Political News : राजभर को वाई श्रेणी सुरक्षा, मुर्मू को समर्थन और अखिलेश पर हमलावर रहने का इनाम!
Big political upheaval in UP Omprakash Rajbhar may return in BJP alliance-featured-images-chetnamanch
भारत
चेतना मंच
30 Nov 2025 11:48 PM
Political News: सियासी कुरुक्षेत्र में अपने बयानों से सुर्खियां बटोरने वाले सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी के मुखिया को भारतीय जनता पार्टी ने लुभाने की कोशिशें तेज कर दी है। उत्तर प्रदेश की सरकार ने शुक्रवार को उन्हें वाई श्रेणी की सुरक्षा दे दी। इसकी पुष्टि उनके बेटे अरुण राजभर ने की है। सियासी गलियारे में इस बात की चर्चा है कि सपा सुप्रीमो अखिलेश पर लगातार हमलावर रहने और राष्ट्रपति चुनाव में द्रोपदी मुर्मू का समर्थन करने के कारण उन्हें सरकार ने पुरस्कृत किया है। इसके साथ ही कयास लगाए जा रहे हैं कि ओमप्रकाश राजभर जल्द ही समाजवादी पार्टी को टाटा कर सकते हैं। वाई श्रेणी की सुरक्षा में 11 सुरक्षाकर्मी शामिल होते हैं।
बीते दिनों ओमप्रकाश राजभर ने यह भी कह दिया था कि समाजवादी पार्टी भाजपा के नाम पर मुसलमानों को डरा कर वोट लेती है, लेकिन उनका हक नहीं देती। इससे पहले ओमप्रकाश राजभर ने यह भी कह दिया था कि वह तो अखिलेश यादव से तलाक मिलने का इंतजार कर रहे हैं, खुद से गठबंधन से बाहर नहीं होंगे। कुल मिलाकर देखें तो वर्तमान में ओमप्रकाश राजभर और भाजपा की नजदीकियां बढ़ती दिखाई दे रही हैं।
उत्तर प्रदेश शासन के गृह विभाग के संयुक्त सचिव विनय कुमार सिंह की ओर से अपर पुलिस महानिदेशक (सुरक्षा) को भेजे गये पत्र में कहा गया है कि गाजीपुर जिले के जहूराबाद क्षेत्र के विधायक और सुभासपा अध्यक्ष ओमप्रकाश राजभर को राज्य स्तरीय समिति की आगामी बैठक में होने वाले निर्णय की प्रत्याशा में ‘वाई श्रेणी’ की सुरक्षा अंतरिम रूप से प्रदान कराये जाने का निर्णय लिया गया है। उन्होंने इस मामले में एडीजी से औपचारिकता पूरी करने की अपेक्षा की है। राज्य की मुख्य विपक्षी समाजवादी पार्टी (सपा) के साथ गठबंधन में हाल के राज्य विधानसभा चुनाव में राजभर की पार्टी ने छह सीटों पर जीत हासिल की, लेकिन चुनाव बाद सपा प्रमुख अखिलेश यादव से राजभर की दूरी बढ़ती गई। 2017 के विधानसभा चुनाव में राजभर ने भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के साथ गठबंधन में चुनाव लड़ा था और योगी आदित्यनाथ के नेतृत्व में गठित पहली सरकार में मंत्री पद की शपथ ली थी। बाद में राजभर ने भाजपा से गठबंधन तोड़ दिया था।
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चेतना मंच
30 Nov 2025 11:48 PM
