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महिला आरक्षण बिल पर तेज हुई सियासत, सपा विधायक बोलीं- ये है सरकार का चुनावी प्रोपेगेंडा

Women Reservation Bill

लखनऊ: केंद्र की मोदी सरकार ने विशेष सत्र के दूसरे दिन महिला आरक्षण बिल (women reservation bill) को सदन के पटल पर रखा है। महिला आरक्षण बिल को ‘नारी शक्ति वंदन अधिनियम’ नामक विधेयक कहा गया है। मंगलवार को केंद्रीय कानून मंत्री अर्जुन राम मेघवाल ने लोकसभा में यह बिल पेश किया। पीएम मोदी ने 33 प्रतिशत आरक्षण के प्रस्ताव पर कहा कि इससे लोकसभा मजबूत होगी। हालांकि, अब इसपर सियासत भी शुरू हो गई है। विपक्ष इसमें संशोधन करके पास करने की बात कह रहा है। सपा विधायक ने कहा कि सरकार अगर दलित, पिछड़ा और आदिवासी समाज की महिलाओं के लिए अलग से आरक्षण व्यवस्था लागू नहीं होती है तो ऐसे में यह सिर्फ चुनावी प्रोपेगेंडा ही माना जायेगा।

अगर ऐसा हो जाए तो स्वागत करने योग्य होगा ये बिल

यूपी के सिराथू से सपा विधायक पल्लवी पटेल ने कहा कि ये अच्छी बात है महिलाओं को विधानसभा और लोकसभा में 33% आरक्षण मिल रहा है। इससे राजनीति के क्षेत्र में महिलाओं को आगे आने का अवसर प्राप्त होगा। वहीं देश की संसद में बैठकर अपने विचार रखने का अवसर मिलेगा। वहीं सपा विधायक ने यह भी कहा कि उच्च वर्ग की महिलाओं की तुलना में दलित, पिछड़ा और आदिवासी समाज की महिलाओं की स्थितियां काफी खराब हैं। इसलिए अगर सरकार उनकी भागीदारी सुनिश्चित करती है तो यह बिल स्वागत योग्य है। लेकिन फिलहाल ऐसा कुछ नजर नहीं आ रहा है।

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OBC महिलाओं का निर्धारित हो आरक्षण

सपा सांसद डिंपल यादव के लेकर तमाम नेताओं ने इस बिल पर सवाल खड़ा किया है। सरकार को 9 साल पूरे हो गए हैं। अगर इन्हें महिला आरक्षण बिल (Women Reservation Bill) लाना था तो ये पहले चुनाव से पहले ला सकते थे। ये इसे आखिरी साल में ला रहे हैं। सपा ने हमेशा इसका समर्थन किया है और हम सभी चाहते हैं कि OBC महिलाओं का भी इसमें आरक्षण निर्धारित हो क्योंकि जो आखिरी पंक्ति में खड़ी महिलाएं हैं उन्हें उनका हक मिलना चाहिए।

27 साल बाद मिली मंजूरी

बता दें कि नरेंद्र मोदी कैबिनेट ने 27 साल से अटके महिला आरक्षण बिल को मंजूरी दे दी है। इससे पहले इसे 1996 में पेश किया गया था। इस बिल के पास हो जाने पर लोकसभा और राज्यों की विधानसभा में महिलाओं के लिए 33 फीसदी सीट आरक्षित हो जाएंगी। आंकड़ों के मुताबिक, लोकसभा में महिला सांसदों की संख्या 15 फीसदी से कम है जबकि विधानसभाओं में उनका प्रतिनिधित्व 10 फीसदी से भी कम है। महिला आरक्षण बिल (Women Reservation Bill) पास हो जाने पर सदन में आधी आबादी बढ़ जाएगी।

सदन में हो जायेगी इतनी संख्या

कानून मंत्री अर्जुन राम मेघवाल ने (नारी शक्ति वंदन अधिनियम) बिल को लोकसभा में पेश किया। बिल पेश करते हुए उन्होंने कहा कि इस बिल को दोनों सदनों से पारित किए जाने और कानून बनने के बाद लोकसभा में महिला सांसदों की संख्या 181 हो जाएगी। लोकसभा में फिलहाल 82 महिला सांसद हैं। कानून बनने के बाद निचले सदन और राज्य के विधानसभाओं में महिलाओं के लिए 33 प्रतिशत सीटें आरक्षित हो जाएगी।

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