Sex Education :
सैय्यद अबू साद
Sex Education : हम विकसित होते समाज में जी रहे हैं, जहां आधुनिकता बहुत हावी है। इस आधुनिकता के साथ मनुष्य की आपराधिक भावना भी बढ़ रही है। पहले आपराधिक व्यक्ति महिलाओं को निशाना बनाते थे, लेकिन हाल के वर्षों में ये छोटे बच्चों और शिशुओं को भी निशाना बनाने लगे हैं। आसान शिकार समझ कर और बच्चे अपनी बात नहीं बता पाएंगे, ये सोचकर आपराधिक व्यक्ति मासूमों को अपना साफ्ट टारगेट बना रहे हैं। इन्हें मालूम है कि कम उम्र के बच्चे कमजोर व नासमझ होते हैं और दूसरों से जल्दी घुल-मिल जाते हैं व दूसरों पर जल्दी विश्वास भी कर लेते हैं। गलत व्यवहार करने वालों में अधिकतर अपराधी घर में से ही या आस-पड़ोस या जान पहचान वाले ही होते हैं। कई बार बच्चों को स्कूल कर्मचारी के साथ स्कूल ले जाने वाले ट्रांसपोर्ट के लोग भी ऐसे अपराध करते हैं। अभिभावक बच्चों को अच्छी शिक्षा, खाना-पीना, कपड़े पहनना, बड़ों का सम्मान करना और अच्छे संस्कार देना तो सिखा देते हैं, लेकिन सेक्स एजूकेशन और गुड टच और बैड टच के बारे में बताना जरूरी नहीं समझते। ऐसे में ही नसमझी में बच्चे यौन शोषण के शिकार हो जाते हैं। कई बार हमें लगता है कि लड़कियों को ही बस गुड टच और बैड टच बताने की जरूरत है। अगर आप भी ऐसा सोचते है, तो आपको बिल्कुल गलत है। आपको अपने दोनों बच्चे को चाहे वह लड़का हो या लड़की उन्हें गुड या बैड टच के बारे में बताना चाहिए।
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लड़कों को बताएं क्या है गुड और बैड टच
गुड टच- अभिभावको को लड़कों को बताना चाहिए कि जब कोई आपको छूता है और उसके छूने से आपको प्यार का एहसास होता है या अच्छा लगता है या कोई छूकर आपको सुरक्षित महसूस करवाता है, तो इसे गुड टच कहते हैं। इसके अलावा अगर कोई आपको प्यार से टच करें, जैसे कि माथे पर हाथ फेरना या प्यार से गालों को खींचना। ये सभी गुड टच में गिने जाते हैं। बच्चों को बताकर ही नहीं बल्कि खुद करके समझाएं। बच्चे को समझाएं कि जब आपका कोई दोस्त आपका हाथ पकड़ता है, तो उसे अच्छा फील होता है।
बैड टच- उसे बताएं कि उसका शरीर सिर्फ उसका है और उस पर किसी और का हक नहीं है इसलिए कोई उसे वैसे नहीं छू सकता है, जो उसे पसंद न हो। जब कोई आपको इस तरह से छुए कि आपको उससे बुरा लगे तो ये बैड टच होता है। अगर कोई अनजान व्यक्ति प्राइवेट पार्ट्स गलत तरीके से छूने की कोशिश करे तो यह बैड टच होता है। जब किसी के छूने से आपको अजीब लगे और अच्छा महसूस ना हो तो ये बैड टच होता है।
कैसे सतर्क करें गुड और बैड टच के बारे में
ये न सोचें कि लड़का है, तो सुरक्षित ही रहेगा। आपको बच्चे के बदलते व्यवहार के बारे में जानकारी रखनी चाहिए। ऐसे में छोटी उम्र में ही बच्चों के साथ विश्वास का रिश्ता कायम करना बेहद जरूरी हो जाता है। बच्चों और माता-पिता में प्यार और भरोसेमंद बंधन बनाना आवश्यक है। जहां बच्चे बिना डर के आपको कुछ भी बता सकते हैं। बच्चों के साथ ऐसा व्यवहार रखे कि वह आप से हर बात शेयर करें। अगर उसने कुछ गलत भी हो जाए तो वह भी बता दे।
उनको शारीरिक संरचना के बारे में बताएं
