सपा सुप्रीमो अखिलेश यादव का सहारनपुर आगमन तय, होंगे कई कार्यक्रम

Akhilesh yadav
UP Politics News
locationभारत
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calendar29 Nov 2025 01:52 PM
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सहारनपुर। समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष एवं यूपी के पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव akhilesh yadav आगामी 10 अक्टूबर को सहारनपुर में आ रहे हैं। यहां पहुंचने पर जहां वह दिवंगत पूर्व केबिनेट मंत्री चौधरी यशपाल सिंह की 100वीं जयंती समारोह में शिरकत करेंगे, वहीं आगामी विधानसभा चुनाव को लेकर भी कार्यक्रमों में भाग लेंगे। समाजवादी पार्टी के जिला अध्यक्ष चौधरी रूद्रसैन ने बताया कि आगामी 10 अक्टूबर को पार्टी सुप्रीमो अखिलेश यादव akhilesh yadav का कार्यक्रम ऐतिहासिक होगा। उन्होंने बताया कि आगामी 10 अक्टूबर को कस्बा तीतरों में पूर्व मंत्री एवं पूर्व राष्ट्रीय उपाध्यक्ष चौधरी यशपाल सिंह की 100 वी जयंती समारोह में पार्टी के मुखिया एवं पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव मुख्य अतिथि के रुप में शामिल होने आ रहे हैं। वह कार्यकर्ताओं का मार्गदर्शन भी करेंगे उन्होंने कहा कि सभी कार्यकर्ता आयोजन को सफल बनाने के लिए जी जान से जुट जाएं। जिलाध्यक्ष चौधरी रूद्र सैन ने कहा कि कार्यकर्ता समारोह के आयोजन के साथ-साथ आगामी में होने वाले विधानसभा चुनाव की तैयारी में भी लग जाएं क्योंकि जल्द ही विधानसभा चुनाव की घोषणा होने वाली है इसके लिए अभी से तैयारी आरंभ कर दें सपा लोहिया वाहिनी के पूर्व राष्ट्रीय अध्यक्ष चंद्रशेखर यादव ने कहा कि आगामी 10 अक्टूबर को सपा सुप्रीमो अखिलेश यादव के जनपद आगमन कार्यक्रम को ऐतिहासिक बनाने के लिए सभी लोग अभी से जुट जाएं और अपने अपने लोगों से संपर्क साध कर भारी संख्या में कार्यक्रम में भागीदारी करें। उन्होंने कहा कि यह आयोजन आगामी विधानसभा चुनाव को देखते हुए अति महत्वपूर्ण है और पार्टी सुप्रीमो अखिलेश यादव आगामी चुनाव के लिए दिशा निर्देश भी जारी कर सकते हैं ऐसे में कार्यक्रम के आयोजन में किसी प्रकार की कोताही नहीं होनी चाहिए। इस दौरान सपा जिलाध्यक्ष चौधरी रुद्रसैन प्रतिनिधि चौधरी प्रवीन बान्दुखेड़ी, संजय बहरामपुरा, जिला सचिव सबोद राणा अच्छान यादव, चौधरी मंसूर, राव वजाहत जिला सचिव राजेश सैनी आदि मौजूद रहे

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पीएम मोदी के अमेरिकी दौरे के लिए जिम्मेदार हैं ये 5 बातें

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PM Modi US Visit
locationभारत
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calendar24 Sep 2021 04:41 PM
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लगभग डेढ़ साल बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी एशिया के बाहर किसी देश की यात्रा पर हैं। अपने तीन दिवसीय अमेरिकी दौरे के दौरान वह क्वॉड (Quad: Quadrilateral Security Dialogue) की बैठक में हिस्सा लेंगे। आखिर, पीएम मोदी के अमेरिका जाने और क्वॉड के चर्चा में आने की वजह क्या है?

