Ravidas Jayanti Special : भारत की धरती पर ऐसे कई महान संतों ने जन्म लिया, जो इस दुनिया से जाते-जाते अपनी छाप छोड़ गए जिनकी याद में उनकी जयंती मनाई जाती है। इन्हीं महान संतों में से एक हैं संत शिरोमणि गुरु रविदास जी। संत रविदास जी की जयंती 24 फरवरी को मनाई जा रही है। संत गुरु रविदास जी महान संत थे, जिन्होंने लोगों को प्रेम और सौहार्द का पाठ पढ़ाते हुए अपना पूरा जीवन समाज सुधार में समर्पित कर दिया। रविदास जी की जयंती के खास मौके पर उनसे जुड़ी कुछ बातें जान लेते हैं।
बचपन से ही रविदास जी के पास अलोकिक शक्तियां थी
भक्तिकाल के महान समाज सुधारक रविदास जी के बारे इतिहास के पन्नो में तरह-तरह की बातें छिपी हुई है। ऐसा कहा जाता है कि संत रविदास के पास बचपन से ही अलौकिक शक्तियां थी। रविदास जी बचपन से ही अपने दोस्त को जीवन देने, पानी पर पत्थर तैराने, कुष्ठ रोगी से पीडित लोगों को ठीक करने के किस्से प्रचलित है। संत रविदास जी ने अपना पूरा जीवन भगवान की आराधना और लोगों को एकजुट करने में बिताया। भक्तिकाल के समय का एक दोहा आज भी बहुत प्रसिद्ध है ‘मन चंगा तो कठौती में गंगा’ जो कि संत रविदास जी के मशहूर दोहे में से एक है।
रविदास जयंती क्यों मनाई जाती है?
वाराणसी में जन्में महान संत गुरू रविदास जी के जन्मदिन को माघ पूर्णिमा के दिन रविदास जयंती के रूप में मनाया जाता है। क्योंकि संत रविदास ने लोगों का जीवन अपनी शिक्षा और उपदेशों से समृद्ध बनाया। इस दिन लोग संत रविदास जी की पूजा करते हैं और जगह-जगह पर भा यात्राएं निकालकर भजन-कीर्तन करते हुए संत रविदास जी को याद करते हैं।
संत रविदास जी को किन-किन नामों से जाना जाता है?
अपना पूरा जीवन लोगों की सेवा में समर्पित करने वाले महान संत रविदास जी को रविदास के अलावा गुरु रविदास, रैदास और रोहिदास जैसे नामों से भी जाना जाता है।
संत रविदास कौन थे? Ravidas Jayanti Special
महान संत रविदास जी भक्ति आंदोलन के एक भारतीय रहस्यवादी कवि और संत थे जिन्होंने महान देश भारत के लोगों को जाति का भेदभाव मिटाकर एकजुट होने के लिए प्रोत्साहित किया। रविदास जी एक ऐसे संत थे जिन्होंने अपना पूरा जीवन जाति, लिंग आदि की परवाह किए बगैर समाज सेवा करते हुए समर्पित कर दिया।
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