बच्चों को उनके शरीर के बारे में जानकारी दें। बच्चों को उनके प्राइवेट पार्ट्स के बारे में जानकारी देना जरूरी है। अपने बच्चों को ये समझा सकते हैं कि हमारे शरीर में कुछ अंग ऐसे होते हैं जो सबको दिखते हैं, परंतु कुछ अंग ऐसे होते हैं, जिन्हें सिर्फ और सिर्फ वे ही देख या छू सकते हैं। उन्हें प्राइवेट पार्ट्स कहते हैं। बच्चों को बताएं कि उनके प्राइवेट पार्ट्स कौन से हैं और शरीर के इन हिस्सों को किसी को न छूने दें। माता-पिता को बताना चाहिए कि अगर कोई व्यक्ति उनके प्राइवेट पार्ट को छूने की कोशिश करें, तो उन्हें इसका विरोध करना चाहिए या फिर वे आपको इस बारे में बताएं।
अपने शरीर का मालिक बनने दें
जब बच्चे 3-4 साल के हो जाए तो उन्हें समझाये कि उनके शरीर पर केवल उनका ही अधिकार है। अगर किसी के द्वारा उनके शरीर को छूना अच्छा न लगे तो उसका कड़ा विरोध करें और ऐसी बाते आपको आकर जरूर बताएं। साथ ही उन्हें समझाएं कि इससे उन्हें डरकर चुप नहीं रहना चाहिए।
उसको ना कहना सिखाएं
बच्चों में आत्मविश्वास बढ़ाना सबसे जरूरी है और बच्चों के मन से डर दूर करें और उन्हें ना कहना सिखाएं। अगर उन्हें कोई गलत तरीके से छूने की कोशिश करे तो वे ऐसा करने वाले व्यक्ति से डरे नहीं बल्कि उन्हें ऐसा ना करने के लिए बोलें। ऐसा करने वाले व्यक्ति से बचने के लिए शोर मचाने की तरकीब बच्चों को सिखाएं ताकि आसपास के लोग उसकी आवाज सुनकर उसकी मदद को आ सकें।
गलत व्यवहार के बारे में बताएं
खेल-खेल में उन्हें बताएं कि किस तरह से टच करने का उनको विरोध करना चाहिए। जैसे अगर कोई उन्हें जबरदस्ती गोद में उठाने या चूमने की कोशिश करें, तो उन्हें अपने आपको छुड़ाकर तुरंत उस व्यक्ति से दूर भाग जाना चाहिए। अगर स्कूल में है, तो उन्हें अपने टीचर के पास भाग जाना चाहिए।
उनके बर्ताव पर ध्यान दें
बच्चों के साथ जब भी कुछ गलत होता है तो उनके व्यहार में परिवर्तन देखने को मिलता है। ऐसे में उसके मन को पढने की कोशिश करें और उनसे खुलकर बात करें। बच्चे को खुलकर इस बारे में बात कर बताएं कि आपको लिए यह अच्छा है और यह आपके लिए बुरा है। बच्चों को कई बार गुड टच या बैड टच के बारे में पता नहीं होता है या बहुत बच्चे किसी से खुलकर अपने मन की बात नहीं कह पाते हैं। ऐसे में वे अंदर ही अंदर उसे चीज से परेशान होते हैं और ये बातें उनकी पढ़ाई और शारीरिक विकास पर प्रभाव डालती है। इसलिए हमेशा बाहर या स्कूल से आने के बाद अपने बच्चे के व्यवहार पर जरूर ध्यान देने की कोशिश करें कि कहीं आपका बच्चा बहुत ज्यादा चुप तो नहीं रहता है। साथ ही खाना कम खाना, पढ़ाई में मन न लगना और हमेशा खोया हुआ तो नहीं रहता है।
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दोस्तों की तरह व्यवहार बनाएं
ये सब बातें सिखाने के लिए अपने बच्चों को सबसे पहले ये विश्वास करवाएं कि वह आपसे कुछ भी शेयर कर सकते हैं। आप उनके साथ दोस्ताना व्यवहार रखें। इसके लिए छोटी उम्र से ही बच्चों के साथ विश्वास का रिश्ता कायम करना शुरू कर दें। कुछ बच्चे अगर आपको बताते हैं, तो उस पर बच्चों को डांटने की जगह समझाएं। अगर आप डांटेंगी तो बच्चे आपसे डर जाएंगे और आपको कुछ बताएंगे नहीं। अगर वह कुछ गलत भी करता है तो उसे समझाएं कि ऐसा करना गलत है। फिर देखिएगा, बड़े होने पर आपको अपने बच्चे की चिंता नहीं करनी पड़ेगी। वे अपने साथ दूसरों के लिए भी आवाज उठा सकेंगे।
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