होंने स्वीकार करने से मना कर दिया। हम पार्टी को दिए गए उनके प्रयासों और सुझावों की सराहना करते हैं।
प्रशांत किशोर की बात से साफ जाहिर होता है कि कांग्रेस में अभी बहुत ही ज्यादा सुधार की आवश्यकता है। यहां तक कि वह खुद इसके लिए अपने आप को कम मान रहे हैं। उनका मानना है कि पार्टी में नेतृत्व के अलावा बहुत कमियां हैं जिन्हें ठीक करने की जरूरत है। वहीं, प्रशांत किशोर को कांग्रेस लेने के लिए पूरी तरह तैयार थी। कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी ने पार्टी में 2024 लोकसभा चुनावों के लिए एक एम्पार्वड एक्शन ग्रुप बनाकर प्रशांत किशोर को उसका सदस्य बनाकर पार्टी में शामिल होने का प्रस्ताव दिया था, लेकिन प्रशांत किशोर ने जिस तरह से पार्टी में बदलाव करने के लिए प्रस्ताव दिए थे, उन पर कांग्रेस पूरी तैयार नहीं थी। इसी के चलते दोनों के बीच बातचीत बनते-बनते बिगड़ गई।
कांग्रेस प्रशांत किशोर के फॉर्मूले, रणनीतिक कौशल और चुनाव प्रबंधन का पूरा लाभ तो लेना चाहती है लेकिन उन्हें अपनी कार्ययोजना लागू करने के लिए वह आजादी नहीं देना चाहती है जिसकी प्रशांत किशोर को दरकार थी। प्रशांत किशोर के प्लान के मुताबिक कांग्रेस की कमान गांधी परिवार से बाहर के किसी सदस्य को सौंपने की थी। कांग्रेस शीर्ष नेतृत्व इस पर राजी नहीं था, क्योंकि 2019 के बाद से इसीलिए कांग्रेस का अध्यक्ष का चुनाव अभी तक नहीं हो सका। राहुल गांधी ने कांग्रेस के अध्यक्ष पद से इस्तीफा दिया था, जिसके बाद से सोनिया गांधी पार्टी की अंतरिम अध्यक्ष हैं। यूपीए अध्यक्ष के पद पर भी प्रशांत किशोर ने किसी सहयोगी दल का नेता देने का प्रस्ताव दिया था, जिस पर भी कांग्रेस राजी नहीं थी। कांग्रेस नेता हमेशा से विपक्षी गठबंधन की बात करते हैं, लेकिन नेतृत्व देने के लिए सहमत नहीं होते हैं।
कांग्रेस में गांधी परिवार की साख को बचाए रखने का भी सवाल है। पीके के शामिल होने के बाद पार्टी में जो भी फैसला लिए जाते उसका श्रेय गांधी परिवार के बजाय प्रशांत किशोर को जाता। ऐसे में गांधी परिवार की साख को भी गहरा झटका लगता, क्योंकि कांग्रेस में हाईकमान का कल्चर है। यहां पर गांधी परिवार के प्रति वफादारी ही कांग्रेस की असल वफादारी मानी जाती है। प्रशांत किशोर के पार्टी में शामिल होने से सबसे ज्यादा असर गांधी परिवार के ऊपर पड़ने की संभावना थी, जिसके चलते पीके को पार्टी में सुझाव देने तक के ही अधिकार देने के पक्ष में दिख रही थी. बिना गांधी परिवार के कांग्रेस का अस्तित्व फिलहाल नहीं।
प्रशांत किशोर ने अपने प्लान में कांग्रेस संगठन में बड़े बदलाव का सुझाव रखा था तो राज्यों में गठबंधन का भी एक फॉर्मूला दिया था। सोनिया गांधी ने प्रशांत की प्रेजेंटेशन और उनके पार्टी में शामिल होने पर विचार करने के लिए कांग्रेस नेताओं की समिति का गठन किया था। इस कमेटी ने पार्टी अध्यक्ष सोनिया गांधी को अपनी रिपोर्ट सौंपी। इस रिपोर्ट में था कि प्रशांत किशोर कांग्रेस में एंट्री से पहले बाकी सभी राजनीतिक दलों से दूरी बना लें और पूरी तरह कांग्रेस के लिए समर्पित हो जाएं।
इसलिए इस बार प्रशांत किशोर ने तय कर लिया था कि या तो उन्हें अपनी कार्ययोजना लागू करने की पूरी छूट मिले और उनके काम में किसी भी नेता का कोई दखल न हो, इसके बाद ही वह कांग्रेस में शामिल होंगे। वहीं, कांग्रेस नेतृत्व इसे लेकर उहापोह में था कि प्रशांत किशोर या किसी भी एक व्यक्ति को इतनी छूट देना कांग्रेस और नेतृत्व दोनों के लिए ठीक नहीं होगा। इससे राहुल गांधी की छवि भी प्रभावित होगी और प्रशांत किशोर एक नए सत्ता केंद्र बन जाएंगे। ऐसे में प्रशांत किशोर की कांग्रेस में शामिल होने के अरमानों पर एक बार फिर से पानी फिर गया है।







