Punjab : अगले सप्ताह हो सकती कैप्टन के नए दल की घोषणा

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locationभारत
userचेतना मंच
calendar08 Oct 2021 11:22 AM
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राष्ट्रीय ब्यूरो। पंजाब कांग्रेस का घमासान भले ही फिलहाल थमता दिखाई पड़ रहा हो,लेकिन पूर्व मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह को लेकर पार्टी परेशान है। सूत्र बता रहे हैं कि अगले सप्ताह वे अपनी नई पार्टी का ऐलान  कर सकते हैं।

बतादें कि मुख्यमंत्री पद से त्यागपत्र देने के बाद अमरिंदर सिंह एक सप्ताह के भीतर दूसरी बार दिल्ली का दौरा कुछ नया गुल खिला सकता है। वे भाजपा नेताओं के लगातार संपर्क में हैँ। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मिलने की अटकलें भी लगाई जा रही हैं। हालांकि पिछली बार जब वे दिल्ली आए थे और गृहमंत्री अमित शाह व राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल से भेंट की थी तब माना जा रहा था कि वे जल्द ही भाजपा में शामिल हो जाएंगे। लेकिन कैप्टन ने इन अटकलों को खारिज करते हुए कहा था कि वे न तो कांग्रेस में रहेंगे और न ही भाजपा में शामिल होने जा रहे हैं। ऐसे में अब कांग्रेस चौकन्ना है। उसे लग रहा है कि कैप्टन अगर नई पार्टी बनाते हैं तो कांग्रेस का नुकसान हो सकता है। कांग्रेस के कुछ असंतुष्ट नेता उनकी पार्टी में जा सकते हैँ। इस बीच यह भी चर्चा हैकि कैप्टन द्वारा गठित जाट महासभा जो कि इन दिनों सक्रिय नहीं है,उसे वे दोबारा से सक्रिय करने की जुगत में हैँ। ऐसा वे शायद भाजपा नेताओं के इशारे पर कर रहे हैँ,ताकि जाट खासकर सिख जाट किसानों के असंतोष का फायदा पंजाब में कांग्रेस को न मिल सके।

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लखीपुर खीरी के सिखों का पंजाब से है पुराना नाता