Political News: सियासी कुरुक्षेत्र में अपने बयानों से सुर्खियां बटोरने वाले सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी के मुखिया को भारतीय जनता पार्टी ने लुभाने की कोशिशें तेज कर दी है। उत्तर प्रदेश की सरकार ने शुक्रवार को उन्हें वाई श्रेणी की सुरक्षा दे दी। इसकी पुष्टि उनके बेटे अरुण राजभर ने की है। सियासी गलियारे में इस बात की चर्चा है कि सपा सुप्रीमो अखिलेश पर लगातार हमलावर रहने और राष्ट्रपति चुनाव में द्रोपदी मुर्मू का समर्थन करने के कारण उन्हें सरकार ने पुरस्कृत किया है। इसके साथ ही कयास लगाए जा रहे हैं कि ओमप्रकाश राजभर जल्द ही समाजवादी पार्टी को टाटा कर सकते हैं। वाई श्रेणी की सुरक्षा में 11 सुरक्षाकर्मी शामिल होते हैं।
बीते दिनों ओमप्रकाश राजभर ने यह भी कह दिया था कि समाजवादी पार्टी भाजपा के नाम पर मुसलमानों को डरा कर वोट लेती है, लेकिन उनका हक नहीं देती। इससे पहले ओमप्रकाश राजभर ने यह भी कह दिया था कि वह तो अखिलेश यादव से तलाक मिलने का इंतजार कर रहे हैं, खुद से गठबंधन से बाहर नहीं होंगे। कुल मिलाकर देखें तो वर्तमान में ओमप्रकाश राजभर और भाजपा की नजदीकियां बढ़ती दिखाई दे रही हैं।
उत्तर प्रदेश शासन के गृह विभाग के संयुक्त सचिव विनय कुमार सिंह की ओर से अपर पुलिस महानिदेशक (सुरक्षा) को भेजे गये पत्र में कहा गया है कि गाजीपुर जिले के जहूराबाद क्षेत्र के विधायक और सुभासपा अध्यक्ष ओमप्रकाश राजभर को राज्य स्तरीय समिति की आगामी बैठक में होने वाले निर्णय की प्रत्याशा में ‘वाई श्रेणी’ की सुरक्षा अंतरिम रूप से प्रदान कराये जाने का निर्णय लिया गया है। उन्होंने इस मामले में एडीजी से औपचारिकता पूरी करने की अपेक्षा की है। राज्य की मुख्य विपक्षी समाजवादी पार्टी (सपा) के साथ गठबंधन में हाल के राज्य विधानसभा चुनाव में राजभर की पार्टी ने छह सीटों पर जीत हासिल की, लेकिन चुनाव बाद सपा प्रमुख अखिलेश यादव से राजभर की दूरी बढ़ती गई। 2017 के विधानसभा चुनाव में राजभर ने भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के साथ गठबंधन में चुनाव लड़ा था और योगी आदित्यनाथ के नेतृत्व में गठित पहली सरकार में मंत्री पद की शपथ ली थी। बाद में राजभर ने भाजपा से गठबंधन तोड़ दिया था।
Yashwant Sinha: करारी हार के बावजूद चर्चा के केंद्र में हैं यशवंत सिन्हा
भारत
चेतना मंच
29 Nov 2025 05:04 PM
Yashwant Sinha: देश में 15वें राष्ट्रपति के लिए हुए चुनाव में प्रतिभा पर जातीय समीकरण हावी रहा। यही कारण है कि एक दर्जन राज्यों में 110 सदस्यों ने क्रॉस वोटिंग की। इससे विपक्ष के उम्मीदवार रहे यशवंत सिन्हा को करारी हार का मुंह देखना पड़ा। देश की 15वीं राष्ट्रपति चुनी गईं द्रौपदी मुर्मू ने तीन दौर की मतगणना के बाद ही विपक्ष के उम्मीदवार यशवंत सिन्हा पर निर्णायक बढ़त बना ली थी। वहीं, सिन्हा पहले राउंड में ही रेस से बाहर हो गए थे। यूं तो पहले से ही आंकड़े मुर्मू के पक्ष में थे, लेकिन यशवंत सिन्हा इतने बुरी तरह से हारेंगे, यह किसी ने नहीं सोचा था। यही कारण है कि द्रौपदी मुर्मू की जीत से ज्यादा यशवंत सिन्हा की हार के चर्चा हो रहे हैं।