पहली बार पश्चिमी देश हुए इतने मजबूर! कोरोना महामारी ने दुनिया के विकसित और औद्योगिक देशों को चीन पर उनकी निर्भरता का एहसास करा दिया है। अब तक हुए दो विश्व युद्धों में अमेरिका व यूरोपीय देशों ने अपनी सामरिक क्षमता और एकता के बल पर जर्मनी और सोवियत संघ को घुटने टेकने के लिए मजबूर कर दिया था। लेकिन, कोरोना महामारी ने पश्चिमी देशों को बता दिया कि चीन से सीधी लड़ाई में जीत किसी की भी हो लेकिन, आर्थिक नुकसान अमेरिका और यूरोप का ही होगा।

कोरोना ने अमेरिका और यूरोप के प्रमुख देशों ब्रिटेन, जर्मनी और इटली को सबसे ज्यादा नुकसान पहुंचाया है। यह पता होने के बावजूद कि इस महामारी को फैलाने वाला चीन है, पश्चिमी देश उसके खिलाफ कोई कार्यवाही करना तो दूर उसे दोषी ठहराने का भी साहस नहीं जुटा पा रहे हैं। आखिर, पश्चिमी देश इतने मजबूर क्यों हैं?

पश्चिमी देशों को यह अनदेखी पड़ गई भारी कोरोना महामारी से पहले चीन अपनी सैन्य ताकत और आर्थिक शक्ति को तेजी से बढ़ा रहा था। एशिया में दादागिरी कर रहा था। ताईवान से लेकर उत्तरी और दक्षिणी चीन सागर में अपनी सैन्य गतिविधियां बढ़ा रहा था। ग्वादर और जिबूती में सैन्य अड्डे बना रहा था।

पश्चिमी देशों को इससे कोई आपत्ति नहीं थी, क्योंकि उन्हें अपनी सैन्य और आर्थिक ताकत पर पूरा भरोसा था। लेकिन, कोरोना ने उनके मुगालते को एक झटके में चकनाचूर कर दिया। पैसे, टेक्नॉलिजी और उच्च गुणवत्ता वाले इंफ्रास्ट्रक्चर के बावजूद पश्चिमी देशों में मौतों का सिलसिला रोके नहीं रुका। अमेरिका तो अब भी इस महामारी से बुरी तरह जूझ रहा है।

पश्चिमी देशों की इस निर्भरता ने उन्हें बनाया कमजोर अमेरिका सहित यूरोपीय देशों ने चीन के खिलाफ कार्यवाही का मन तो बना लिया लेकिन, जल्द ही उन्हें एहसास हुआ कि इसमें भी उनका ही नुकसान है। असल में चीन अपने सस्ते श्रम, विशाल उत्पादन क्षमता और गुणवत्ता के कारण दुनिया का मैन्युफैक्चरिंग हब बन चुका है।

आईफोन की एक्सेसरीज से लेकर इटली की फैशन इंडस्ट्री में इस्तेमाल होने वाले हर छोटे-बड़े सामान का बल्क प्रोडक्शन चीन में होता है। कोरोना काल में चीन से आने वाले कच्चे माल का प्रोडक्शन और सप्लाई ठप्प हो गई। तब पश्चिमी देशों को पता चला कि चीन उनके व्यापार की रीढ़ बन चुका है। चीन में उत्पादन बंद होते ही यूरोप का व्यापार तबाह हो जाएगा।

क्यों भारत की ओर देख रहे पश्चिमी देश? चीन कम लागत में गुणवत्तापूर्ण सामान बनाने और उसका बहुत बड़े पैमाने पर उत्पादन करने की क्षमता रखता है। साथ ही, दुनिया के किसी भी कोने में जल, थल या हवाई मार्ग से उतनी ही जल्दी डिलीवरी भी कर सकता है। फिलहाल, कोई भी दूसरा देश चीन को इस क्षेत्र में टक्कर देने की हालत में नहीं है।

अमेरिका सहित पश्चिमी देश मैन्युफैक्चरिंग और सप्लाई चेन पर चीन के एकाधिकार (Monopoly) को खत्म करने के लिए अ​फ्रीका और एशिया के दूसरे देशों की ओर देख रहे हैं। अफ्रीकी देशों की गरीबी सहित तकनीकी पिछड़ापन और एशियाई देशों में बढ़ रही कट्टरता और आतंकवाद इस राह में सबसे बड़ा रोड़ा हैं। ऐसे में पश्चिमी देशों को भारत से काफी उम्मीदें हैं।