Lakhimpur Kheri
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locationभारत
userचेतना मंच
calendar08 Oct 2021 12:16 AM
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लखीमपुर खीरी की घटना के बाद प्रियंका गांधी, राहुल गांधी, अखिलेश यादव या सतीश मिश्रा का यहां पहुंचना स्वाभाविक है। लेकिन, पंजाब के सीएम चरणजीत सिंह चन्नी और नवजोत सिंह सिद्धू के यहां आने की आखिर क्या वजह हो सकती है? किसान आंदोलन एक साल से भी ज्यादा समय से जारी है। ऐसे में, पीलीभीत से सांसद वरुण गांधी और उनकी मां मेनका गांधी का अचानक बीजेपी पर हमलावर होने की क्या वजह हो सकती है? इस क्षेत्र को मिनी पंजाब भी कहा जाता है पंजाब कांग्रेस के नेताओं और वरुण व मेनका गांधी के इस व्यवहार की एक कॉमन वजह है। लखीमपुर खीरी हादसे में चार किसानों नक्षत्र सिंह (60), लवप्रीत सिंह (20), दलजीत सिंह (35) और गुरविंदर सिंह (19) की मौत हुई है। इनके अलावा एक स्थानीय पत्रकार सहित तीन अन्य लोग भी मारे गए हैं। हादसे का शिकार हुए चारों किसान सिख समुदाय के हैं। असल में लखीमपुर खीरी, उत्तर प्रदेश का ऐसा जिला है जहां सबसे ज्यादा सिख आबादी रहती है। 2011 की जनगणना के अनुसार यूपी में लगभग साढ़े छह लाख सिख रहते हैं। इनमें से 94,000 से ज्यादा सिख अकेले लखीमपुर खीरी में रहते हैं। हालांकि, लखीमपुर खीरी की कुल आबादी में इनका हिस्सा 2.63 फिसदी है। यूपी की नेपाल से लगी सीमा को तराई क्षेत्र कहा जाता है। यह इलाका सहारनुपर से लेकर कुशीनगर तक फैला हुआ है। इसमें पीलीभीत, रामपुर, बिजनौर और लखीमपुर खीरी शामिल है। इस पूरे इलाके में सिखों की बड़ी आबादी रहती है। इस वजह से इसे मिनी पंजाब तक कहा जाता है। अविभाजित पंजाब से है नाता भारत-पाकिस्तान के विभाजन के दौरान शरणार्थी के तौर पर भारत आए सिखों और जाटों को प्रति परिवार 12 एकड़ जमीन दी गई। हालांकि, जमीन केवल उन परिवारों को दी गई जिनके पास अविभाजित पंजाब में जमीनें थीं। इस आबादी के साथ सिखों की पिछड़ी जातियां (रायसिख और मजहबी) भी मजदूरी करने के लिए इस इलाके में आईं। इन लोगों ने भी स्थानीय जनजातियों से जमीनें खरीद कर खेती करना शुरू कर दिया। नगदी फसलों में है इस क्षेत्र का दबदबा तराई क्षेत्र होने की वजह से इस इलाके में गन्ना, धान और गेहूं की अच्छी पैदावार होती है। गन्ना को नगदी फसल माना जाता है। 2019-20 में यूपी के कुल कृषि उत्पादन में सबसे ज्यादा योगदान लखीमपुर खीरी का था। आतंकी कनेक्शन का लगता रहा है आरोप अस्सी और नब्बे के दशक में जब पंजाब आतंकवाद की आग में जल रहा था। उस दौरान इस इलाके को आतंकियों का बेस कैंप कहा जाता था। यूपी के तत्कालीन मुख्यमंत्री वीरबहादुर सिंह पर यहां के सिख किसानों ने दोयम दर्जे के नागरिकों की तरह व्यवहार करने का आरोप लगाया था। 1991 में यूपी पुलिस ने पीलीभीत में एक एनकाउंटर किया जिसमें 10 सिखों की मौत हुई। पुलिस को शक था कि वे आतंकवादी थे। इस मामले की न्यायिक जांच में पाया गया कि एनकाउंटर फर्जी था। इसमें यूपी पुलिस के 47 पुलिस कर्मियों को दोषी पाया गया और उन्हें उम्र कैद की सजा हुई। 2017 में यूपी पुलिस के आतंकवाद निरोधी दस्ते को पता चला कि बब्बर खालसा इंटरनेशनल (BKI) और प्रतिबंधित खालिस्तानी आतंकी गुट के कुछ सदस्य लखीमपुर खीरी के सिख बहुल इलाकों में छिपे हुए हैं। पुलिस ने यहां से दो लोगों को गिरफ्तार भी किया। यूपी सरकार से नाराजगी की ये है वजह तराई क्षेत्र के सिख किसान शुरू से ही नए कृषि कानूनों के विरोध में हैं। इनके नाराजगी की तीन वजहें हैं। गन्ने की खेती में लागत बढ़ने की वजह से मुनाफा कम हुआ है। गन्ने की कीमत में कोई खास सुधार न होने और गन्ने के भुगतान में देरी की वजह से इस इलाके के किसान सरकार से नाराज हैं। किसानों की इस नाराजगी से किसे राजनीतिक फायदा होगा और किसे नुकसान यह तो चुनाव नतीजे ही बताएंगे। ध्यान रहे कि 2022 में यूपी और पंजाब विधानसभा के चुनाव होने हैं। किसान आंदोलन की बागडोर शुरू से ही सिख किसानों के हाथ में रही है। ऐसे में वरूण गांधी से लेकर चरणजीत सिंह चन्नी और नवजोत सिंह सिद्धू के लखीमपुर खीरी में सक्रिय होने का क्या कारण हो सकता है, इसे बताने की जरूरत नहीं है। - संजीव श्रीवास्तव
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Lakhimpur Kheri : यूपी हरियाणा बार्डर पर गिरफ्तार किए गए नवजोत सिंह सिद्धू

