Tuesday, 23 April 2024

RamcharitManas Row: रामचरित मानस पर उठे विवाद को ठीक से समझिए

RamcharitManas Row / अशोक बालियान RamcharitManas Row: दरअसल रामचरितमानस अवधी भाषा में गोस्वामी तुलसीदास द्वारा 16वीं सदी में रचित प्रसिद्ध…

RamcharitManas Row: रामचरित मानस पर उठे विवाद को ठीक से समझिए

RamcharitManas Row / अशोक बालियान

RamcharitManas Row: दरअसल रामचरितमानस अवधी भाषा में गोस्वामी तुलसीदास द्वारा 16वीं सदी में रचित प्रसिद्ध ग्रन्थ है। रामचरितमानस में सात काण्ड (अध्याय) क्रमश: बालकाण्ड, अयोध्याकाण्ड, अरण्यकाण्ड, किष्किन्धाकाण्ड, सुन्दरकाण्ड, लंकाकाण्ड (युद्धकाण्ड) और उत्तरकाण्ड है। श्री रामचरित मानस का 5 वा अध्याय/कांड ‘सुन्दर कांड’ है। सुन्दरकांड को सबसे पहले रामायण में श्री वाल्मीकि जी ने संस्कृत में लिखा था। बाद में तुलसीदास जी ने जब श्री रामचरित मानस लिखी, तो सुन्दरकांड का अवधी भाषा वाला रूप हम सब के सामने आया, जो की सबसे प्रचलित है।

RamcharitManas Row

तुलसीदास कृत रामचरितमानस में विवादित चौपाई “ढोल, गंवार, शुद्र, पशु अरु नारी। सकल ताड़न के अधिकारी”॥ यह चौपाई सुंदरकांड में 58वें दोहे की छठीं चौपाई है। इतिहास में इस चौपाई का मनमाना अर्थ निकाल कर गोस्वामी तुलसीदास की कटु निंदा की है, और समाज में भ्रम फ़ैलाने का प्रयास किया है और करते आ रहे हैं।

हमने तुलसीदास कृत रामचरितमानस की एक पुरानी पुस्तक खोजने में सफलता प्राप्त की है। वर्ष 1877 में लिखी गयी पुस्तक ‘श्री अथ तुलसीदास कृत रामायण’ के सुंदरकांड में 62वें दोहे की छठीं चौपाई में यह विवादित चौपाई है, न कि 58वें दोहे की छठी चौपाई है। लेकिन बनारस कालेज के पंडित रामजसन की वर्ष 1868 में लिखी गयी धार्मिक पुस्तक ‘तुलसीदास कृत रामायण’ में यह चौपाई नहीं है। यह शोध का विषय है कि क्या यह चौपाई तुलसीदास के बाद में जोड़ी गयी है या समय के साथ शब्द बदल गये या उनका भावार्थ बदला गया है।

धर्म हमारी आस्था का प्रतीक है। युग बदलते हैं तो स्थितियां भी बदल जाती हैं। समय के साथ बाल विवाह, बलि देना तथा सती जैसी प्रथाओं को कुप्रथा मानकर प्रतिबंधित कर मान्यताओं को बदला गया था। यह बात उचित है कि समय के साथ ग्रन्थों में लिखी बातों की विवेचना या समीक्षा भी होनी चाहिए। विभिन्न दृष्टिकोणों से तर्क, साक्ष्य और इसके व्यवहारिक स्वरूप के आधार पर इस विवादित चौपाई की विवेचना की है, ताकि इसका अर्थ सही ढंग से समझा जा सके।

तुलसीदास कृत रामचरितमानस में यह चौपाई समुद्र का कथन है न कि तुलसीदास का कथन है। श्रीराम समुद्र तट पर खड़े हैं। लंका तक पहुंचने के लिए समुद्र से रास्ता मांग रहे हैं। इसी प्रसंग में समुद्र द्वारा श्रीराम को कही गयी चौपाई ‘प्रभु भल कीन्ह मोहि सिख दीन्हीं’। ‘मर्यादा सब तुम्हरी कीन्हीं’॥ ‘ढोल गंवार
शुद्र, पशु नारी’॥ ‘ये सब ताड़न के अधिकारी’॥ का अर्थ है कि ‘प्रभु ने अच्छा किया, जो मुझे शिक्षा दी। सब मर्यादा भी आपकी ही बनाई हुई है। ढोल, गंवार, शुद्र, पशु, नारी’ ये सब शिक्षा व परवरिश के अधिकारी हैं।

ताड़न शब्द के अलग-अलग अर्थ है। हिन्दी में ताड़न का अर्थ पीटने से भी लिया जाता है, लेकिन जिस भाषा में तुलसीदास कृत रामचरितमानस लिखी गयी है उस अवधी शब्द कोश में ताड़न का अर्थ शिक्षा व परवरिश से है। तुलसीदास जिस बुन्देलखण्ड इलाके से आते थे, वहां आज भी देखरेख करने के लिए ‘ताड़ ल्यौ’ शब्द का ही इस्तेमाल किया जाता है।

‘अधिकारी’ शब्द का प्रयोग सकारात्मक बात के लिए ही किया जाता है। जैसे यह व्यक्ति ‘इनाम’ का ‘अधिकारी’ है। ‘इनाम’ पाना ‘सकारात्मकता’ है, जबकि “सजा” के सन्दर्भ में ‘अधिकारी’ शब्द का प्रयोग गलत है, क्योंकि सजा में ‘पाने’ की नहीं, ‘देने’ की बात होती है।

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