Tuesday, 8 October 2024

President of India : जल के बिना जीवन असंभव, भविष्य की जरूरतों को पूरा करने के लिए वाटर गवर्नेंस पर काम करना जरूरी

President of India : राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने उत्तर प्रदेश के ग्रेटर नोएडा में आज भारत जल सप्ताह के सातवें…

President of India : जल के बिना जीवन असंभव, भविष्य की जरूरतों को पूरा करने के लिए वाटर गवर्नेंस पर काम करना जरूरी

President of India : राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने उत्तर प्रदेश के ग्रेटर नोएडा में आज भारत जल सप्ताह के सातवें संस्करण का उद्घाटन किया। इस मौके पर उन्होंने कहा कि जल के बिना जीवन की कल्पना करना असंभव है। भारतीय सभ्यता में ‘जल’ हमारे जीवन काल में ही नहीं जीवन के बाद की यात्रा में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। इसलिए सभी जल स्रोतों को पवित्र माना जाता है। राष्ट्रपति ने जल को लेकर हो रही समस्याओं का जिक्र करते हुए कहा कि मौजूदा दौर में पानी की स्थिति चिंताजनक लगती है। बढ़ती आबादी के कारण हमारी नदियों और जलाशयों की हालत बिगड़ रही है, गांव के तालाब सूख रहे हैं और कई स्थानीय नदियां विलुप्त हो गई हैं। कृषि और उद्योगों में पानी का अत्यधिक दोहन किया जा रहा है। पृथ्वी पर पर्यावरण संतुलन बिगड़ रहा है, मौसम का मिजाज बदल रहा है और बेमौसम अत्यधिक वर्षा आम हो गई है। ऐसे में जल प्रबंधन पर चर्चा करना बहुत ही सराहनीय कदम है।

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वैश्विक मुद्दा है पानी

राष्ट्रपति ने कहा कि पानी का मुद्दा न केवल भारत के लिए बल्कि पूरे विश्व के लिए प्रासंगिक है। यह मुद्दा राष्ट्रीय सुरक्षा से भी जुड़ा हुआ है क्योंकि उपलब्ध मीठे पानी की विशाल मात्रा दो या दो से अधिक देशों के बीच फैली हुई है। इसलिए, यह संयुक्त जल संसाधन एक ऐसा मुद्दा है जिसमें अंतर्राष्ट्रीय सहयोग आवश्यक है। उन्हें यह जानकर प्रसन्नता हुई कि 7वें भारत जल सप्ताह में डेनमार्क, फिनलैंड, जर्मनी, इजराइल और यूरोपीय संघ भाग ले रहे हैं। उन्होंने विश्वास जताया कि इस मंच पर विचारों और प्रौद्योगिकियों के आदान-प्रदान से सभी लाभान्वित होंगे।

जीवन निर्वाह के लिए महत्वपूर्ण है पानी

राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने पानी के महत्व का जिक्र करते हुए कहा कि पानी कृषि के लिए भी एक प्रमुख संसाधन है। एक अनुमान के अनुसार हमारे देश में लगभग 80 प्रतिशत जल संसाधन का उपयोग कृषि कार्यों के लिए किया जाता है। इसलिए जल संरक्षण के लिए सिंचाई में पानी का उचित उपयोग और प्रबंधन बहुत जरूरी है। इस क्षेत्र में ‘प्रधानमंत्री कृषि सिंचाई योजना’ एक प्रमुख पहल है। देश में सिंचित क्षेत्र को बढ़ाने के लिए यह राष्ट्रव्यापी योजना लागू की जा रही है। जल संरक्षण लक्ष्यों के अनुरूप, इस योजना में “प्रति बूंद अधिक फसल” सुनिश्चित करने के लिए सटीक-सिंचाई और जल बचत प्रौद्योगिकियों को अपनाने की भी परिकल्पना की गई है।

वाटर गवर्नेंस की जरूरत

इस कार्यक्रम में राष्ट्रपति ने पानी के सही उपयोग और संरक्षण पर जोर दिया उन्होंने कहा कि बढ़ती आबादी को स्वच्छ पेयजल उपलब्ध कराना आने वाले वर्षों में एक बड़ी चुनौती होगी। पानी का मुद्दा बहुआयामी और जटिल है, जिसके लिए सभी हितधारकों को प्रयास करने चाहिए। हम सभी जानते हैं कि पानी सीमित है और केवल इसका उचित उपयोग और पुनर्चक्रण ही इस संसाधन को लंबे समय तक बनाए रख सकता है। इसलिए, हम सभी को इस संसाधन का सावधानीपूर्वक उपभोग करने का प्रयास करना चाहिए। उन्होंने लोगों से इसके दुरुपयोग के बारे में जागरूक होने और दूसरों को जल संरक्षण के बारे में जागरूक करने का आग्रह किया। उन्होंने विश्वास व्यक्त किया कि इस 7वें जल सप्ताह के दौरान विचार-मंथन के परिणाम इस पृथ्वी और मानवता के कल्याण का मार्ग प्रशस्त करेंगे। उन्होंने आम लोगों, किसानों, उद्योगपतियों और विशेषकर बच्चों से जल संरक्षण को अपनी नैतिकता का हिस्सा बनाने की अपील की। उन्होंने कहा कि इसी तरह हम आने वाली पीढ़ियों को एक बेहतर और सुरक्षित कल का तोहफा दे पाएंगे।

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