भारत एक लोकतांत्रिक देश होने के साथ-साथ तकनीक को तेजी से सीखने और प्रयोग करने वाला देश है। चीन की तरह भारत की बड़ी आबादी शिक्षित और तकनीकी दक्षता वाली है। यही वजह है कि अमेरिका, ऑस्ट्रेलिया और जापान जैसे विकसित और औधोगिक देश भारत के साथ मिल कर क्वॉड को मजबूत बनाने का गंभीर प्रयास कर रहे हैं। अमेरिका में भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के साथ क्वॉड देशों की बैठक का असली मकसद वैश्विक आपूर्ति श्रंखला (Global Supply Chain) में चीन के एकाधिकार को कम करना है।

भारत के सामने है दोहरी चुनौती ग्लोबल सप्लाई चेन पर चीन के एकाधिकार को चुनौती देना बेहद मुश्किल है। चीन में साम्यवादी और तानाशाही शासन है। चीनी सरकार को किसी भी तरह के श्रम कानून बनाने या उन्हें लागू करने से पहले विपक्ष या विरोध का सामना नहीं करना पड़ता।

भारत एक लोकतांत्रिक देश है, जहां मजबूत से मजबूत सरकार भी मनमाना कानून नहीं बना सकती। केवल विपक्ष या जनांदोल ही नहीं, भारत की न्यायपालिका ऐसे किसी भी कानून को निष्प्रभावी कर सकती है जो संविधान की मूल भावना के खिलाफ हो।

ऐसे में भारत के सामने चीन के सस्ते श्रम और तकीनीकी दक्षता के साथ-साथ आंतरिक विरोधों से निपटने की दोहरी चुनौती है। देखना दिलचस्प होगा कि भारत इस चुनौती को अवसर में बदल पाने में सफल होता है या नहीं।

- संजीव श्रीवास्तव

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कोवैक्सीन लगवाने वाले पीएम मोदी की अमेरिका यात्रा पर उठे सवाल

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calendar24 Sep 2021 04:13 PM
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राष्ट्रीय ब्यूरो।अमेरिका में भारत की कोरोनारोधी कोवैक्सीन को मंजूरी हासिल नहीं है। ऐसे में भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की  (PM Narendra Modi )अमेरिका में इंट्री को लेकर सवाल उठने लगे हैं। कांग्रेस पार्टी ने कहा है कि पीएम यह बताएं कि उन्हें कोवैक्सीन लगवाने के बावजूद अमेरिका में पहुंचने की इजाजत कैसे मिली।

कांग्रेस नेता दिग्विजय सिंह ने कहाकि उन्हें जहां तक याद है,मोदी ने कोवैक्सीन ही लगवाई थी। तो देश जानना चाहता क्या अमेरिका की ओर से उन्हें विशेष छूट मिली है या उन्होंने अमेरिका से मंजूरी मिली कोई दूसरी वैक्सीन लगवाई है। कांग्रेस पार्टी के सोशल मीडिया कोआर्डिनेटर विनय कुमार ढोकनिया ने भी उनकी यात्रा पर सवाल उठाते हुए कहाकि प्रधानमंत्री मोदी ने कोवैक्सीन लगवाई है,जो कि अमेरिका में मान्य नहीं है। ऐसे में सरकार बताए कि उन्हें अमेरिका में प्रवेश की अनुमति कैसे मिली।

वरिष्ठ कांग्रेस नेता मारग्रेट अल्वा के बेटे निखिल अल्वा ने भी ऐसे ही सवाल उठाते  हुए कहाकि उन्होंने भी प्रधानमंत्री की तरह ही कोवैक्सीन लगवाई थी। जिसके चलते वे नेपाल,ईरान सहित कुछ देशों को छोड़कर दुनिया में अन्यत्र कहीं नहीं जा सकते हैँ। ऐसे में हैरानी हो रही है कि इस वैक्सीन को लगवाने के बाद मोदी को अमेरिका में जाने की अनुमति मिल गई। जबकि सभी को पता है कि अभी तक अमेरिका ने कोवैक्सीन को मंजूरी नहीं दी है। हालांकि अंतर्राष्ट्रीय मामलों के जानकार शैलेंद्र देवलांकर कहते हैं कि हर देश के पास वह वैक्सीन नहीं हो सकती,जिसे अमेरिका से मंजूरी मिली हो। इसलिए ऐसे मामलों को राष्टाध्यक्षों को रियायत मिल सकती है। उन्होंने कहाकि वैसे भी विदेशी दौरों पर जाने वाले राजनयिकों को भी विभिन्न देशों द्वारा विशेष रियायत मिलती रही है।