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locationभारत
userचेतना मंच
calendar30 Nov 2025 03:39 AM
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Lakhimpur Kheri case :  लखीमपुर खीरी जा रहे वरिष्ठ कांग्रेस नेता नवजोत सिंह सिद्धू  Navjot Singh Sidhu को उत्तर प्रदेश के सहारनपुर जनपद में यूपी हरियाणा बार्डर पर सहारनपुर पुलिस द्वारा गिरफ्तार कर लिया गया। नवजोत सिंह सिद्धू ने जैसे ही यमुना पार की और हरियाणा बार्डर पर एंट्री की तो वहां पहले से ही मौजूद भारी पुलिस बल ने बेरिकेडिंग लगा उनके पूरे काफिले को रोक लिया और गिरफ्तार कर लिया। वहीं पहले से मौजूद कांग्रेस जिलाध्यक्ष के नेतृत्व के कार्यकर्ताओं ने गगनभेदी नारों के साथ फूल माला डालकर स्वागत किया। इस दौरान सिद्धू ने कार्यकर्ताओं का अभिवादन करते प्रशासन व सरकार की कार्रवाही की निंदा करते हिटलरशाही बताया।

गुरुवार को करीब 3 बजकर 25 मिनट पर जैसे पुलिस छावनी बने माहौल में यूपी हरियाणा बार्डर पर नवजोत सिंह सिद्धू Navjot Singh Sidhu पहुंचे तो पुलिस ने उनके काफ़िले को रोक लिया और गिरफ्तार कर लिया। इस दौरान नवजोत सिंह सिद्धू ने पुलिस प्रशासन से कहा कि या तो उन्हें लखीमपुर खीरी जाने दिया जाए या फिर उन्हें गिरफ्तार किया जाए। नवजोत सिंह सिद्धू व उनके समर्थकों के साथ पुलिस की घण्टों तक गहमा गहमी चलती रही। इस दौरान कार्यकर्ता भाजपा सरकार के खिलाफ नारेबाजी करते रहे। सिद्धू के समर्थकों ने पुलिस द्वारा लगाई गई बेरिकेडिंग को तोड़ते आगे बढ़ने की कोशिश भी की तो पुलिस ने हल्का बल भी प्रयोग किया। लेकिन सिद्धू व उनके समर्थक लगातार लखीमपुर जाने की जिद पर अड़े रहे।

सिंद्धु के समर्थकों ने पुलिस प्रशासन द्वारा लगाई गई बेरिकेडिंग को तोड़कर आगे बढ़ गए। जिसके बाद पुलिस ने दोबारा बेरिकेडिंग कर समर्थकों को रोक लिया। बाद में पुलिस ने नवजोत सिंह सिद्धू व उकने करीब एक दर्जन से अधिक मंत्री व विधायकों को गिरफ्तार करते उन्हें बस में बैठा थाने ले आई। बाकी उनके समर्थकों को पुलिस ने शाहजहांपुर पुलिस चौकी पर ही रोके रखा। इस दौरान एडीजी राजीव सबरवाल, डीएम अखिलेश सिंह, एसएसपी डा. एस चनप्पा, एसडीएम नकुड़ देवेन्द्र पाण्डे, थानाध्यक्ष सरसावा धर्मेन्द्र सिंह भारी पुलिस बल के साथ मौजूद रहे।

कांग्रेस पार्टी के प्रदेशाध्यक्ष नवजोत सिंह सिद्धू के आने की खबर से पुलिस प्रशासन पहले से ही अलर्ट नजर आया। सिंद्धु को रिकने के लिए प्रशासन द्वारा 2 कम्पनी पीएसी,6 सीओ,100 कास्टेबल,25 उपनिरीक्षक, एक दर्जन निरीक्षक व इंटेलीजेंस के अधिकारी तैनात रहे।

इनपुट-  कुलदीप कांबोज, सरसावा