राष्ट्रपति चुनाव में पहले राउंड में सांसदों के वोटों की गिनती की गई। लोकसभा और राज्यसभा को मिलाकर कुल 776 सांसदों के वोट मान्य थे। हालांकि, इनमें 15 मत रद्द हो गए, जबकि कुछ सांसदों ने वोट नहीं डाले। कुल 748 सांसदों के 5,23,600 वैल्यू तक के वोट काउंट हुए। इनमें द्रौपदी मुर्मू को 540 वोट मिले। इन वोटों की वैल्यू 3,78,000 रही।
विपक्ष के उम्मीदवार रहे यशवंत सिन्हा को 208 सांसदों वोट मिले। इनकी वैल्यू 1,45,600 रही। यानी संसद में मुर्मू को 72 फीसदी सांसदों का समर्थन हासिल हुआ है। जबकि यशवंत सिन्हा के लिए सिर्फ 28 फीसदी सांसदों ने ही वोट डाला। खास बात ये है कि विपक्ष के 17 सांसदों ने द्रौपदी मुर्मू के पक्ष में क्रॉस वोटिंग की। मतलब पहले राउंड में ही सिन्हा रेस से बाहर हो गए थे।
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भारत
चेतना मंच
29 Nov 2025 05:04 PM
Yashwant Sinha: देश में 15वें राष्ट्रपति के लिए हुए चुनाव में प्रतिभा पर जातीय समीकरण हावी रहा। यही कारण है कि एक दर्जन राज्यों में 110 सदस्यों ने क्रॉस वोटिंग की। इससे विपक्ष के उम्मीदवार रहे यशवंत सिन्हा को करारी हार का मुंह देखना पड़ा। देश की 15वीं राष्ट्रपति चुनी गईं द्रौपदी मुर्मू ने तीन दौर की मतगणना के बाद ही विपक्ष के उम्मीदवार यशवंत सिन्हा पर निर्णायक बढ़त बना ली थी। वहीं, सिन्हा पहले राउंड में ही रेस से बाहर हो गए थे। यूं तो पहले से ही आंकड़े मुर्मू के पक्ष में थे, लेकिन यशवंत सिन्हा इतने बुरी तरह से हारेंगे, यह किसी ने नहीं सोचा था। यही कारण है कि द्रौपदी मुर्मू की जीत से ज्यादा यशवंत सिन्हा की हार के चर्चा हो रहे हैं।
राष्ट्रपति चुनाव में पहले राउंड में सांसदों के वोटों की गिनती की गई। लोकसभा और राज्यसभा को मिलाकर कुल 776 सांसदों के वोट मान्य थे। हालांकि, इनमें 15 मत रद्द हो गए, जबकि कुछ सांसदों ने वोट नहीं डाले। कुल 748 सांसदों के 5,23,600 वैल्यू तक के वोट काउंट हुए। इनमें द्रौपदी मुर्मू को 540 वोट मिले। इन वोटों की वैल्यू 3,78,000 रही।
विपक्ष के उम्मीदवार रहे यशवंत सिन्हा को 208 सांसदों वोट मिले। इनकी वैल्यू 1,45,600 रही। यानी संसद में मुर्मू को 72 फीसदी सांसदों का समर्थन हासिल हुआ है। जबकि यशवंत सिन्हा के लिए सिर्फ 28 फीसदी सांसदों ने ही वोट डाला। खास बात ये है कि विपक्ष के 17 सांसदों ने द्रौपदी मुर्मू के पक्ष में क्रॉस वोटिंग की। मतलब पहले राउंड में ही सिन्हा रेस से बाहर हो गए थे।
President of India :द्रोपदी मुर्मू की जीत सिर्फ खास नहीं, ऐतिहासिक भी है
भारत
चेतना मंच
22 Jul 2022 03:56 PM
