Wednesday, 24 April 2024

Rajdroh Kanoon : चिदंबरम, थरूर ने राजद्रोह कानून संबंधी विधि आयोग की सिफारिशों पर सवाल खड़े किए

 Rajdroh Kanoon नई दिल्ली। कांग्रेस के वरिष्ठ नेता पी चिदंबरम और शशि थरूर ने विधि आयोग द्वारा राजद्रोह के अपराध…

Rajdroh Kanoon : चिदंबरम, थरूर ने राजद्रोह कानून संबंधी विधि आयोग की सिफारिशों पर सवाल खड़े किए

 Rajdroh Kanoon नई दिल्ली। कांग्रेस के वरिष्ठ नेता पी चिदंबरम और शशि थरूर ने विधि आयोग द्वारा राजद्रोह के अपराध संबंधी दंडात्मक प्रावधान का समर्थन किए जाने पर शनिवार को सवाल खड़े किए हैं। चिदंबरम ने कहा कि यह देखकर दुख होता है कि कुछ न्यायाधीश और पूर्व न्यायाधीश वास्तविक दुनिया से कितने कटे हुए हैं। उन्होंने यह दावा भी किया कि यह कानून शासकों को इसके दुरुपयोग का निमंत्रण देता है।

Rajdroh Kanoon

थरूर ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट के आदेश का पालन होना चाहिए और केंद्र एवं राज्य सरकारों को राजद्रोह से संबंधित कोई मामला दर्ज नहीं करना चाहिए।

पूर्व गृहमंत्री चिदंबरम ने ट्वीट किया कि भारतीय दंड संहिता की धारा 124 ए (राजद्रोह) की वैधानिकता की जांच-परख करने वाले विधि आयोग के सुझाव कुछ इस तरह हैं कि किसी चिकित्सक द्वारा सुझाया गया उपचार बीमारी से भी ज्यादा खतरनाक हो। उन्होंने कहा कि जब राजद्रोह के कानून को निरस्त करने की मांग हो रही है, ऐसे समय विधि आयोग ने सिफारिश की है कि सजा को 3 साल से बढ़ाकर 7 साल किया जाए।

चिदंबरम ने दावा किया कि इस तरह का खतरनाक कानून शासकों को इस बात का निमंत्रण है कि वे इसका दुरूपयोग करें। यह बात कई बार साबित हो चुकी है। उन्होंने यह भी कहा कि यह देखकर दुख होता है कि कुछ न्यायाधीश और पूर्व न्यायाधीश इस तरह से वास्तविक दुनिया से कटे हुए हैं। वहीं शशि थरूर ने ट्वीट किया कि यह (विधि आयोग की सिफारिश) बहुत हैरान करने वाला है और इसका विरोध होना चाहिए। इस कानून का पहले ही बहुत और बार-बार दुरुपयोग हो चुका है। मैं 2014 में इसको लेकर गैर सरकारी विधेयक लाया था और कांग्रेस ने 2019 के लोकसभा चुनाव के लिये घोषणा पत्र में भी वादा किया था कि राजद्रोह कानून में संशोधन किया जाएगा। उन्होंने कहा कि 2022 में सुप्रीम कोर्ट ने जो आदेश दिया था, उसका पालन होना चाहिये और केंद्र एवं राज्य सरकारों को इस कानून के तहत कोई मामला दर्ज नहीं करना चाहिए।

उल्लेखनीय है कि विधि आयोग ने राजद्रोह के अपराध संबंधी दंडात्मक प्रावधान का समर्थन करते हुए कहा है कि इसे पूरी तरह से निरस्त करने से देश की सुरक्षा और अखंडता पर गंभीर प्रतिकूल प्रभाव पड़ सकता है। सुप्रीम कोर्ट के एक आदेश के चलते भारतीय दंड संहिता की राजद्रोह संबंधी धारा 124 ए फिलहाल स्थगित है।

पिछले साल 11 मई को एक ऐतिहासिक आदेश में सुप्रीम कोर्ट ने राजद्रोह संबंधी औपनिवेशिक युग के दंडात्मक कानून पर तब तक के लिए रोक लगा दी थी, जब तक कि ‘उचित’ सरकारी मंच इसकी समीक्षा नहीं करता। इसने केंद्र और राज्यों को इस कानून के तहत कोई नयी प्राथमिकी दर्ज नहीं करने का निर्देश दिया था।

सुप्रीम कोर्ट ने व्यवस्था दी थी कि देशभर में राजद्रोह कानून के तहत जारी जांच, लंबित मुकदमों और सभी कार्यवाही पर भी रोक रहेगी।

Odisha Train Crash रेल दुर्घटना में जीवित बचे 250 यात्री विशेष ट्रेन में चेन्नई के लिए रवाना

देश विदेश की खबरों से अपडेट रहने लिए चेतना मंच के साथ जुड़े रहें।

देश-दुनिया की लेटेस्ट खबरों से अपडेट रहने के लिए हमें फेसबुक पर लाइक करें या ट्विटर पर फॉलो करें।

Related Post