New Delhi : नई दिल्ली। द्रोपदी मुर्मू के रूप में देश को 15वां राष्ट्रपति मिल गया है। आजाद भारत के इतिहास में यह चुनाव सिर्फ खास ही नहीं, ऐतिहासिक भी रहा। द्रोपदी मुर्मू ने इस चुनाव में कई कीर्तिमान भी बनाए हैं। देश के 15वें राष्ट्रपति चुनाव में विजयी हुईं द्रोपदी मुर्मू का सामना कभी भाजपा के दिग्गज नेता रहे यशवंत सिन्हा से था। शुरू में दोनों के बीच कडे़ मुकाबले की संभावना जताई जा रही थी, लेकिन समय बीतने के साथ ही लगभग तय हो गया था कि मुर्मू इतिहास बनाने के बेहद करीब हैं। इस चुनाव में द्रोपदी मुर्मू कई कीर्तिमान भी स्थापित किए।
द्रोपदी मुर्मू देश के सर्वोच्च संवैधानिक पद पर पहुंचने वालीं पहली आदिवासी महिला हैं। वह आजाद भारत में पैदा होने वाली पहली राष्ट्रपति हैं। आठ साल पहले नरेंद्र मोदी भी आजाद भारत में पैदा होने वाले पहले पीएम बने थे। द्रोपदी मुर्मू देश की सबसे युवा राष्ट्रपति का भी कीर्तिमान स्थापित किया है। यह कीर्तिमान पहले नीलम संजीव रेड्डी के नाम था। उन्होंने 64 साल 2 महीने और 6 दिन की उम्र में शपथ ली थी। मुर्मू जब 25 जुलाई को शपथ लेंगी, तब उनकी उम्र 64 साल एक महीना और 8 दिन होगी। वह देश की प्रथम नागरिक बनने वाली पहली पार्षद हैं। 1997 में वह वार्ड पार्षद बनी थीं। इस चुनाव में ओडिशा का भी नाम इतिहास के पन्नों में जुड़ गया। उस राज्य से पहली बार कोई राष्ट्रपति के पद तक पहुंचा है।
भारत
चेतना मंच
22 Jul 2022 03:56 PM
New Delhi : नई दिल्ली। द्रोपदी मुर्मू के रूप में देश को 15वां राष्ट्रपति मिल गया है। आजाद भारत के इतिहास में यह चुनाव सिर्फ खास ही नहीं, ऐतिहासिक भी रहा। द्रोपदी मुर्मू ने इस चुनाव में कई कीर्तिमान भी बनाए हैं। देश के 15वें राष्ट्रपति चुनाव में विजयी हुईं द्रोपदी मुर्मू का सामना कभी भाजपा के दिग्गज नेता रहे यशवंत सिन्हा से था। शुरू में दोनों के बीच कडे़ मुकाबले की संभावना जताई जा रही थी, लेकिन समय बीतने के साथ ही लगभग तय हो गया था कि मुर्मू इतिहास बनाने के बेहद करीब हैं। इस चुनाव में द्रोपदी मुर्मू कई कीर्तिमान भी स्थापित किए।
द्रोपदी मुर्मू देश के सर्वोच्च संवैधानिक पद पर पहुंचने वालीं पहली आदिवासी महिला हैं। वह आजाद भारत में पैदा होने वाली पहली राष्ट्रपति हैं। आठ साल पहले नरेंद्र मोदी भी आजाद भारत में पैदा होने वाले पहले पीएम बने थे। द्रोपदी मुर्मू देश की सबसे युवा राष्ट्रपति का भी कीर्तिमान स्थापित किया है। यह कीर्तिमान पहले नीलम संजीव रेड्डी के नाम था। उन्होंने 64 साल 2 महीने और 6 दिन की उम्र में शपथ ली थी। मुर्मू जब 25 जुलाई को शपथ लेंगी, तब उनकी उम्र 64 साल एक महीना और 8 दिन होगी। वह देश की प्रथम नागरिक बनने वाली पहली पार्षद हैं। 1997 में वह वार्ड पार्षद बनी थीं। इस चुनाव में ओडिशा का भी नाम इतिहास के पन्नों में जुड़ गया। उस राज्य से पहली बार कोई राष्ट्रपति के पद तक पहुंचा है।